जर्नल जेएएमए इंटरनल मेडिसिन में प्रकाशित एक अध्ययन के मुताबिक रात को सोते वक्त अगर सभी प्रकार की रोशनी बंद कर दी जाए तो महिलाओं में मोटापे की संभावना कम हो सकती है।
इस अध्ययन में दावा किया गया कि वे महिलाएं, जो कृत्रिम रोशनी के साथ सोती हैं उनका वजन में वृद्धि और मोटापा बढ़ सकता है। जर्नल जेएएमए इंटरनल मेडिसिन में प्रकाशित इस अध्ययन में सबसे पहले रात में सोते वक्त कृत्रिम रोशनी के किसी भी संपर्क और महिलाओं के बढ़ते वजन के बीच संबंध तलाशने की कोशिश की गई।
निष्कर्षों से सामने आया कि रात को सोते वक्त रोशनी में कटौती करने से महिलाओं में मोटापा बढ़ने की संभावना कम हो सकती है। अध्ययन के मुख्य लेखक योंग-मून (मार्क) पार्क का कहना है कि शोध दर्शाता है कि महिलाओं में मोटापे की संभावनाओं को दूर करने के लिए एक व्यवहार्य सार्वजनिक स्वास्थ्य रणनीति की जरूरत है। शोध दल ने 43,722 महिलाओं से प्राप्त डेटा का प्रयोग किया। इस अध्ययन में 35 से 74 साल की उम्र की महिलाएं शामिल हुई थी, जिनका कैंसर या दिल की बीमारियों का कोई इतिहास नहीं रहा है। इसके साथ ही जब अध्ययन की शुरुआत हुई तब ये महिलाएं न तो शिफ्ट में काम करने वाली थीं, न ही दिन में सोया करती थीं और न ही ये महिलाएं गर्भवती थीं।
अध्ययन में महिलाओं से पूछे गए सवाल में ये पूछा गया कि क्या वह बिना किसी रोशनी में सोती हैं, या रात को सोते वक्त हल्की रोशनी, कमरे के बाहर रोशनी या कमरे में टीवी की रोशनी में सोती हैं। वैज्ञानिकों ने वजन, लंबाई, कमर और बॉडी मास इंडेक्स के साथ-साथ पांच वर्षों तक उनके वजन की जानकारियां जुटाईं। इस जानकारी का प्रयोग कर वैज्ञानिक रात में सोते वक्त कृत्रिम रोशनी के संपर्क में आने से महिलाओं के बढ़ते वजन और मोटापे का अध्ययन करने में सक्षम रहे।
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अध्ययन के निष्कर्ष रात में कृत्रिम रोशनी के संपर्क के स्तर में भिन्नताएं देखने को मिलीं। उदाहरण के लिए धीमी रोशनी वाले लाइटलैंप का प्रयोग वजन बढ़ने के साथ जुड़ा नहीं है जबकि वे महिलाएं जो रोशनी या टीवी देखते हुए सोती हैं उनका वजन 5 किलो या उससे कहीं ज्यादा तक बढ़ने की 17 फीसदी संभावना ज्यादा होती है। घर से बाहर वाली रोशनी और सोने के साथ वजन बढ़ने की संभावना सामान्य देखी गई है।
अध्ययन के सह-लेखक चंद्र जैक्सन ने कहा कि शहरी माहौल में रहने वाली अधिकतर महिलाओं में रात को सोते वक्त लाइट जलाना सामान्य है और इसपर विचार किया जाना चाहिए। स्ट्रीटलाइट्स, दुकानों के बाहर लगे संकेत और अन्य प्रकाश स्रोत स्लीप हार्मोन मेलाटोनिन और सर्कैडियन लय के प्राकृतिक 24 घंटे के हल्के-अंधेरे चक्र को दबा सकते हैं।
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जैक्सन ने कहा, ''इंसान दिन में सूरज की रोशनी वाले प्राकृतिक पर्यावरण और रात में अंधेरे के आदि हो चुके हैं। रात में कृत्रिम रोशनी के संपर्क में आने से हार्मोन व अन्य जैविक प्रक्रियाओं में परिवर्तन कर सकते हैं, जो मोटापे जैसी स्वास्थ्य स्थिति के जोखिम को बढ़ा सकते हैं।''
लेखकों ने स्वीकार किया कि अन्य कारक रात में कृत्रिम रोशनी और बढ़ते वजन के बीच संबंधों के बारे में विस्तार से बता सकते हैं।
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