बचपन कच्ची मिट्टी की तरह होता है। उसे जैसा आकार दिया जाए वो वैसा ही ढल जाता है। बच्चों के मन और व्यवहार को बचपन से ही सही आकार में ढालना बेहद जरूरी होता है। कई बार बच्चे मुश्किलों का सामना साहसपूर्वक करते हैं और कई बार वे इससे घबरा जाते हैं। पेरेंट्स होने के नाते ये आपकी जिम्मेदारी है कि बच्चे को जीवन जीने के नियमों के बारे में बताया जाए। बच्चों को यह बताना जरूरी है कि अपने अधिकारों और खुद की सुरक्षा के लिए खड़ा होना क्यों जरूरी है। कैसे अपनी बात को आत्मविश्वास के साथ दूसरों के सामने रखना है। चलिए जानते हैं पेरेंट्स कैसे बच्चे को खुद के लिए स्टेंड लेना सिखाएं।
हर वक्त एक समान नहीं होता
एक छोटे बच्चे के लिए लाइफ की कठोर परिस्थितियों को समझना मुश्किल होता है इसलिए बच्चे को धीरे-धीरे इसके बारे में अवगत कराएं। पेरेंट्स बच्चे को समझाने की कोशिश करें कि जीवन में सब कुछ आसान नहीं होता। कई बार मंजिल तक पहुंचने के लिए छलांग लगानी पड़ती है। मनचाहा लक्ष्य प्राप्त करने के लिए स्वस्थ दिमाग और अपने लिए खड़े होने की क्षमता आवश्यक होती है।
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भावनात्मक रूप से बुद्धिमान
पेरेंट्स बच्चों को भावनात्मक रूप से बुद्धिमान बनाएं। भावनात्मक रूप से बुद्धिमान लोग अपनी और दूसरों की भावनाओं को बेहतर ढंग से समझते हैं। एक बच्चे को सिखाना और पढ़ाना काफी मुश्किल होता है। बच्चे को सिखाने के लिए इंटरैक्टिव तरीका आजमा सकते हैं। इसके लिए कहानियों और उदाहरण का सहारा लिया जा सकता है।
कॉन्फिडेंट बॉडी लैंग्वेज
दूसरे लोगों पर प्रभाव डालने के लिए कॉन्फिडेंट बॉडी लैंग्वेज का होना बेहद जरूरी है। पेरेंट्स बच्चे को कॉन्फिडेंट बॉडी लैंग्वेज के बारे में बताएं। ये भम्र और नकारात्मकता को दूर करने में मदद करेगी। पेरेंट्स को बच्चे को रोल मॉडल के माध्यम से सिखाना चाहिए। उन्हें उन दिग्गज और मशहूर हस्तियों के बारे में बताएं जिन्हें आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए फॉलो किया जा सकता है। बच्चों को बॉडी लैंग्वेज के टिप्स और ट्रिक्स सिखाएं।
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स्पष्ट बात करना सिखाएं
स्पष्ट बात करना या कहना व्यक्ति के व्यक्तित्व के बारे में दर्शाता है। दूसरों के सामने आत्मविश्वास के साथ खड़ा रहने के लिए स्पष्ट बात करना महत्वपूर्ण होता है। हाजिर-जवाबी आपके व्यक्तित्व को बना या बिगाड़ सकती है। ये आत्मविश्वास के लिए जरूरी है इसलिए बच्चे को बचपन से इस गुर को सिखाना चाहिए।
खुद की करें वकालत
स्वयं के लिए खड़े होने के लिए आवश्यक है कि खुद की वकालत करें। सेल्फ एडवोकेसी यानी खुद की वकालत करना एक व्यक्ति की रुचि, इच्छाओं और अधिकारों को प्रभावी ढंग से दूसरों के सामने रखने की क्षमता है। इसमें निर्णय लेना और निर्णय के लिए जिम्मेदारी लेना भी शामिल है।
इन 5 टिप्स से बच्चा आत्मविश्वास से भरपूर रहेगा और विपरीत परिस्थिति में भी खुद के लिए खड़ा हो सकेगा।