बीजेपी सांसद गणेश सिंह ने गुरूवार को संयुक्त राष्ट्र आधारित शैक्षणिक संस्था की एक रिसर्च के अनुसार यह दावा किया है कि संस्कृत भाषा को रोजाना इस्तेमाल आपके नर्वस सिस्टम को तेज करता है और डायबिटीज और कोलेस्ट्रॉल को काबू में रखता है।
संस्कृत विश्वविद्यालयों के बिल पर एक बहस में भाग लेते हुए, उन्होंने यह भी दावा किया कि अमेरिकी अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन नासा के एक शोध के अनुसार, अगर कंप्यूटर प्रोग्रामिंग संस्कृत में की जाती है, तो यह दोषरहित होगा। सिंह ने कहा कि दुनिया की 97 फीसदी से ज्यादा भाषाएं, जिनमें कुछ इस्लामिक भाषाएं भी शामिल हैं, संस्कृत पर आधारित हैं।
इस तरह के दावे अक्सर राजनेताओं से सुने जाते हैं, उनके इन तथ्यों का आधार क्या है ये शायद उनको भी नहीं पता होगा। ऐसे दावों की तब पोल खुल जाती है, जब आप डायबिटीज के बारे में आप जानते हैं:
Speaking #Sanskrit keeps diabetes, cholesterol at bay: BJP MP Ganesh Singh in Lok Sabha
— Press Trust of India (@PTI_News) December 12, 2019
डायबिटीज क्या है?
डायबिटीज एक क्रोनिक मेटाबॉलिक बीमारी है, जिसमें व्यक्ति का शरीर इंसुलिन का उत्पादन अपर्याप्त मात्रा में करता है या उच्च रक्त शर्करा (ब्लड शुगर) का स्तर बढ़ने पर होता है, क्योंकि शरीर की कोशिकाएं इंसुलिन, या दोनों के लिए ठीक से प्रतिक्रिया नहीं देती हैं। डॉक्टर दिलिश मलिक कहते हैं कि "जहां तक किसी भाषा का सवाल है यह मेटाबॉलिज्म की स्थिति को रोक या ठीक नहीं कर सकती है। अभी तक ऐसे कोई भी प्रमाण नहीं मिले हैं जिनमें यह कहा गया हो कि भाषा किसी बीमारी को ठीक कर सकती है।"
टाइप 1 डायबिटीज, जो आमतौर किशोरों और बच्चों में होने वाले डायबिटीज के तौर पर जाना जाता है। इस स्थिति में शरीर में इंसुलिन का उत्पादन नहीं होता है, जिसके कारण व्यक्ति को इंसुलिन का इंजेक्शन लगाने की आवश्यकता होती है।
टाइप- 2 डायबिटीज एक ऐसी स्थिति है जिसमें कोशिकाएं इंसुलिन का सही इस्तेमाल नहीं कर पाती हैं, कई बार पूरी तरह से इंसुलिन की कमी हो जाती है।
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