ब्रेड में प्रयोग किये जाने वाले केमिकल से कैंसर का खतरा

ब्रेड का नाश्ता हमारे घरों में रोजाना किया जाता है। आसानी से बनने जाने वाले इस नाश्ते को बड़ों से लेकर बच्चों तक में क्रेज होता है। पर सीएसई की रिपोर्ट के अनुसार ब्रेड का सेवन कैंसर के खतरे को बढ़ाता है।
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ब्रेड में प्रयोग किये जाने वाले केमिकल से कैंसर का खतरा

सेंटर फॉर साइंस एंड एन्वायरन्मेंट (CSE) की एक रिपोर्ट के अनुसार घरों में रोजाना खाई जाने वाली ब्रेड में कैंसर को बढ़ावना देने वाले तत्व शामिल होते है। देश की राजधानी दिल्ली में बेचे जाने वाले  ब्रेड, बन्स और रेडी-टू-ईट बर्गर-पिज्जा के 38 पॉपुलर ब्रान्ड में से 84% के सैम्पल टेस्ट में खराब पाए गए हैं। ब्रेड में हानिकारक पोटैशियम ब्रोमेट और पोटैशियम आयोडेट का इस्तेमाल किया जा रहा है।


रिपोर्ट के मुताबिक पोटैशियम ब्रोमेट और पोटैशियम आयोडेट पर बाहर के कई देशों में प्रतिबंध लगाया जा चुका है। लेकिन भारत में इन पर अब तक प्रतिबंध नहीं लगा है। इसका नतीजा है कि इख खतरनाक रसायन का ब्रेड बनाने में धड़ल्ले से इस्तेमाल किया जा रहा है। रिसर्च में पता चला है कि इनमें एक से कैंसर होने का खतरा होता है, जबकि दूसरे से थायराइड से संबंधित बीमारी हो सकती है।

ब्रेड के बारे में स्टडी में मुख्य भूमिका निभाने वाले CSE चीफ चंद्र भूषण  कहते हैं कि एक नहीं बल्कि तमाम रिसर्च यह साबित हो चुका है कि पोटैशियम ब्रोमेट पेट के कैंसर और किडनी की पथरी जैसी बीमारियों से जुड़ा हुआ है। इसी तरह से ब्रेड में पोटाशियम आयोडेट होने से शरीर में जरूरत से ज्यादा आयोडीन चला जाता है।  भूषण ने कहा, ''हमने पाया कि पोटैशियम ब्रोमेट/आयोडेट के 84% टेस्ट पॉजिटिव पाए गए। हमने थर्ड-पार्टी लेबोरेट्री के जरिए कुछ सैम्पल्स के फिर से टेस्ट भी कराए। हमने लेबल्स चेक किए और इस बारे में इंडस्ट्री और साइंटिस्ट्स से बात की।''

हानिकारक केमिकल्स के बारे में ब्रेड की जांच करने पर यह बात भी पता चली कि ज्यादा सफेद और मुलायम दिखने वाले ब्रेड ज्यादा खतरनाक हैं। वहीं ब्राउन ब्रेड और मल्टी ग्रेन ब्रेड में हानिकारक केमिकल्स की मात्रा कम पाई गई। ज्यादातर कंपनियां ब्रेड के पैकेट पर यह लिखती तक नहीं है कि वह अपने ब्रेड में पोटाशियम ब्रोमेट और पोटासियम आयोडेट का इस्तेमाल करती हैं।


Image Source-getty

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