टाटा इंस्टिट्यूट के डॉक्टरों ने खोजा कैंसर का नया इलाज, दूसरी बार नहीं होगा कैंसर

Tata Institute New Cancer Treatment: क्रोमोजोन को बेअसर करने के लिए डॉक्टरों ने चूहों को रेसवेरेट्रॉल और कॉपर की प्रो-ऑक्सिडेंट टैबलेट दी।
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टाटा इंस्टिट्यूट के डॉक्टरों ने खोजा कैंसर का नया इलाज, दूसरी बार नहीं होगा कैंसर

Tata Institute New Cancer Treatment: मुंबई के टाटा इंस्टिट्यूट के डॉक्टर डॉक्टर और शोधकर्ताओं ने कैंसर के इलाज को लेकर बड़ी सफलता हासिल की है। डॉक्टरों ने एक ऐसा इलाज विकसित किया है जो कैंसर जैसी गंभीर बीमारी को दोबारा होने से रोकने में मदद करेगा।  कैंसर एक गंभीर और जीनलेवा बीमारी है और इसका इलाज भी बहुत कठिन होता है। ऐसे में टाटा अस्पताल के डॉक्टरों द्वारा खोजे गए इस ने इलाज ने कैंसर जैसी घातक बीमारी के इलाज को आसान बना दिया है। टाटा अस्पताल के खारघर स्थित एडवांस सेंटर फॉर ट्रीटमेंट, रिसर्च एंड एजुकेशन इन कैंसर (एक्ट्रेक) अस्पताल के डॉ इंद्रनील मित्रा के निर्देशन में इस ने इलाज को खोजा गया है।

चूहों पर की गई टेस्टिंग

कैंसर पीड़ित मरीज के एक बार ठीक होने के बाद दोबारा कैंसर होने के खतरे को कम करने वाले इस इलाज का सही ट्रायल भी किया जा चुका है। डॉक्टरों ने चूहों को रेसवेरेट्रॉल और कॉपर (तांबा) की जॉइंट प्रो-ऑक्सिडेंट टैबलेट दी। यह टैबलेट क्रोमोजोन को बेअसर करने में असरदार रही। करीब एक दशक से टाटा के डॉक्टर्स इस पर शोध कर रहे हैं। इस टैबलेट को फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया से मंजूरी का इंतजार है। इसके अलावा, इस उपचार में एडवांस इम्यूनोथेरेपी तकनीक भी शामिल की गई है, जो रोगी के इम्यून सिस्टम की शक्ति का उपयोग करके कैंसर को पहचानने और नष्ट करने में मदद करता है।

Tata Institute New Cancer Treatment

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एक मीडिया संस्थान से बात करते हुए अस्पताल के डॉ राजेंद्र ने बताया, "शोध के लिए चूहों में मानव कैंसर कोशिकाएं डाली गईं, जिससे उनमें एक ट्यूमर बन गया। फिर चूहों का इलाज रेडिएशन थेरेपी, कीमोथेरेपी और सर्जरी से किया गया। यह पाया गया कि जब ये कैंसर कोशिकाएं मर जाती हैं, तो वे छोटे-छोटे टुकड़ों में टूट जाती हैं, जिन्हें क्रोमैटिन कण कहा जाता है। ये कण रक्त प्रवाह के माध्यम से शरीर के अन्य हिस्सों में जा सकते हैं और जब वे स्वस्थ कोशिकाओं में प्रवेश करते हैं, तो वे उन्हें कैंसर में बदल सकते हैं।" इस स्थिति को ठीक करने के लिए छूनों को रेस्वेराट्रॉल और कॉपर (R+Cu) की प्रो ऑक्सीडेंट गोलियां दी गई थीं। इन गोलियों का सेवन करने के बाद उनके शरीर पर क्रोमैटिन कणों का प्रभाव नष्ट हो जाता है, जिससे दोबारा कैंसर होने का खतरा कम रहता है।

जून-जुलाई तक बाजार में आ जाएगी टैबलेट

शोधकर्ताओं ने कहा है कि यह नई दवा R+Cu भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) की मंजूरी मिलने पर जून-जुलाई में मार्केट में उपलब्ध होगी। कैंसर जैसी घातक बीमारी को दोबारा होने से रोकने में या दावा 30 प्रतिशत प्रभावित है और कैंसर का इलाज कराने के बाद मरीज के शरीर को विषाक्तता से बचाने में 50 प्रतिशत कारगर है।

(Image Courtesy: freepik.com)

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