मानसिक रूप से कमजोर लोगों को जल्दी पड़ती है स्मार्टफोन की लत, जानें क्यों?

भावानात्मक रूप से कमजोर, चिंता व अवसाद से पीड़ित लोगों में स्मार्टफोन की लत पड़ने की संभावना ज्यादा होती है।
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मानसिक रूप से कमजोर लोगों को जल्दी पड़ती है स्मार्टफोन की लत, जानें क्यों?

भावानात्मक रूप से कमजोर, चिंता व अवसाद से पीड़ित लोगों में स्मार्टफोन की लत पड़ने की संभावना ज्यादा होती है। शोध में पाया गया है कि भावनात्मक रूप से कम स्थिर होना स्मार्टफोन व्यवहार से जुड़ा हुआ है। ऐसे लोग जो अपने मानसिक स्वास्थ्य से संघर्ष करते हैं, उनमें अपने स्मार्टफोन के इस्तेमाल की संभावना ज्यादा होती है। वह फोन का इस्तेमाल चिकित्सा पद्धति के रूप में करते हैं। इसी तरह कम ईमानदार व्यक्ति के फोन के इस्तेमाल करने की लत ज्यादा होने की संभावना होती है।

निष्कर्षो से पता चलता है कि चिंता का स्तर बढ़ने से स्मार्टफोन का इस्तेमाल भी बढ़ता है। ब्रिटेन के डर्बी विश्वविद्यालय में मनोविज्ञान के प्रवक्ता जहीर हुसैन ने एक बयान में कहा, समस्या से जूझ रहे लोगों में स्मार्टफोन का इस्तेमाल पहले के विचार की तुलना में ज्यादा जटिल है और हमारे शोध में स्मार्टफोन के इस्तेमाल पर विभिन्न प्रकार के मनोवैज्ञानिक कारकों के परस्पर प्रभाव को उजागर किया गया है।

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इन 5 उपायों से बनें मजबूत

  • आप हमेशा काम में व्‍यस्‍त रहते हैं, आपके पास खुद के लिए समय नहीं है। जीवन की तमाम उलझनों ने आपको चिड़चिड़ा बना दिया है। इसलिए थोड़ा समय खुद के लिए निकालिए। एक शांत कमरे में बैठकर लंबी सांसे लीजिए, इससे तनाव दूर होगा और आपके दिमाग को आराम मिलेगा।
  • भावनात्‍मक अनुपात तभी बढ़ेगा जब आपको अपनी भावनओं की कद्र खुद हो। इसलिए आत्‍मचिंतन और आत्‍ममंथन जरूरी है। आत्‍मचिंतन के वक्‍त आप अपनी भावनाओं और अपने विचारों के बारे में सोचिये। उन पलों के बारे में सोचिये जब आपने अधिक गलतियां की थी, उन लोगों के बारे में सोचिये जिनके कारण आपकी यह स्थिति होती है। 
  • भावनात्‍मक पहलू पर आदमी की प्रकृति के साथ-साथ उसके आसपास रहने वाले लोगों का बहुत प्रभाव पड़ता है। इसलिए ऐसे लोगों की पहचान कीजिए जो आपकी भावनाओं का मजाक उड़ाते हैं, आपकी गंभीर बातों को तवज्‍जो नहीं देते। ऐसे लोगों से मेलजोल कम कीजिए, इसकी जगह ऐसे लोगों से पहचान बढ़ाइए जो आपकी फीलिंग्‍स को समझते हों। ऐसे दोस्‍तों के पास अधिक वक्‍त गुजारिये जिंहे आपके विचारों की कद्र हो।
  • भावनात्‍मक अनुपात को बढ़ाने का यह भी बहुत अच्‍छा जरिया है। रोज सुबह उठकर खुद से एक सवाल कीजिए, 'मैं कैसा महसूस कर रहा हूं' यह सवाल पूछिये और आपके मन में जो भी आये उसका जवाब लिखिये। यदि आपके मन में नकारात्‍मक विचार आ रहे हैं तो उनको दूर करने की कोशिश कीजिए। ऐसा करने से आपकी भावनायें मजबूत होंगी।
  • आप भावनात्‍मक रूप से तभी मजबूत होंगे जब आपको अपनी क्षमताओं के बारे में पता होगा। हालांकि इस दुनिया में ऐसा कोई काम नहीं जो असंभव है, लेकिन उसे करने के लिए आदमी के अंदर दृढ़संकल्‍प और विश्‍वास होना चाहिए। आपका यह दृढ़संकल्‍प और विश्‍वास आपकी भावनाओं में दिखना चाहिए। इसलिए अपनी क्षमताओं का आकलन कीजिए।

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