
यह उम्र का ऐसा दौर है जब बच्चों में विपरीत सेक्स के प्रति सहज आकर्षण होता है। ऐसे समय में सबसे ज्यादा परेशानी माता-पिता को होती है क्योंकि उन्हें समझ नहीं आता है कि वो बच्चों को किस तरह समझाएं।
अक्सर देखा जाता है कि टीनएज बच्चों को अपने आस-पास या स्कूल-कॉलेज के किसी दोस्त से प्यार हो जाता है। हालांकि प्यार से ज्यादा इसे आकर्षण कह सकते हैं क्योंकि इस उम्र तक आमतौर पर बच्चों को प्यार का पता नहीं होता है। यह उम्र का ऐसा दौर है जब बच्चों में विपरीत सेक्स के प्रति सहज आकर्षण होता है। इस उम्र में वे अपने आसपास मौज़ूद किसी भी लड़के/लड़की को देखकर आकर्षित हो जाते हैं। तब उन्हें यह भ्रम होने लगता है कि उन्हें किसी से प्यार हो गया है। ऐसे समय में सबसे ज्यादा परेशानी माता-पिता को होती है क्योंकि उन्हें समझ नहीं आता है कि वो बच्चों को किस तरह समझाएं।
क्या प्यार बच्चे की गलत आदत का नतीजा है?
अक्सर इस उम्र में जब माता-पिता को बच्चे के प्यार का पता चलता है, तो वो समझते हैं कि उनका बच्चा गलत संगत में है और गलत बातें सीख रहा है। हालांकि ये बात सही है कि इस तरह के आकर्षण में कुछ हद तक दोस्तों के बीच की गई बातों का असर होता है मगर इन बातों के लिए पूरी तरह से बच्चे की संगत को दोषी नहीं ठहरा सकते हैं।
आमतौर पर बच्चों पर उनके परिवेश का असर पड़ता है। गांवों और कस्बों में आज भी लड़के-लड़कियों को आपस में मिलने, घूमने और कई जगह तो पढ़ने की भी इजाजत नहीं होती है। ऐसे में लड़के-लड़कियों में विपरीत लिंग के प्रति जानकारियों का अभाव होता है। इसलिए टीनएज में जब उन्हें अपने कुछ फैसले लेने का अधिकार मिल जाता है, तो उनका आकर्षण बढ़ जाता है।
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क्यों होते हैं बच्चे किसी के प्रति आकर्षित
टीनएज में लड़कों के ब्रेन से सेक्स हॉर्मोन टेस्टेरॉन और लड़कियों के मस्तिष्क से प्रोजेस्टेरॉन ओर एस्ट्रोजेन हॉर्मोन का सिक्रीशन होता है। यही हॉर्मोंस उनमें विपरीत सेक्स के प्रति आकर्षण के लिए जि़म्मेदार होते हैं। साथ ही फिल्मी परदे पर रोमांस को देखते हुए बड़े होने वाले बच्चों के कोमल मन पर इसका गहरा असर पड़ता है। इसी वजह से आजकल टीनएजर्स के लिए गर्लफ्रेंड या बॉयफ्रेंड होना स्टेटस सिंबल बनाता जा रहा है।
क्या कर सकते हैं माता-पिता
इस सहज आकर्षण के बारे में अपने बच्चों से खुलकर बात करें। उन्हें समझाएं कि ऐसा होना स्वाभाविक है पर अभी तुम्हें अपनी पढ़ाई पर ध्यान देना चाहिए। उन्हें कभी भी लड़कों/लड़कियों से दोस्ती करने से न रोकें। इस उम्र में बच्चों को जिस कार्य की मनाही होती है, वे बार-बार वही करना चाहते हैं। इसलिए उन्हें समझाएं कि फिल्मों और असली जि़दगी में बहुत फर्क होता है। ऐसी बातों में समय बर्बाद करने के बजाय बच्चों को अपनी पढ़ाई पर ध्यान देना चाहिए।
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टीनएज का प्यार होता है खास
टीनएज का प्यार कई मायनों में खास होता है। इस उम्र में आमतौर पर लड़के-लड़कियां हकीकत से ज्यादा कल्पनाओं में जी रहे होते हैं इसलिए बाद में उन्हें हकीकत का सामना करने में परेशानी होती है। इस उम्र में भावनाओं से ज्यादा दिखावे में दिलचस्पी होती है इसलिए लड़के-लड़कियों को एक दूसरे के साथ समय बिताना अच्छा लगता है। वे अच्छे से अच्छा दिखने की कोशिश करते हैं और एक दूसरे को आकर्षित करने और खुश करने का हर प्रयास करते हैं।
टीनएज में होने वाला ज्यादातर प्यार नाकामयाब होता है क्योंकि इसमें जिम्मेदारी से ज्यादा आकर्षण की भावना होती है। माता-पिता बच्चों को उनकी जिम्मेदारियां समझा सकते हैं और भरोसा दे सकते हैं कि करियर में अच्छी सफलता के बाद आप उनके प्यार के बारे में सोचेंगे, तो बच्चे शायद आपकी बात समझेंगे।
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