
संक्रमित खून चढने से एचआर्इवी का खतरा बढ़ता देखा गया है। सूचना के अधिकार कानून के ज़रिए प्राप्त सूचना से मालूम चला है कि अक्टूबर 2014 से लेकर मार्च 2016 तक की समय अवधि में एचआईवी संक्रमण के 2234 मामले संक्रमित खून चढ़ाने के कारण हुए हैं। चलिए विस्तार से जानें खबर -
नेशनल एड्स कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन (नाको) ने संक्रमित खून से संबंधित एक ब्यौरा जारी किया है। नाको ने दावा किया है कि एचआईवी संक्रमण के सबसे ज्यादा 361 मामले उत्तर प्रदेश से हैं और उसके बाद 292 मामलों के साथ दूसरे स्थान पर गुजरात आता है। चेतन कोठारी की ओर से दायर की गई आरटीआई के जवाब में नाको ने यह ब्यौरा जारी किया। इस ब्यौरे से यह साफ होता है कि काफी सारे ब्लड बैंक नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं, और इसके परिणाम स्वरूप लोग इस जानलेवा बीमारी का शिकार बनते जा रहे हैं।
हाल में जारी की गई सालाना रिपोर्ट के अनुसार सितंबर 2014 तक नाको का कुल ब्लड कलेक्शन तीस लाख यूनिट था। नाको के मुताबिक दान किए गए रक्त में से 84 प्रतिशत ब्लड यूनिट स्वेच्छा से दान किया गया है। कानून के हिसाब से दान दिए गए रक्त की एचआईवी, एचबीवी, हैपेटाइटिस सी, मलेरिया और सिफलिस की जांच की जानी चाहिए।
नाको की 2015 की सालाना रिपोर्ट के मुताबिक़ 2011 में भारत में एचआईवी संक्रमण और एड्स के कुल मरीजों की संख्या 20 लाख से अधिक थी। इनमें करीब 86 प्रतिशत मरीज 49 साल से कम आयु के थे।
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