
कई शोधों से यह साफ हो चुका है कि धूम्रपान सेहत के लिए खतरनाक है और यह कई बीमारियों के पनपने का कारण होता है। अब एक सर्वे से पता चला है कि धूम्रपान करने से 50 या इससे अधिक उम्र के लोगों की आंख की रोशनी भी जा सकती है।
सर्वे के अनुसार, धूम्रपान से आंख की रोशनी पर पड़ने वाले विपरीत असर को एज रिलेटिड मैक्युलर डिजेनरेशन (एएमडी) कहते है। इसमें रेटीना के क्षतिग्रस्त हो जाने के कारण आंख की रोशनी चली जाती है। नए अध्ययनों से साफ हुआ है कि धूम्रपान लोगों में दृष्टिहीनता का प्रमुख कारण बनकर उभरा है।
नेत्र चिकित्सालय 'आई क्यू रेटिना' के निदेशक दीपेंद्र वी. सिंह के मुताबिक धूम्रपान करने वाले लोगों, हृदय संबंधी बीमारियों से ग्रस्त लोगों, पराबैंगनी किरणों के प्रभाव में ज्यादा देर रहने वाले लोगों और गोरी चमड़ी वाले लोगों में एएमडी होने का खतरा सबसे ज्यादा होता है।
सिंह ने कहा कि अभी तक इसका कोई इलाज उपलब्ध नहीं है, इसलिए हम धूम्रपान छोड़ने, आंखों को पराबैंगनी किरणों से बचाने और कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित रखने की सलाह देते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार विश्वभर में एएमडी, आंखों की रोशनी जाने की तीसरी सबसे बड़ी वजह है।
एएमडी की समस्या में पहले आंख की रोशनी कम होने लगती है और इलाज न कराने पर यह स्थायी रूप से भी जा सकती है। इस बीमारी में रेटिना की चित्र ग्राही कोशिका नष्ट हो जाती है और ड्रसेन कहलाने वाले छोटे धब्बे विकसित हो जाते हैं। यही वहज है कि लोगों को धुंधला दिखाई देने लगता है।
फोर्टिस मेमोरियल इंस्टीट्यूट में नेत्र रोग विभाग के निदेशक संजय धवन ने बताया कि एएमडी के उपचार के लिए आंख में विशेष टीका लगाया जाता है। इसका इलाज कैंसर की तरह कई चरणों में होता है। गंभीर मामलों में लेजर उपचार और टीके दोनों दिए जाते हैं। चिकित्सक 50 की उम्र के आस-पास के लोगों को 'विटामिन ए' की प्रचुरता वाला भोजन जैसे मछली और हरी सब्जियां खाने की सलाह देते हैं।
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