हमारी जीवनशैली में आए बदलाव का सीधा असर हमारे मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ता है। कम उम्र में तनाव और अवसाद की बीमारियों ने हमारे जीवन में गहरी पैठ बना ली है। अधिक तनाव और अवसाद के गंभीर परिणाम दिमागी दौरे के रूप में भी देखने को मिलते हैं। इसके चलते अपने हर छोटे-बड़े काम के लिए उसकी निर्भरता किसी दूसरे व्यक्ति पर हो जाती है। अनके मरीजों में बोलने, समझने, लिखने, पढ़ने व स्मृति की क्षमताएं घट जाती हैं। जब ये चीजें अपने चरम पर पहुंच जाती हैं तो ब्रेन स्ट्रोक हो जाता है। हाई ब्लडप्रेशर, डायबिटीज, हाई कोलेस्ट्रॉल और अत्यधिक मोटापा स्ट्रोक के कुछ कारण हैं। वहीं हृदय रोगों के कारण भी स्ट्रोक का जोखिम बढ़ जाता है। आइए जानते हैं इस बीमारी का इलाज-
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उपलब्ध है इलाज
- इस्कीमिक स्ट्रोक का इलाज करने के लिए विशेषज्ञ डॉक्टर को जल्द से जल्द मस्तिष्क में रक्त के प्रवाह को बहाल करना होता है। दवाओं के जरिये आपातकालीन उपचार के अंतर्गत थक्के को घुलाने वाली थेरेपी स्ट्रोक के तीन घंटे के भीतर शुरू हो जानी चाहिए। अगर यह थेरेपी नस के जरिये दी जा रही है, तो जितना शीघ्र हो, उतना अच्छा है। शीघ्र उपचार होने पर न केवल मरीज के जीवित रहने की संभावना बढ़ती है बल्कि जटिलताएं होने के भी खतरे घट जाते हैं।
- इसके अलावा एस्पिरिन नामक दवा भी जाती है। एस्पिरिन रक्त के थक्के बनने से रोकती है। इसी तरह टिश्यू प्लाजमिनोजेन एक्टिवेटर संक्षेप में 'टीपीए (रक्त के थक्के को दूर करने की दवाई) का नसों में इंजेक्शन भी लगाया जाता है। टीपीए स्ट्रोक के कारण खून के थक्के को घोलकर रक्त के प्रवाह को फिर बहाल करता है।
- मस्तिष्क तक सीधे दवाएं पहुंचाना डॉक्टर पीडि़त व्यक्ति के कमर (जांघ)की एक धमनी(आर्टरी) में एक लंबी, पतली ट्यूब (कैथेटर) को डालकर इसे मस्तिष्क में स्ट्रोक वाली जगह पर ले जाते हैं। कैथटर के माध्यम से उस भाग में टीपीए को इंजेक्ट करते हैं।
- यांत्रिक रूप से थक्का हटाना:डॉक्टर यांत्रिक रूप से क्लॉट को तोड़ने और फिर थक्के को हटाने के लिए पीडि़त शख्स के मस्तिष्क में एक छोटे से उपकरण को डाल सकते हैं और इसके लिए वे एक कैथेटर का उपयोग कर सकते हैं।
अन्य प्रक्रियाएं
मरीज की स्थिति के अनुसार स्ट्रोक का इलाज करने के लिए कैरोटिड (दिमाग की ओर जाने वाली सबसे बड़ी धमनी) एंडारटेरेक्टॅमी के अंतर्गत सर्जन कैरोटिड धमनी से अवरोध(प्लॉक) को हटाते हैं। इस प्रक्रिया में, सर्जन पीडि़त व्यक्ति की गर्दन के सामने एक चीरा लगाकर कैरोटिड धमनी को खोलते हैं और कैरोटिड धमनी में रुकावट पैदा करने वाले प्लॉक हो हटाते हैं।
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