कोलेस्ट्रॉल का नाम सुनते ही हमें मोटापे और दिल के दौरे का डर सताने लगता है। हालांकि ये सही नहीं है। कोलेस्ट्रॉल शरीर के लिए एक महत्वपूर्ण घटक होता है। 20 साल की उम्र के बाद कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ना शुरू हो जाता है। यह स्तर 60 से 65 वर्ष की उम्र तक महिलाओं और पुरुषों में समान रूप से बढ़ता है। मासिक धर्म शुरू होने से पहले महिलाओं में कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम रहता है। मासिक धर्म के बाद पुरुषों की तुलना में महिलाओं में कोलेस्ट्रॉल का लेवल अधिक रहता है। इस बारें में अन्य रोचक जानकारियों के लिए ये लेख पढ़ें।
कोलेस्ट्रॉल रहित भोजन भी बढ़ाता है कोलेस्ट्रॉल
डाक्टर्स का कहना है कि लोगों में अक्सर ये गलतफहमी रहती है कि सैचुरेटेड फैट, ट्रांस फैट और डेयरी फैट्स में कोलेस्ट्राल नहीं होता है। आप ये जान लें कि इसमें भी कोलेस्ट्राल की मात्रा पायी जाती है। अगर आपकी कैलोरी का 2 फीसदी ट्रांस फैट शरीर में फीसदी कोलेस्ट्रॉल को बढाता है।
उम्र के साथ बढता है कोलेस्ट्रॉल
इसका एक आनुवांशिक कारण भी है। देखा गया है कि अगर किसी परिवार के लोगों में अधिक कोलेस्ट्रॉल की शिकायत होती है तो अगली पीढ़ी में भी इसकी मात्रा अधिक होने की आशंका रहती है। कई लोगों में शरीर में कोलेस्ट्रॉल उम्र के साथ भी बढ़ता देखा जाता है। सामान्य परिस्थितियों में लिवर कोलेस्ट्रॉल के उत्सजर्न और विलयन के बीच संतुलन बनाए रखता है, लेकिन कभी-कभी यह संतुलन बिगड़ भी जाता है।
इतना बुरा भी नहीं कोलेस्ट्रॉल
हम कोलेस्ट्रॉल के बिना जीवित ही नहीं रह सकते। यह मानव शरीर में कई महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाता है। कोलेस्ट्रॉल कई लाभकदायक हार्मोन्स के स्राव में मदद करता है इसलिए वह हमारे रक्त का एक बेहद महत्वपूर्ण घटक है। वे लोग जिनमें कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम होता है, उन्हें इम्यून सिस्टम संबंधी कई समस्याएं हो सकती है। यही नहीं उनमें संक्रमण का खतरा भी कफी अधिक रहता है। कोलेस्ट्रॉल शरीर में विटामिन डी के निर्माण में सहायक होता है और बाइल एसिड के निर्माण में भी मदद करता है, जो हमारे शरीर में वसा के पाचन के लिये जरूरी है।
निम्न स्तर भी ठीक नहीं
वैसे एलडीएल के निम्न स्तर को हमेशा अच्छे स्वास्थ्य की निशानी माना जाता है, लेकिन एक नये अध्ययन पर गौर फरमाएं तो, अध्ययन में यह बात सामने आई है कि कैंसर के मरीजों के शरीर में कुछ सालों पहले से ही कोलेस्ट्रॉल का स्तर सामान्य से कम होने लगता है। इस हिसाब से इसका स्तर कम होना हमेशा अच्छा ही नहीं होता। लेकिन इसका मतलब ये कतई नहीं कि आप इसे बढ़ने दें।
उच्च एलडीएल मतलब, हार्ट अटैक का संकेत
हार्ट अटैक के कारणों में एलडीएल का उच्च स्तर ही नहीं, एचडीएल का निम्न स्तर भी एक महत्वपूर्ण कारक होता है। आधुनिक जीवनशैली और तेजी से बढ़ रही मोटापा की समस्या के कारण लोगों में एचडीएल का स्तर कम और एलडीएल का स्तर बढ़ता देखा जा सकता है। प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक हृदय रोगों से पीड़ित केवल 2 प्रतिशत लोगों में एलडीएल और एचडीएल का आदर्श स्तर पाया जाता है।
यानी कोलेस्ट्रॉल को हमेशा बुरा मानना ठीक नहीं है, यह एक स्वस्थ शरीर की जरूरत भी है, इसलिए कोलेस्ट्रॉल के स्तर को सामान्य बनाये रखें।