तेजी से फैल रहा है टेक स्ट्रेस, कहीं आप में भी तो नहीं ऐसे लक्षण?

लाइफस्टाइल में गैजेट्स का महत्व बढ़ता जा रहा है।
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तेजी से फैल रहा है टेक स्ट्रेस, कहीं आप में भी तो नहीं ऐसे लक्षण?

लाइफस्टाइल में गैजेट्स का महत्व बढ़ता जा रहा है। सुबह से शाम तक फोन व लैपटॉप में व्यस्त रहने के कारण अगर थोड़ी देर के लिए भी इनसे दूरी बनानी पड़ जाए तो मन बेचैन होने लगता है। इसी स्ट्रेस को टेक स्ट्रेस कहते हैं। आज की जीवनशैली में गैजेट्स की अहमियत को नकारा नहीं जा सकता है। हर छोटे-बड़े काम के लिए लोगों की उन पर निर्भरता बढ़ती जा रही है। पढ़ाई, बैंकिंग, एंटरटेनमेंट व न्यूज़ पढऩे जैसी बेसिक ज़रूरतों के लिए मोबाइल फोन व लैपटॉप का इस्तेमाल हर किसी की ज़रूरत  बन गया है। जहां विभिन्न ऐप्स ने हमारा काम आसान बनाया है तो वहीं समय-समय पर इन गैजेट्स से दूरी बनाए जाने की सलाह भी दी जाती है।

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क्या है टेक स्ट्रेस 

ज़रूरत से ज़्यादा मोबाइल फोन या दूसरे गैजेट्स का इस्तेमाल दिमाग को प्रभावित करता है। इन गैजेट्स से निकलने वाली सूक्ष्म तरंगें कॉर्टिकल दिमाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर असर डालती हैं, जिससे दिमाग की तर्कक्षमता भी प्रभावित होती है। कंप्यूटर या लैपटौप पर लगातार काम करते रहने से कई बार गर्दन भी अकड़ जाती है। गर्दन में दर्द या अकडऩ की वजह से गर्दन की धमनियों में ठीक प्रकार से रक्त प्रवाह नहीं हो पाता है, जिसकी वजह से खून दिमाग तक भी नहीं पहुंच पाता है। इससे मन में तनाव होने लगता है, जिसे टेक स्ट्रेस का नाम दिया गया है।

पहचानना है ज़रूरी

आज की व्यस्त व प्रतिस्पर्धा वाली जीवनशैली में बच्चों से लेकर बड़ों तक के मन पर अलग-अलग प्रकार का तनाव हावी रहता है। यहां इस बात पर ध्यान देना ज़रूरी है कि विभिन्न वजहों से उपजे तनाव को पहचानने व उसे दूर करने के तरीके भी अलग होते हैं। जानें, टेक स्ट्रेस के 

क्या हैं इसके लक्षण

  1. गैजेट्स से ज़रा भी दूरी बर्दाश्त न होना।
  2. आसपास मोबाइल फोन न होने पर भी उसकी रिंगटोन या नोटिफिकेशन टोन सुनाई देना।
  3. सोते समय भी फोन आसपास रखना या गाने सुनने/विडियो देखने की आदत होना। 
  4. सिर में अकसर दर्द होना या बेचैनी महसूस होना।
 

बचाव के कुछ तरीके

यह कहना गलत नहीं है कि किसी बीमारी का इलाज करवाने से बेहतर है कि उससे अपना बचाव किया जाए। जानें कुछ ऐसे टिप्स, जिनसे टेक स्ट्रेस को खूद पर हावी होने से बचा जा सके।

  • सोने से दो घंटे पहले से ही गैजेट्स से दूरी बना लें। इन्हें अपने बेड के आसपास तो बिलकुल न रखें।
  • ऐप्स पर निर्भर होने से बचें।
  • अगर कोई महत्वपूर्ण कॉल या मेसेज आने की संभावना न हो तो फोन को रिंगर या वाइब्रेशन मोड के बजाय साइलेंट मोड पर रखें।
  • अपने खाली समय में मोबाइल पर गेम खेलने या साइट्स सर्फ करने के बजाय उसे एक्स्ट्रा करिकुलर ऐक्टिविटीज़ में इन्वेस्ट करें।
  • जब दोस्तों या परिजनों के साथ हों तो फोन को खूद से दूर रखें।
  • कुछ समय के अंतराल पर सोशल मीडिया अकाउंट्स को डीऐक्टिवेट करते रहें।
  • हर दिन कम से कम एक घंटा ऑफलाइन रहने की आदत डालें। अगर इस दौरान आप फोन को मिस नहीं करते तो टेक स्ट्रेस के होने की आशंका कम रहती है।
  • प्रकृति या किताबों के साथ ज़्यादा से ज़्यादा समय व्यतीत करें। इससे गैजेट्स से दूर रहने की प्रेरणा मिल सकेगी।

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