सोशल फोबिया (Social Phobia) के कारण, लक्षण और बचाव

सोशल फोबिया के कारण अकसर व्यक्ति को घबराहट, पैरों में कंपन, बोलते वक्त गला सूखना आदि परेशानियां महसूस होती है। जानें कारण, लक्षण और बचाव...
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सोशल फोबिया (Social Phobia) के कारण, लक्षण और बचाव

कुछ लोगों की आदत होती है कि वे हर वक्त अकेले रहते हैं और किसी को अपने पास आने नहीं देते है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि उन्हें अकेले रहना पसंद है बल्कि यह लक्षण सोशल फोबिया का हो सकता है। जी हां, जो व्यक्ति सोशल फोबिया का शिकार होता है वह अक्सर सामाजिक समारोह में जाने से डरता है। उसे लोगों से मिलने जुलने और बातचीत करने में घबराहट महसूस होती है। वे हर वक्त अकेला रहता है। आज का हमारा लेख इसी विषय पर है। आज हम आपको अपने इस लेख के माध्यम से बताएंगे कि सोशल फोबिया के लक्षण (symptoms of social phobia) क्या हैं? साथ ही इसके कारण (causes of social phobia) और बचाव के बारे में भी जानेंगे। पढ़ते हैं आगे...

सोशल फोबिया के लक्षण (symptoms of social phobia)

जो लोग इस समस्या से ग्रस्त हो जाते हैं, उनमें निम्न लक्षण नजर आ सकते हैं-

  • 1 - घबराहट होना।
  • 2 - पसीना आना।
  • 3 - अनजान व्यक्ति से मिलने जुलने में दिक्कत महसूस करना।
  • 4 - समूह में बातचीत करने के दौरान घबराना।
  • 5 - किसी समारोह, मीटिंग या क्लास रूम में सबके सामने बोलते वक्त गले में सूखापन महसूस करना।
  • 6 - दूसरे व्यक्ति की आंखों में देख कर बातें ना कर पाना।
  • 7 - आवाज में लड़खड़ाहट।
  • 8 - सामाजिक स्थलों पर बेहोश हो जाना
  • 9 - मन में नकारात्मक विचार आना।

सोशल फोबिया के कारण (causes of social phobia)

जब कोई व्यक्ति इस समस्या का शिकार हो जाता है तो वह हर वक्त यह सोचता है कि अगर वह कुछ बोलेगा तो लोग उसका मजाक उड़ाएंगे, बोलने के दौरान उसके चेहरे के हावभाव यानि एक्सप्रेशन अच्छे नहीं लगते या उसे लग सकता है कि मेरा ड्रेसिंग सेंस अच्छा नहीं है। इन सब स्थितियों के पैदा होने के पीछे निम्न कारण हो सकते हैं-

1 - जब व्यक्ति के दिमाग में न्यूरोकेमिकल असंतुलित हो जाते हैं या उनके काम में किसी तरह की रुकावट आती है तो व्यक्ति के मस्तिष्क का एक अहम हिस्सा धीमा हो जाता है। वह हिस्सा अपना काम सुचारू रूप से नहीं कर पाता, जिसके कारण व्यक्ति दूसरों के सामने सही ढंग से अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं कर पाता।

2 - कभी-कभी कुछ अनुवांशिक कारणों को भी सोशल फोबिया के लिए जिम्मेदार माना जाता है।

3 - बचपन में जिन बच्चों पर उनके टीचर्स या माता-पिता ज्यादा रोक-टोक लगाते हैं या सख्ती बरतते हैं तो वे बच्चे सोशल फोबिया की समस्या से ग्रस्त हो जाते हैं।

4 - बचपन में अगर सामाजिक विकास पर ध्यान ना दिया जाए तो बच्चे इस मनोवैज्ञानिक समस्या का शिकार हो सकते हैं।

5 - यदि बचपन में ही बच्चों को तनावपूर्ण माहौल मिलता तब भी वह सोशल फोबिया का शिकार हो सकते हैं।

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सोशल फोबिया का इलाज (treatment of social phobia)

चूंकि यह एक मानसिक बीमारी है, ऐसे में ट्रीटमेंट के रूप में व्यक्ति को निम्न तरीकों से ठीक किया जाता है- 

1 - सेल्फ कॉन्फिडेंस का विकास बेहद जरूरी है। ऐसे में पर्सनल ग्रुमिंग से जुड़ी किताबें या वीडियोज इस समस्या को दूर करने में काम आ सकती हैं।

2 - इसके अलावा कुछ थैरेपीज जैसे- 

  • - बिहेवियर एक्स्पोज़र
  • - रिलैक्सेशन थेरेपी 
  • - कॉग्निटिव डेवलपमेंट 

इनके माध्यम से भी इस समस्या को दूर किया जा सकता है।

नोट - ऊपर बताए गए बिंदुओं से पता चलता है कि सोशल फोबिया के कारण पीड़ित व्यक्ति अक्सर घबराहट का शिकार हो जाता है और उसका सामाजिक दायरा भी छोटा हो जाता है। ऐसे में वे नए दोस्त नहीं बना पाता और ना ही खुद से अपने निर्णय ले पाता है। हर वक्त उलझन और दुविधा में रहता है। ऐसे में ऊपर बताए गए उपाय आपके काम आ सकते हैं लेकिन अगर समस्या ज्यादा गंभीर दिखे या इसका प्रभाव बच्चे की याददाश्त पर पड़े तो तुरंत एक्सपर्ट से संपर्क करना चाहिए। साथ ही अगर इलाज का असर दिखने लगे तो बीच में इलाज ना छोड़ें, पीड़ित का पूरा ट्रीटमेंट करवाएं।

ये लेख गेटवे ऑफ हीलिंग साइकोथेरेपिस्ट डॉ. चांदनी (Dr. Chandni Tugnait, M.D (A.M.) Psychotherapist, Lifestyle Coach & Healer) से बातचीत पर आधारित है।

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