जानें क्या है 'स्ट्रेस कार्डियोमायोपैथी', इसके लक्षण, खतरे और इलाज

आमतौर पर प्यार में धोखा खाए लोगों से मजाक में लोग कहते हैं कि 'दिल सच में थोड़ी न टूटता है', मगर अगर मेडिकल साइंस की मानें, तो दिल सच में टूट सकता है। दरअसल दिल के टूटने की ही बीमारी का नाम है स्ट्रेस कार्डियोमायोपैथी। इसी लिए इसे 'ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम' भी कहा जाता है।
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जानें क्या है 'स्ट्रेस कार्डियोमायोपैथी', इसके लक्षण, खतरे और इलाज


आमतौर पर प्यार में धोखा खाए लोगों से मजाक में लोग कहते हैं कि 'दिल सच में थोड़ी न टूटता है', मगर अगर मेडिकल साइंस की मानें, तो दिल सच में टूट सकता है। दरअसल दिल के टूटने की ही बीमारी का नाम है स्ट्रेस कार्डियोमायोपैथी। इसी लिए इसे 'ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम' भी कहा जाता है। ये दिल से जुड़ी एक गंभीर समस्या है, जो कई बार खतरनाक भी हो सकती है। आइए आपको बताते हैं क्या है ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम, इसके लक्षण और इलाज।

क्या है ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम या स्ट्रेस कार्डियोमायोपैथी

मेडिकल साइंस के अनुसार दिल के टूटने की ये घटना अचानक किसी बुरी खबर के मिलने पर भी हो सकती है, या फिर कोई चौंकाने वाली अच्छी खबर मिलने पर भी ऐसा हो सकता है। लेकिन दिल टूटने का मतलब ये नहीं है कि सच में दिल के टुकड़े हो जाते हैं बल्कि यहां दिल टूटने से आशय अचानक हृदय के बाएं हिस्से की मांसपेशियों का कुछ देर के लिए कमजोर पड़कर शिथिल हो जाना है। हालांकि हृदयाघात की तुलना में ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम कम खतरनाक होता है लेकिन फिर भी इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। पुरुषों की तुलना में यह महिलाओं को कहीं अधिक प्रभावित करता है। दिलचस्प बात तो यह है कि इस सिंड्रोम के शिकार 90 प्रतिशत मरीजों में 50 से 70 वर्ष के बीच की महिलाएं होती हैं।

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क्या हैं ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम के लक्षण

ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम होने पर कई बार लोग घबरा जाते हैं क्योंकि इसके लक्षण काफी कुछ दिल के दौरे के लक्षणों के जैसे ही होते हैं। इसके लक्षणों में अचानक सीने में दर्द होना, गर्दन और बांए बाजू में तेज दर्द, सांस फूलना व उल्टी होना आदि शामिल हैं। ज्यादा खुशी या दुख के समय ये लक्षण दिखने पर अक्सर लोग असमंजस में पड़ जाते हैं कि यह हार्ट अटैक तो नहीं है। डॉक्टरों के लिए भी तुरंत यह जान पाना मुश्किल हो जाता है कि रोगी को हार्ट अटैक हुआ है या वह ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम का शिकार हुआ है।

क्या खतरनाक है ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम

आमतौर पर ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम को उतना खतरनाक नहीं माना जाता है, जितना कि हार्ट अटैक या दिल की अन्य बीमारियां। इस स्थिति में थोड़ी देर रहने पर या बेहोश हो जाने के बाद रोगी ठीक हो सकता है मगर कई बार इसमें भी स्थिति गंभीर हो जाती है। इसका कारण ये है कि इसके लक्षण दिखाई देने पर यह समझना मुश्किल हो जाता है कि ये हार्ट अटैक है या सामान्य ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम। शोधकर्ताओं का मानना है कि हार्ट अटैक अक्सर सर्दियों में होते हैं, जबकि ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम के लक्षण बसंत और गर्मियों के महीनों में अधिक देखे जाते हैं।

क्या है ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम का इलाज

ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम एक ऐसी अवस्था है जिसका संबंध तनावपूर्ण या भावनात्मक घटनाओं से होता है। इस तरह के तमाम मरीजों को एस्प्रिन या ह्रदय संबंधी दवाएं दी जाती हैं, तो उन्हें आराम मिल जाता है। दवा का सेवन करने बाद लगभग सभी मरीजों की स्थिति में सुधार हो जाता है मगर फिर भी अक्सर मरीज को पूरी तरह ठीक होने तक अस्पताल में रखा जाता है क्योंकि कई बार चिकित्सक समझ नहीं पाते हैं कि ये हार्ट अटैक है या ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम। दरअसल तनाव संबंधी हार्मोन के अचानक शरीर में बढ़ जाने के कारण मरीज इस स्थिति में पहुंच जाता है।

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ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम से बचाव

ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम के एक बार के बाद दोबारा होने की कुछ प्रतिशत आशंका रहती है। इसके अतिरिक्त प्रकरणों को रोकने के लिए कोई सिद्ध चिकित्सा नहीं है, हालांकि कई डॉक्टर बीटा ब्लॉकर्स या इसी तरह की दवाएं, जो दिल पर तनाव हार्मोन के संभावित हानिकारक प्रभाव को रोकती हैं, के साथ इसके लंबे समय तक इलाज की सिफारिश करते हैं। इसे समय पर पहचानना और अपने जीवन में तनाव प्रबंध इससे बचाव के लिए बहुत महत्वपूर्ण होते हैं।

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