लो फिर आ गया फरवरी-मार्च। दो ऐसे महीने जब बच्चों में परीक्षाओं के कारण अत्यधिक तनाव रहता है। तनाव के चलते न ही बच्चे ढंग से सो पाते हैं और न ही खा पाते हैं। नतीजा, न ध्यान केंद्रित हो पाता है और चेहरा भी मुरझाने लगता है। पढ़ाई की फिक्र में बच्चे देर रात तक जागते हैं, चिप्स-कुरकुरे खाते रहते हैं और अकसर भूखे पेट परीक्षा देने चले जाते हैं। अकसर सुनने में आता है कि स्कूल में बच्चे को चक्कर आ गए या वह बेहोश हो गया। इस स्थिति से बचने के लिए जरूरी है परीक्षाओं में पढ़ाई के साथ-साथ सेहत पर भी ध्यान दें।
आइए जानें कि परीक्षाओं के दिनों में कैसा हो बच्चों का आहार
(1) बच्चों को सुबह उठते ही एक गिलास गुनगुना पानी दें। उसके उपरांत कोई भी एक फल सेब या केला खिलाएं। खाली पेट फल सेहत के लिए उत्तम टॉनिक हैं और बच्चों को उर्जा भी प्रदान करते हैं।
(2) इन दिनों बच्चे इतने तनाव में होते हैं कि वे खाना-पीना भी भूल जाते हैं। माता-पिता को चाहिए कि वह बच्चों को थोड़ी-थोड़ी देर में कुछ न कुछ खिलाते रहें। उनके खाने में लंबा अंतराल न हो। अगर बच्चे थोड़ी-थोड़ी देर में कुछ खाते रहेंगे, तो उनकी ऊर्जा का स्तर बना रहेगा।
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(3) कई बार भूख लगने पर बच्चे आलू चिप्स, कोल्ड ड्रिंक, पैक्ड जूस आदि लेने लगते हैं। यह सेहत के लिए हानिकारक है। सनेक्स का सही चयन करें जैसे मुरमुरे, पॉपकॉर्न, मखाने, भुनी मूंगफली तथा भुने चने उत्तम सनेक्स हैं। ये बच्चों की उर्जा का स्तर नहीं गिरने देते एवं सेहत के लिए भी लाभदायक हैं। कोल्ड ड्रिंक की जगह ताजा फलों का रस, ग्लूकोज का पानी, शिकंजी, नारियल पानी इत्यादि दें।
(4) बच्चों को भरपूर मात्रा में सब्जियां खिलाएं, खासतौर से पालक, मैथी, मशरूम, शिमला मिर्च, बैंगन, हरी व लाल पत्ता गोभी। सब्जियों में प्रचूर मात्रा में विटामिन, रेशा एवं खनिज पाए जाते हैं। जिससे दिमाग भी अच्छा रहता है और आलस भी नहीं आता।
(5) बच्चों को बादाम, अखरोट, तरबूज, अलसी, सूरजमुखी और कद्दू के बीज भी दें। चाहे तो नाश्ते में दही में डालकर भी खा सकते हैं। मेवों और इन बीजों को खाने से दिमागी शक्ति बढ़ती है, जिससे याददाश्त तेज होती है। मेवों मे डोको साहेक्साइओनिक एसिड (डी. एच. ए.) की मात्रा काफी अधिक पाई जाती है। यह दिमाग और आंखों के लिए बहुत अच्छा है।
(6) परीक्षाओं के दिनों में जितना हो सके हाइड्रेटिड रहें। खूब पानी पियें। कैफीन (चाय, कॉफी, चॉकलेट, कोल्ड ड्रिंक्स) से दूर रहें। कैफीन से माईग्रेन वसा एवं एसिडिटी जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
(7) तली हुई चीजें जैसे पूड़ी, समोसा, कचोरी आदि का सेवन न करें। इनसे आलस तो बढ़ता ही है एवं वास की समस्या भी उत्पन्न होती है।
(8) बच्चों को ताजा बना खाना ही दें। जितना हो सके पुन: गर्म किया गया खाना न खिलाएं, क्योंकि जितनी बार खाना गर्म होगा, उतने ही पोषक तत्व नष्ट होते जाएंगे। इस बात का भी विशेष ध्यान रखें कि भोजन बासी न हो। इस मौसम में भले ही भोजन खराब न हो पर गैस की समस्या बढ़ा सकता है। जिससे उल्टी व मितली हो सकती है।
(9) रात का भोजन 8 बजे तक और नियंत्रित मात्रा में लें। आप डिनर में स्टफ रोटी, सूप एवं सब्जी बच्चों को दे सकते हैं।
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(10) बढ़ते बच्चों को प्रोटीन का सेवन जरूर करना चाहिए, जैसे अंकुरित अनाज, दालें, अंडा, सोया दूध, सोयाबीन, पनीर, टोफू, मछली इत्यादि। ध्यान रहे कि रात को प्रोटीन से दूर रहें वरना वसा एवं एसिडिटी की समस्या को पैदा हो सकती है।
(11) जब बच्चे परीक्षा देने जाएं तो उन्हें पानी की बोतल साथ में जरूर दें। चाहें तो शिकंजी, ग्लूकोज, नारियल पानी भी दे सकते हैं। बच्चों को हिदायत दें कि वे बाहर से खरीदकर कुछ न खायें।
अन्य जरूरी टिप्स
- समय सारणी बनाएं और उसके मुताबिक पढ़ें।
- परीक्षओं मे हल्के-फुल्के स्नेक्स ही खायें।
- सेलफोन एवं अन्य इलैक्ट्रॉनिक उपकरण बन्द रखें।
- एक घंटा तनाव मुक्त होकर टीवी देखें, खेलने जाए या फिर सैर करें।
- नींद के साथ बिल्कुल भी समझौता ना करें, 8 घंटे की नींद लें।
- ज्यादा पढ़ाई का दबाव महसूस ना करें।
- स्वच्छ व ताजा भोजन ही लें।
- फास्ट फूड का सेवन न करें।
- परीक्षा के लिए मन में दबाव या बोझ न लें।
- रात को देर तक ना जागें।
- अपने आप को हाईड्रेटिड रखें।
- खाली पेट दूध न पिएं।
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