
वाटर बर्थ इन दिनों काफी चलन में है। प्रसव की इस प्रक्रिया का सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि इसमें महिला को कम से कम दर्द का अनुभव होता है। वाटर बर्थ के दौरान स्त्री को गुनगुने पानी के एक टब में लिटाया जाता है। यह प्रसव अस्पताल से लेकर घर पर किया जा सकता है। हालांकि यह एक दर्द रहित प्रसव प्रक्रिया है, लेकिन फिर भी इसमेें आपको बेहद सावधानी बरतनी पड़ती है, अन्यथा होने वाले बच्चे को काफी परेशानी उठानी पड़ सकती है।
होते हैं कई फायदें
वाटर बर्थिंग के कई फायदे होते हैं। जहां प्राकृतिक बर्थिंग प्रक्रिया डरावनी और दर्दनाक होती है और इसमें आपको घंटों तक लेबर पेन सहन करना पड़ता है। वहीं, एक निश्चित तापमान पर गर्म किया जाने वाला पानी प्राकृतिक दर्द निवारक के रूप में काम करता है और प्रसव प्रक्रिया को आसान बनाने में मदद करता है।
वाटर बर्थिंग का दूसरा फायदा यह होता है कि प्रसव की इस प्रक्रिया में महिला को दवाईयों का सहारा नहीं लेना पड़ता क्योंकि पानी खुद ब खुद आपको रिलैक्स करता है। पानी की गर्मी भी ऑक्सीटोसिन के बढ़े हुए प्रवाह की ओर ले जाती है, जो शरीर के प्राकृतिक दर्द से राहत दिलाता है। इस तरहप्रसव की प्रक्रिया तेज व दर्द रहित होती है।
जान लें खतरे भी
जहां एक ओर वाटर बर्थ स्त्री के लिए एक आरामदायक प्रसव प्रक्रिया मानी गई है, वहीं कई मामलों में यह जोखिम भरी भी हो सकती है-
- मां या बच्चे का संक्रमित होना।
- बच्चे के पानी से बाहर आने से पहले गर्भनाल का स्नैप होना।
- बच्चे के शरीर का तापमान बहुत अधिक या बहुत कम होना।
- बच्चे को दौरे पड़ना या उसे सांस लेने में परेशानी होना।
- बेहद कम मामलों में बच्चे का डूब जाना।
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ऐसे में रहें दूर
अगर आप वाटर बर्थिंग की प्लानिंग कर रही हैं तो आपको सबसे पहले यह जानना होगा कि क्या आपके लिए वाटर बर्थिंग सही है। दरअसल, कुछ स्थितियां ऐसी होती हैं, जिसमें स्त्री को वाटर बर्थिंग नहीं कर करनी चाहिए। जैसे-
- स्त्री की उम्र 17 से कम या 35 से अधिक होना।
- स्त्री को प्रीक्लेम्पसिया या मधुमेह जैसी स्वास्थ्य समस्या होना।
- गर्भ में ट्विन्स होना।
- शिशु का ब्रीच पोजिशन में होना।
- बच्चे का प्री-मेच्योर होना।
- अगर गर्भ में बच्चे का साइज बड़ा होना।
- अगर आपको किसी तरह का संक्रमण है।
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बरतें सावधानी
वाटर बर्थिंग के दौरान कुछ सावधानियों को बरतना बेहद जरूरी है। इनमें सबसे पहले तो अपनी डॉक्टर से इस बारे में बात करें। अगर वह इसके लिए सहमत हों, तभी यह रास्ता अपनाएं। साथ ही इस प्रक्रिया के दौरान आपको अनुभवी दाई की जरूरत होगी, इसलिए उससे भी पहले ही बात कर लें। अगर आपके आसपास अस्पताल में यह सुविधा नहीं है तो इसके लिए आपको बर्थिंग सेंटर जाना होगा, वैसे घर पर भी यह प्रक्रिया की जा सकती है, लेकिन उस दौरान आपको बेहद सावधान रहना होगा। अन्य सावधानियों में-
- टब को अच्छी तरह साफ और वेल मेंटेन बनाए रखें।
- बच्चे व स्त्री की टब में लगातार मॉनिटरिंग।
- डॉक्टर, नर्स या दाई के कहने पर ही टब से बाहर निकलना।
- पानी के तापमान को भी अच्छी तरह से रेग्युलेट करना। यह 97 से 100 F के बीच हो।
- निर्जलीकरण से बचने के लिए जन्म के दौरान पानी का पर्याप्त सेवन करना।
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