दांतों में संक्रमण की समस्या सिर्फ बड़ों में नहीं होती, बल्कि छोटे बच्चों और शिशुओं में भी हो सकती है। हो सकता है ये संक्रमण उस तरह न दिखे, जैसा बड़ों में दिखता है। मगर दांतों में दर्द, पानी पीने में तकलीफ, कैविटीज, दांतों में सड़न आदि भी दांतों में होने वाले संक्रमण का ही रूप हैं। दरअसल बच्चे ज्यादातर मीठी चीजें खाते हैं। इनमें से बहुत सारी चीजें जैसे- टॉफी, बिस्किट, च्यूइंग गम आदि। दांतों में चिपके रह जाने के कारण ये चीजें संक्रमण का कारण बनती हैं। शिशु के दांतों में संक्रमण के इन लक्षणों को जानें और जानें क्या है इनका उपचार।
बच्चों के दांतों में संक्रमण के लक्षण
- दांतों में दर्द होना
- दांतों का भूरा या काला हो जाना
- खाते समय दांतों में दर्द होना या पानी पीने और मीठा खाने में तकलीफ होना
- मुंह से बदबू आना
- मुंह में हर समय कड़वाहट घुली रहना
- भूख न लगना और वजन तेजी से कम होना
- बुखार आना
इन सभी लक्षणों के आधार पर आप बच्चों के दांतों में संक्रमण की समस्या को पहचान सकते हैं। संक्रमण होने पर बच्चे को जल्द किसी डेंटिस्ट को दिखाएं क्योंकि जरूरी नहीं कि बच्चे के दांतों में संक्रमण सिर्फ खान-पान की गलतियों के कारण हो। दांतों में संक्रमण कुछ बड़ी बीमारियों का भी संकेत हो सकता है।
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दांतों की परेशानियों का इलाज
बच्चों में दांतों के संक्रमण की संभावना ज्यादा होती है क्योंकि बच्चे हर समय कुछ न कुछ खाते-पीते रहते हैं। इसके अलावा बच्चों को मीठी चीजें ज्यादा पसंद होती हैं, जिसके कारण संक्रमण होने का खतरा ज्यादा होता है। आमतौर पर दांतों की सड़न, कैविटीज और बड़ी समस्याओं को किसी घरेलू उपचार से नहीं ठीक किया जा सकता इसलिए इन समस्याओं में तुरंत चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए। जबकि सांसों की बदबू, दांत दर्द जैसी छोटी समस्याओं को घरेलू उपचारों से ठीक किया जा सकता है।
क्यों खतरनाक है दांतों का संक्रमण
बच्चों में दांतों का संक्रमण खतरनाक होता है क्योंकि इसके कारण बच्चों को खाने-पीने में काफी तकलीफ का सामना करना पड़ता है। कई बार मसूड़ों में सूजन आ जाती है और दबाव पड़ने पर मवाद भी निकलने लगता है। यह गहरे संक्रमण की स्थिति में होता है। संक्रमण अगर दांतों की जड़ों तक पहुंच जाए, तो हड्डियां भी प्रभावित हो सकती हैं। इसलिए इस संक्रमण को गंभीरता से लें और इलाज करवाएं।
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कैसे करें संक्रमण से बचाव
- बच्चों को रोज सुबह-शाम ब्रश करने की आदत डालें।
- कुछ भी खाने-पीने के बाद बच्चों को कुल्ला करने की आदत डालें।
- बच्चों को मीठी चीजें ज्यादा खाने से रोकें और समझाएं।
- बच्चों को हर समय खाने की आदत है, तो इसे छुड़वाएं।
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