टेस्टोस्टेरॉन पुरूष के शरीर में पाए जाने वाला एक हार्मोन है, जो उनकी बॉडी के लिए बहुत जरूरी होता है। यदि शरीर में इसका स्तर कम हो जाये तो कई प्रकार की खतरनाक स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। शरीर में टेस्टोस्टेरॉन का स्तर कम होने से डायबिटीज, दिल की बीमारियां, ऑस्टियोपोरोसिम, थकान, यौन इच्छा में कमी जैसी समस्यायें होने लगती हैं। टेस्टोस्टेरॉन का स्तर उम्रदराज लोगों में कम होता है, लेकिन वर्तमान में अनियमित दिनचर्या और खानपान में लापरवाही के कारण नौजवानों को भी यह समस्या हो रही है। सामान्य रक्त की जांच के जरिये आप आसानी से टेस्टोस्टेरॉन के स्तर का पता लगा सकते हैं। इससे पहले कि यह आपके ज्यादा नुकसानदेह हो जाये इसका उपचार कीजिए। इस लेख में जानिए टेस्टोस्टेरॉन के कम होने के संकेत क्या हैं।
क्या है टेस्टोस्टेरॉन
टेस्टोस्टेटरॉन ऐसा हार्मोन है जो पुरूषों के अंडकोष यानी टेस्टिकल्स में मौजूद होता है। यह पुरूषों में यौन इच्छाओं को बढ़ाता है और इसका संबंध यौन क्रियाओं, रक्त संचार, मांसपेशियों की मजबूती, एकाग्रता और स्मृ्ति से भी होता है। जब कोई पुरूष चिड़चिड़ा या गुस्सैल हो जाता है तो लोग उसे उम्र की कमी मानते हैं जबकि यह लक्षण टेस्टोस्टेरॉन की कमी के कारण भी दिखाई देता है।
टेस्टोस्टेरॉन हार्मोन की कमी से टाइप-2 डायबिटीज, दिल की बीमारियां, आदि समस्यायें हो सकती हैं। हालांकि 40 की उम्र के बाद शरीर से हर साल एक प्रतिशत टेस्टोस्टेरॉन का स्तर कम होने लगता है और 70 की उम्र तक होते-होते आदमी के शरीर से टेस्टोस्टेरॉन की मात्रा लगभग आधी हो जाती है। अनियमित जीवनशैली और खानपान में कमी के कारण टेस्टोस्टेरॉन का स्तर 35 से कम उम्र में भी हो सकता है।
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टेस्टोस्टेरॉन की कमी के संकेत
चिड़चिड़ापन
टेस्टोस्टेरॉन की कमी के कारण व्यक्ति चिड़चिड़ा हो जाता है। हर समय तनाव और अवसाद की समस्य भी आम हो जाती है जिसके कारण आदमी को बहुत अधिक गुस्सा आता है और उसका स्वभाव चिड़चिड़ा हो जाता है।
वजन बढ़ना
शरीर का वजन अनियमित खानपान के कारण तो बढ़ता है, लेकिन यदि शरीर में टेस्टोस्टेरॉन का स्तर कम होने शरीर का वजन बढ़ जाता है, हालांकि इसके कारण मांसपेशियों का घनत्व कम होता है लेकिन इसकी वजह से शरीर में चर्बी बढ़ने लगती है। गाइनीकोमुस्टिया यानी पुरुष के स्तनों का बढ़ना भी लो टेस्टोस्टेरॉन के कारण होता है।
दिल की समस्या
कार्डियोवस्कुलर बीमारियों के लिए भी यह हार्मोन जिम्मेदार हो सकता है। टेस्टोस्टेरॉन के स्तर की कमी के काण दिल के दौरे की संभावना अधिक हो जाती है।
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कामेच्छा में कमी
टेस्टोस्टेरॉन को यौन हार्मोन माना जाता है, लेकिन यदि शरीर में इसकी कमी हो जाये तो पुरूषों में कामेच्छा कम हो जाती है। इसकी कमी के कारण सेक्स के प्रति उसकी रूचि समाप्त होने लगती है। इरेक्टाइल डिसफंक्शन की समस्या भी टेस्टोस्टेरॉन के स्तर के कम होने के कारण हो सकती है।
थकान की समस्या
काम की अधिकता की वजह से थकान होना सामान्य बात है, लेकिन यदि सामान्य दिनचर्या में भी आपको थकान लग रही है तो यह टेस्टोस्टेरॉन की कमी के संकेत हो सकते हैं। इसके कारण शरीर में हमेशा थकान बनी रहती है, जिम और योगा का भी असर शरीर पर नहीं पडता है।
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मांसपेशियों पर असर
टेस्टोस्टेरॉन का स्तर कम होने के कारण शरीर कमजोर होने लगता है। शरीर की मांसपेशियां और हड्डियां कमजोर होकर टूटने लगती हैं। इसके कारण शरीर केविभिन्न हिस्से जैसे - हाथ, सीने, पैरों आदि जगह से मांसपेशियां कम होने लगती हैं।
आदमी में टेस्टोस्टेरॉन के स्तर का पता खून की जांच से लगाया जा सकता है। ब्लड टेस्ट द्वारा टेस्टोस्टेरॉन के लेवेल का पता चलता है। अगर शरीर में टेस्टोस्टेरॉन का स्तर कम होता है, तो चिकित्सक की सलाह से इस हार्मोन के लेवल को बढाया जा सकता है।
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