बच्चे मन के साफ होते हैं, वे अपनी अलग दुनिया में मस्त रहते हैं। खेलने-कूदने और खाने-पीने की चीजों में उनका ज्यादा ध्यान होता है। जो उनसे प्यार से बात करते हैं, वे उन्हें अपना समझते हैं। वहीं जो उनसे रूखे मन से बात करते हैं, वे उनसे ज्यादा घुल मिल नहीं पाते हैं। बच्चे छोटी सी बातों पर ही खुश हो जाते हैं और छोटी ही बातों पर दुखी भी हो जाते हैं।
कहते हैं कि बच्चे जल्दी ही किसी की भी बातों में आ जाते हैं। कोई भी उन्हें आसानी से बहला फुसला सकता है। वे अपने आसपास के लोगों और माहौल से इतना परिचित नहीं होते या फिर यह नहीं जान पाते कि कौन सही है और कौन गलत। यह समझ पाना उनके लिए कठिन होता है।
इसीलिए माता-पिता को अपने बच्चों को सिखाना या बताना चाहिए कि कौन उनके लिए अजनबी है। बात केवल अजनबी होने की नहीं है, बच्चों को कोई भी नुकसान पहुंचा सकता है, चाहे वह परिवार से जुड़ा कोई सदस्य क्यों ना हो। बात जब बच्चों की सुरक्षा की हो तो उसमें असावधानी नहीं बरतनी चाहिए। इसलिए अभिभावक को अपने बच्चों को सही और गलत में फर्क करना सिखाएं। जानिए कैसे?
माता-पिता अपने बच्चों को सिखाएं ये जरूरी बातें
- अपने बच्चे को यह एहसास दिलाएं कि आप उनसे बहुत प्यार करते हैं। बच्चों पर भरोसा करें और उनकी बातों को नजरअंदाज ना करें।
- अगर बच्चे किसी दूसरे की उपस्थिति में कंफर्टेबल महसूस नहीं करते हैं, तो उन्हें सपोर्ट करें और समझें।
- बच्चों को सबसे पहले यह बताना चाहिए कि जिस व्यक्ति को वे नहीं जानते या कभी नहीं मिलें, वह अनजान व्यक्ति उन्हें हानि पहुंचा सकता है।
- बच्चों को सिखाएं कि किसी अनजान व्यक्ति से कोई भी खाने पीने की वस्तु ना लें।
- उन्हें यह समझाएं कि कोई अनजान व्यक्ति खाने की वस्तु में कुछ भी मिला कर उन्हें अपने साथ ले जा सकता है। इसलिए उन्हें किसी भी अनजान व्यक्ति से खाने-पीने की चीजें नहीं लेनी चाहिए।
- बच्चों को बताएं कि व्यक्ति चाहे अनजान हो या फिर कोई पहचान का हो। अगर उनके साथ बच्चा सुरक्षित महसूस नहीं कर रहा है, तो वे उनसे दूर रहें। अपने माता-पिता को उसके बारे में बताएं।
- बच्चों को सिखाएं कि अगर कोई व्यक्ति उनके मना करने के बावजूद भी उनके साथ ज्यादा घुलने-मिलने कोशिश कर रहा है, तो वे आपको जरूर बताएं।
यह ध्यान रखें कि इन सभी बातों से बच्चे के मन में डर पैदा ना हो। बच्चों को केवल सतर्क रहने को कहें। इसलिए अपने बच्चों में यह विश्वास पैदा करें कि आप उनके साथ हैं। अपने बच्चों से अच्छी तरह घुल मिलें और प्यार करें। समय-समय पर उनसे बातचीत करते रहें। जिससे आपको उनके बारे में पता चलता रहे और कोई भी दुर्घटना उनके साथ ना घटित हो पाए।