आज सामान्य और सेहतमंद तरीके से बच्चे को जन्म देना आसान नहीं है| इसके लिए आपको पूरी तैयारी करनी पड़ेगी। आजकल का खानपान और व्यायाम के प्रति लापरवाही के चलते सामान्य डिलीवरी अब ना के बराबर हो गई है। इसी के चलते ज्यादातर महिलाओं को ऑपरेशन के द्वारा ही बच्चें को जन्म देना पड़ता है। जो महिला के स्वास्थ्य को कमजोर कर देती है। लेकिन अगर आप सामान्य रूप से डिलीवरी कराना चाहती है तो योगा के इन तीन आसान को नियमित रूप से करें।
पश्चिमोत्तानासन
- यह आसन स्त्रियों के लिए भी लाभकारी है।। यह आसन गर्भाशय से सम्बन्धी शरीर के स्नायुजाल को ठीक करता है।इससे गर्भावस्था के दौरान रीढ़ की हड्डी मजबूत होगी और कमर दर्द कम होगा। इससे तनाव कम होगा और मांसपेशियां लचीली होंगी।
- पैर सीधे करके बैठ जाएं और पंजों में हल्की दूरी रखें। अब गहरी सांस लेते हुए दोनों हाथों को उठाएं और सांसे छोड़ते हुए पंजों को छूने की कोशिश करें। अधिक स्ट्रेस न लें और सांस सामान्य कर लें। दस तक गिने और फिर सीधी अवस्था में आ जाएं। इसे अधिकतम तीन बार करें।
- इस स्थिति में आरामदायक समय तक श्वास-प्रश्वास सामान्य रखते हुए रुकें। इसके बाद श्वास अन्दर लेते हुए हाथ तथा धड़ को धीरे-धीरे ऊपर उठाएं तथा श्वास बाहर निकालते हुए हाथ नीचे ले आएं। पश्चिमोत्तानासन के अभ्यास के बाद रीढ़ को पीछे झुकाने वाले किसी भी आसन का अभ्यास करना चाहिए।
तितली आसन
- तितली आसन को गर्भावस्था के तीसरे महीने से कर सकते है| शरीर के लचीलेपन को बढ़ाने के लिए यह आसन किया जाता है| यह गर्भावस्था के दौरान महिलाओं के यूटेरस की मांसपेशियों को लचीला बनाता है और कमर को मजबूत करता है। इसे करने से शरीर के निचले हिस्से का तनाव खुलता है|
- तितली आसन करने के लिए दोनों पैरों को सामने की ओर मोड़कर, तलवे मिला लें, यानी पैरों से नमस्ते की मुद्रा बननी चाहिए। इसके पश्चात दोनों हाथों की उंगलियों को क्रॉस करते हुए पैर के पंजे को पकड़ें और पैरों को ऊपर-नीचे करें। आपकी पीठ और बाजू बिल्कुल सीधी होनी चाहिए। इस क्रिया को 15 से अधिक बार ना करे।यदि इस क्रिया को करते वक्त आपको कमर के निचले हिस्से में दर्द महसूस होता हो तो इसे बिल्कुल भी न करें|
बद्ध कोणासन
- बिना ज्यादा तकलीफ के सामान्य डिलवरी कराने के लिए गर्भवती स्त्रियों को बद्ध कोणासन करना चाहिए। इस आसन से प्रसव पीड़ा कम होती है।
- समतल स्थान पर कंबल या अन्य कोई कपड़ा बिछाकर दोनों पैरों को सामने की ओर करके बैठ जाएं। फिर दोनों घुटनों को मोड़ते हुए पैरों के पास ले आएं और दोनों पैरों के तलवें आपस में मिलाएं। दोनों हाथों की उंगलियों को आपस में जोड़ लें। पैरों की उंगुलियों को दोनों हाथों से पकड़ लें और रीढ़ को सीधा रखें जैसे तितली आसन में बैठा जाता है। बाजू को सीधा करें और पैरों को ज्यादा से ज्यादा पास लाने का प्रयास करें जिससे आपका शरीर तन जाए।
- यह इस आसन की प्रारंभिक स्थिति है। गहरी सांस भरें और सांस छोड़ते हुए धीरे-धीरे कमर से आगे इस प्रकार झुकें कि रीढ़ और पीठ की माँसपेशियों में खिंचाव बना रहे। प्रयास करें की आपका सिर जमीन से स्पर्श हो जाए। अगर ये संभव ना हो तो अपनी ठुड्डी को पैरों के अंगूठे से सांस को सामान्य कर लें। अंत में सांस भरते हुए वापस प्रारंभिक स्थिति में आ जाएं. दो या तीन बार इस आसन का अभ्यास करें।
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