किसी भी बड़ी बीमारी का पता लगाने के लिए अब जांच के परिणाम का इंतजार नहीं करना पड़ेगा। वैज्ञानिकों ने एक नई तकनीक ईजाद की है जिससे बड़ी बीमारी का पता आसानी से केवल 10 मिनट में लग सकता है।
ब्लड टेस्ट के जरिए बीमारियों का पता आसानी से चल सकेगा। वैज्ञानिक तो खून की जांच से यह तक पता लगा सकते हैं कि आप कितनी उम्र तक जिंदा रहेंगे। साथ ही ब्लड टेस्ट के बाद यह भी आकलन हो जाता है कि आपकी जिंदगी कितनी बची है।
हाल ही में वैज्ञानिकों ने ऐसी खतरनाक बीमारी के बारे महत्वपूर्ण सफलता हासिल की है, जिससे अब ब्लड की जांच से ही फेफड़े के कैंसर का पता चल जाएगा।
वैज्ञानिकों ने एक चिप ईजाद करने में कामयाबी हासिल की है, जिसके जरिए किसी भी बीमारी का पता महज 10 मिनट में लगाया जा सकता है। सेल्फ पॉवर्ड इंटीग्रेटेड माइक्रोफ्लडिक ब्लड एनालिसिस सिस्टम नाम दिया है इस चिप को।
खून का नमूना सुई या एक खास प्रकार के यंत्र फिंगरप्रिक की मदद से लिया जाता है। रक्त परीक्षण शारीरिक और जैव रासायनिक अवस्था, जैसे - रोग, रक्त में खनिज, दवाओं के प्रभाव और अंगों की कार्यप्रणाली आदि के बारे में जानकारी मिलती है।
इसका प्रयोग मेडीसिन के परीक्षण के लिए भी किया जाता है। सामान्य तौर पर इस प्रक्रिया को रक्त परीक्षण कहा जाता है, हालांकि अधिकांश परीक्षण रक्त में मौजूद प्लाज्मा और सीरम के आधार पर किये जाते हैं।
खून के जैव रासायनिक विश्लेषण के लिए एक बुनियादी मेटॉबोलिक पैनल सोडियम, पोटैशियम, क्लोराइड, बाईकाबरेनेट, यूरिया, मैग्नीशियम, क्रिएटीनाइन और ग्लूकोज मापता है। इसमें कभी-कभी कैल्शियम भी शामिल होता है।
खून की जांच कराने से लगभग 8 से 12 घंटे पहले तक खाली पेट रहना पड़ता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि खून में 20 फीसदी वही तत्व होते हैं जो लार में भी पाए जाते हैं, लिहाजा कई महंगे लार परीक्षणों को रक्त परीक्षण से बदला जा सकता है।
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