दिल संबंधी रोगों के इलाज के अलावा कोलेस्ट्राल को कम करने वाली दवा स्टैटिन का इस्तेमाल न्यूरोडिजनरेटिव (तंत्रिका क्षय संबंधी) बीमारियों के विकास को रोकने में किया जा सकता है। क्वीन मैरी यूनिवर्सिटी ऑफ लंदन (क्यूएमयूएल) के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए शोध के अनुसार, मोटर न्यूरॉन डिजीज (एमएनडी) के विकास में उच्च कोलेस्ट्राल को संभावित जोखिम कारकों में पाया गया है। एमएनडी एक लाइलाज बीमारी है, जिसका असर दिमाग व नर्व पर पड़ता है और इसे एमयोट्रोफिक लैटरल स्क्लीरोसिस के नाम से भी जानते हैं।
क्या है लक्षण
इसके लक्षणों में कमजोरी, अस्पष्ट भाषण, भोजन निगलने में कठिनाई, मांसपेशियों में ऐंठन शामिल हैं। कुछ मामलों में लोगों ने अपनी सोच व व्यवहार में बदलाव महसूस किए हैं।
खराब कोलेस्ट्रॉल है बीमारी का कारण
विश्वविद्यालय के अलास्टेयर नॉयस ने कहा, "हमने देखा है कि एलडीएल कोलेस्ट्रॉल (खराब कोलेस्ट्रॉल) का उच्चस्तर बीमारी के अत्यधिक जोखिम कारक से जुड़ा है।" नॉयस ने कहा, "हमारे पास अच्छी दवाएं हैं, जो कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम कर सकती हैं और हमें देखना चाहिए कि क्या वे इस भयावह बीमारी के खिलाफ रक्षा कर सकती हैं, जो वर्तमान में लाइलाज है।"
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क्या है कोलेस्ट्रॉल
कोलेस्ट्राल एक मुलायम चिपचिपा पदार्थ होता है जो रक्त शिराओं व कोशिकाओं में पाया जाता है। शरीर में कोलेस्ट्राल का होना एक सामान्य बात है। यह शरीर के लिए आवश्यक होता है। हमारे शरीर में लगभग अस्सी प्रतिशत कोलेस्ट्राल, लीवर द्वारा बनाया जाता है और बाकी मात्रा को हमारे द्वारा लिया गया भोजन पूरा करता है। कोलेस्ट्राल एचडीएल (हाई डेन्सिटी लाइपो प्रोटीन्स) तथा एलडीएल (लो डेन्सीटी लाइपो प्रोटीन्स) दो प्रकार के होते हैं। एचडीएल को गुड कोलेस्ट्राल तथा एलडीएल को बैड कोलेस्ट्राल भी कहते हैं।
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अच्छे और बुरे कोलेस्ट्रॉल में अंतर
एचडीएल को गुड कोलेस्ट्राल इसलिए भी कहते हैं क्योंकि शरीर में इसकी अधिकता दिल के दौरे से बचाती है। डॉक्टरों का मानना है कि यह धमनियों से बैड कोलेस्ट्राल को हटाने में मदद करता है जिससे वे ब्लॉक न हो पाएं। एलडीएल (लो डेन्सिटी लाइपो प्रोटीन्स) का शरीर में बढ़ना नुकसानदायक है। इसमें प्रोटीन की मात्रा कम और फैट अधिक होती है। जब इसकी खून में मात्रा बढ़ जाती है तो यह हृदय और मस्तिष्क की धमनियों को ब्लॉक कर देता है।