आयुर्वेदिक, ऐलोपेथी और होम्योपैथी के बाद अब देश में बीमारियों का इलाज करने के लिए नई तरह की दवा शुरू होने वाली है। भारत में जल्द ही पौधे से बने कैप्सूल मिलने वाले हैं। जी हां, यह काई अफवाह नहीं है बल्कि देश के स्वास्थ्य मंत्रालय ने विशेषज्ञों की एक कमेटी के स्वीकृति से इस बात का ऐलान किया है। यह दवा को बनाने के लिए जल्द ही काम शुरू किया जाएगा।
केंद्रीय महिला एंव बाल कल्याण मंत्री मेनका गांधी ने पिछले साल मार्च में स्वास्थ्य मंत्रालय के सामने जिलेटिन कैप्सूल की जगह पौधों से बने कैप्सूल बनाने का प्रस्ताव रखा था। गांधी ने उस वक्त कहा था कि जिलेटिन की कैप्सूल को लेने से कई लोग परहेज करते हैं। जिसमें शाकाहारी लोग अव्वल नम्बर पर हैं।
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मेनका गांधी का कहना है कि पौधों से बनाई जाने वाली ये दवाएं पचाने में बहुत ही आसान होंगी। जिन लोगों को पेट की समस्याएं होती हैं वो भी इसे आसानी से पचा पाएंगे। जबकि जिलेटिन कैप्सूल को पचाने में समय लगता है। वहीं, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) जीएन सिंह और स्वास्थ्य सचिव भानु प्रताप शर्मा से बात कर इस दिशा में ठोस कदम उठाने की अपील की है। केंद्र की इस अफरा तफरी को देखकर लग रहा है कि यह दवा साल के आखिर में ही शुरू हो जाएगी। हालांकि अभी इस बात का ऐलान नहीं कया गया है।
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क्या है जिलेटिन
पशुओं, जानवरों और कई पक्षियों के ऊतक, हड्डियां और त्वचा को उबालकर जिलेटिन प्राप्त किया जाता है। दरअसल जिलेटिन कैप्सूल जीव-जंतुओं से प्राप्त उत्पादों में मिलने वाले कोलोजन से बनाए जाते हैं। वर्तमान में करीब 98 प्रतिशत दवा कंपनियां पशुओं के उत्पादों से बनने वाले जिलेटिन कैप्सूल का इस्तेमाल करती हैं। पौधों से बनने वाले कैप्सूल प्रमुखतया केवल दो कंपनियां बनाती हैं। इनमें से एक भारत स्थित एसोसिएट कैप्सूल है और दूसरी अमेरिकन कैप्सुगल।
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