Types Of Heart Failure: हृदय रोगों से होने वाली मृत्यु के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, जिनमें हार्ट फेलियर से लोगों की मृत्यु के आंकड़े भी चौकाने वाले हैं। हार्ट फेल होना या कंजेस्टिव हार्ट फेलियर बहुत ही गंभीर समस्या है, जिससे व्यक्ति की मौके पर ही मृत्यु होने की संभावना रहती है। हृदय रोगों का एक बड़ा कारण, हमारा खानपान और जीवनशैली की आदते हैं। जिसके कारण हाई कोलेस्ट्रॉल, अनियंत्रित ब्लड शुगर और हाई ब्लड प्रेशर जैसी समस्याओं की समस्याएं होती है, जो अनियमित दिल की धड़कन, हार्ट अटैक, स्ट्रोक, फेलियर जैसी समस्याओं का कारण बनती हैं। इसलिए स्वस्थ जीवनशैली को फॉलो करना बहुत जरूरी है।
क्या आप जानते हैं हार्ट फेलियर कई तरह के होते हैं? जिनमें आपको अलग-अलग तरह की समस्याएं या लक्षण देखने को मिलते हैं। हार्ट फेलियर के प्रकारों के बारे में पूर्ण जानकारी न होने की वजह से कई बार लोगों को हार्ट फेलियर के संकेतों को नजरअंदाज कर देते हैं, क्योंकि कई बार इसका दर्द आपके सीने के कभी दाईं और तो कभी बाईं ओर देखने मिल सकता है। लेकिन ऐसा करना आपके सेहत के लिए बहुत जोखिम भर साबित हो सकता है। हेल्थ लाइन के अनुसार हार्ट फेलियर 4 प्रकार (heart failure ke prakar) होते हैं, इस लेख में हम आपको इनके बारे में विस्तार से बता रहे हैं।
हार्ट फेलियर के प्रकार- Types Of Heart Failure
1. डायास्टोलिक हार्ट फेलियर- Diastolic heart failure
जब दिल की मांसपेशियों कठोर या अधिक सख्त हो जाती हैं, तब डायास्टोलिक हार्ट फेलियर की स्थिति पैदा होती है। यह समस्या हृदय रोगों के कारण पैदा होती है। जिसमें आपका हृदय रक्त ठीक से पंप नहीं कर पाता है। इस स्थिति को डायस्टोलिक डिसफंक्शन भी कहा जाता है। यह शरीर के बाकी हिस्सों में ब्लड सर्कुलेशन और फ्लो को प्रभावित करता है। यह हार्ट फेलियर महिलाओं में अधिक देखने को मिलता है।
डायास्टोलिक हार्ट फेलियर के लक्षण- Diastolic heart failure symptoms
लगातार या बार-बार खांसी आना, पूरा दिन थकान महसूस होना, सांस लेने में दिक्कत, पैर और पेट में सूजन, एक्सरसाइज करने में अमर्थता इसके कुछ आम लक्षण हैं।
2. सिस्टोलिक हार्ट फेलियर- Systolic heart failure
जब दिल मांसपेशियां सिकुड़ने की अपनी क्षमता खो देती हैं, तो ऐसे में सिस्टोलिक हार्ट फेलियर की स्थिति पैदा होती है। रक्त के माध्यम से पूरे शरीर में ऑक्सीजन पंप करने के लिए हृदय का संकुचन बहुत जरूरी होता है। इस स्थिति को सिस्टोलिक डिसफंक्शन भी कहा जाता है, यह स्थिति तब पैदा होती है जब आपका दिल कमजोर हो जाता है, साथ ही उसका आकार बढ़ने की संभावना होती है। यह पुरुषों में अधिक देखने को मिलती है।
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सिस्टोलिक हार्ट फेलियर के लक्षण- Systolic Heart Failure Symptoms
खांसी आना, नींद पूरी होने के बाद भी थकान, कमजोरी महसूस होना, हाथ और उंगलियों का नीला पड़ना, नींद की कमी महसूस होना और बार-बार आना, फोकस करने में दिक्कत, वजन बढ़ना और सीधे लेटने में परेशानी।
3. लेफ्ट-साइड हार्ट फेलियर- Left-sided heart failure
द हेल्थ लाइन के अनुसार यह हार्ट फेलियर का यह प्रकार सबसे आम है। आपके दिल के निचलने बाएं हिस्से में बाईं तरफ वेंट्रिकल होती है, शरीर के बाकी हिस्सों में ऑक्सीजन पहुंचाने या पंप करने के लिए यह जिम्मेदार होती है। इसके ठीक से काम न करने से ऑक्सीजन ठीक से पंप नहीं हो पाती है। जिससे आपके शरीर रक्त में ऑक्सीजन पर्याप्त नहीं मिल पाती है। बल्कि ऑक्सीजन फेफड़ों में ही वापस आने लगती है, इससे सांस लेने में परेशानी और तरल पदार्थों के निर्माण जैसी समस्याएं देखने को मिलती हैं।
लेफ्ट साइड हार्ट फेलियर के लक्षण- Left sided heart failure symptoms
सांस लेने में परेशानी, वर्काउट के दौरान सांस लेने में दिक्कत, पुरानी खांसी, भूख में कमी, दिल की धड़कन असामान्य होना, ध्यान लगाने में दिक्कत, दिल का आकार बढ़ना, हाई बीपी, खराब ब्लड फ्लो।
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4. राइट-साइड हार्ट फेलियर- Right Sided Heart Failure
आपके दिल के नीचे दाईं तरफ मौजूद वेंट्रिकल ऑक्सीजन इकट्ठा करने और फेफड़ों मे रक्त को पंप करने का कार्य करती है। इस स्थिति में हार्ट फेल तब होता है जब दिल का दाहिना हिस्सा अपना काम ठीक से नहीं करता है। कुछ मामलों में यह फेफड़ों की बीमारी, वाल्व रोग जैसी स्थितियों के कारण भी राइट साइड हार्ट फेलियर हो सकता है।
राइट-साइड हार्ट फैलियर के संकेत- Right Sided Heart Failure Symptoms
सांस लेने में दिक्कत, हर समय थकान, मांसपेशियों में लगातार दर्द, टखने, पैर और पेट में सूजन आदि।
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