पसीना बहाने से कम होता है स्‍ट्रोक का खतरा

शारीरिक क्रियाकलापों के जरिये पसीना बहाने से स्‍ट्रोक का खतरा बीस फीसदी तक कम किया जा सकता है।
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पसीना बहाने से कम होता है स्‍ट्रोक का खतरा


कसरत करती महिलापसीना बहाकर कसरत करने से स्‍ट्रोक का खतरा 20 फीसदी तक कम हो जाता है। एक नए शोध के नतीजों में यह कहा गया है। इस शोध में कहा गया है कि कसरत या काम करने के दौरान पसीना बहाना बेहतर है। शोधकर्ताओं ने पाया कि जो लोग सप्‍ताह में चार बार पसीना बहाते हैं वे ऐसा नहीं करने वालों के मुकाबले स्‍ट्रोक की चपेट में कम आते हैं।

पसीना बहाकर कसरत करने से स्‍ट्रोक का खतरा 20 फीसदी तक कम हो जाता है। एक नए शोध के नतीजों में यह कहा गया है। इस शोध में कहा गया है कि कसरत या काम करने के दौरान पसीना बहाना बेहतर है। शोधकर्ताओं ने पाया कि जो लोग सप्‍ताह में चार बार पसीना बहाते हैं वे ऐसा नहीं करने वालों के मुकाबले स्‍ट्रोक की चपेट में कम आते हैं।

जहां तक पुरुषों की बात है तो सप्‍ताह में चार या उससे अधिक दिन व्‍यायाम करके पसीना बहाने वालों में स्‍ट्रोक का खतरा काफी कम देखा गया। वहीं जब बात महिलाओं की आती है, तो शारीरिक गतिविधियों और स्‍ट्रोक के बीच का सम्‍बन्‍ध साफ नजर नहीं आया।

जर्नल स्‍ट्रोक में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक इस परिणाम के लिए 45 वर्ष और उससे अधिक उम्र के 27 हजार अमेरिकियों पर औसतन 5.7 वर्ष  तक अध्‍ययन किया गया।

रिसर्च लिखने वाले डॉक्‍टर माइकल मॅक्‍डोनाल्‍ड का कहना है कि शारीरिक गतिविधियों के कारण स्‍ट्रोक का खतरा कम होने का सम्‍बन्‍ध अन्‍य कई कारकों से भी जुड़ा है। साउथ ऑस्‍ट्रेलिया यूनिवर्सिटी के हेल्‍थ साइंस में बतौर लेक्‍चरर काम कर रहे डॉक्‍टर मॅक्‍डोनाल्‍ड का कहना है कि व्‍यायाम से आपका रक्‍तचाप नियंत्रित रहता है और वजन भी काबू में रहता है। साथ ही इससे डायबिटीज होने की आशंका भी कम हो जाती है। उनका कहना है‍ कि अगर व्‍यायाम के चहुंमुखी लाभ मिलते हैं।

 

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