सर्दियों में बढ़ जाती है साइनस की समस्या, तो इन 2 उपायों से पाएं राहत

मरीजों के कान के पर्दे में छेद या हड्डी गलने की समस्या के मामले भी बढ़ जाते हैं। ऐसे मरीजों के कान में रुक-रुक मवाद आता है और कान से बदबू भी आती है।
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सर्दियों में बढ़ जाती है साइनस की समस्या, तो इन 2 उपायों से पाएं राहत

कान, नाक और गले की समस्याएं आमतौर पर सर्दियों में नाक, कान और गले की समस्याएं सामने आती हैं, लेकिन कुछ सावधानियां बरतकर आप इन समस्याओं से बचे रह सकते हैं। कान की प्रमुख समस्याएं सर्दियों में कान का बहना, मवाद आना, कान बंद हो जाना, कान में भारीपन महसूस करना और सुनने की क्षमता के कम होने से संबंधित मामले कहीं ज्यादा सामने आते हैं। अक्सर ये समस्याएं जुकाम और खांसी के बाद शुरू होती हैं। सर्दियों में मरीजों के कान के पर्दे में छेद या हड्डी गलने की समस्या के मामले भी बढ़ जाते हैं। ऐसे मरीजों के कान में रुक-रुक मवाद आता है और कान से बदबू भी आती है।


ईएनटी विशेषज्ञ से परामर्श लें

कान से मवाद व बदबू आना एक गंभीर समस्या का रूप ले सकता है। कान का मवाद दिमाग की झिल्लियों में जाकर मेनिनजाइटिस (दिमागी बुखार) या दिमाग में मवाद पैदा कर सकता है। ऐसे मे मरीज को उल्टी, सिरदर्द, तेज बुखार और दौरे महसूस हो सकते हैं। यह मवाद कान के पिछले हिस्से में जाकर कान की हड्डियां भी गला सकता है। ऐसे मरीजों को शीघ्र नाक, कान, गला रोग विशेषज्ञ (ई.एन.टी.) से परामर्श लेना चाहिए। विशेषज्ञ दूरबीन विधि द्वारा कान की जांच कराते हैं। सही समय पर दवा और माइक्रो ईयर सर्जरी से समस्या को पूर्ण रूप से खत्म किया जा सकता है। साइनस की समस्या सर्दियों के मौसम में साइनस की समस्या भी बढ़ जाती है। साइनस की समस्या से ग्रस्त रोगियों को चेहरे पर भारीपन महसूस होता है और नाक बहने की समस्या पैदा हो जाती है।

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अक्सर देखा गया है। ऐसे मरीजों के लिए ई.एन.टी. विशेषज्ञ नाक की एंडोस्कोपी और सी.टी. स्कैन करवाते हैं। इस मर्ज की गंभीरता के मद्देनजर इलाज में दवाओं और फंक्शनल एंडोस्कोपिक साइनस सर्जरी का सहारा लिया जाता है। इस सर्जरी में रक्तस्राव बहुत कम होता है और मरीज को एक से दो दिनों में अस्पताल से छुट्टी मिल जाती है। टॉन्सिल और एडीनायॅड की समस्या ये दोनों समस्याएं बच्चों में ज्यादा होती हैं। पीडि़त मरीजों को अक्सर जुकाम, नाक बंद होना, गले में दर्द, बुखार और रात में सोते समय खर्राटे आना और नींद पूरी न होने की समस्याएं महसूस हो सकती हैं। टॉन्सिल और एडीनॉइड की जांच के बाद कोबलेटर विधि द्वारा रक्त रहित और दर्द रहित तरीके से सर्जरी की जाती है। इस विधि में रक्तस्राव नगण्य होता है।

ऐसे मरीजों को अस्पताल से एक दिन में छुट्टी मिल सकती है। खर्राटा भरने की समस्या टॉन्सिल और एडीनॉइड की समस्या के कारण नींद में खर्राटे भरने की समस्या उत्पन्न हो सकती है। सर्दियों में खर्राटे भरने की समस्या के कारण पहले से ही हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज की समस्या से ग्रस्त लोगों की तकलीफ बढ़ सकती है। अस्थायी रूप से खर्राटों को नियंत्रित करने के लिए कई उपकरण और प्रक्रियाएं विकसित की गईं हैं। खर्राटों का स्थाई रूप से सर्जिकल इलाज कोबलेटर विधि द्वारा संभव है।

क्‍या है साइनस

साइनस एक तरह से शरीर की खोपड़ी में जमा हवा वाली खाली जगह है। जिसे से जाना जाता है। साइनस प्रणाली नांक से ली गई सांस हवा को नमी बनाने और सिर को हल्का करने का कार्य करती है। साइनस प्रणाली सिर के माथे, सिर के पीछे, आंखों के पिछले नीचे भाग, गले के पिछले भाग में होती है। साइनस प्रणाली का ग्रसित विकार होने का मुख्य कारण संक्रामण, फंगल, बैक्टीरिया, वायरल एवं ठंडी ए.सी हवा, ठंडी बर्फीले चीजें सेवन, धूम्रपान, कैमिक्ल तेज दुगन्ध गैस है। और नांक सांस नली, वहिकाओं में रूकावट के कारण झिल्ली श्लेष्म जमना शुरू हो जाता है। नांक बन्द, नांक से सांस लेने में रूकावट, सिर दर्द, माथे पर दर्द, सर्दी लगातर रहना, नांक छिद्रों से नांक में पीला, हरा कफ जमना, ज्वर रहना, सूघंने पर गन्ध महसूस न होना, त्वचा कर रंग बदल जाना जैसे मिले जुले लक्षणों को साइनोसाइटिस बीमारी कहा जाता है।

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साइनस से बचाव के नुस्‍खे

तुलसी-लहसुन-प्याज-विक्स भाप लेना
तुलसी पत्तों, लहसुन, प्याज को विक्स के साथ अच्छे से कूटकर उबले गर्म पानी में डालकर नांक मुंह से भाप लें। तुलसी पत्ते, लहसुन, प्याज, विक्स से बनी भाप मिलकर एक अचूक औषधि की तरह काम करती है। यह विधि रोज सुबह शाम करें। तुलसी, लहुसन, प्याज, विक्स भाप स्टीम साइनस बीमारी को जल्दी करने में सहायक है।

अदरक गुड़, लहसुन मसाले सेवन
साइनस विकार से बचाने के लिए रोज सुबह शाम 1 चम्मच गुड़ और अदरक का मिश्रण खाना में फायदेमंद है। किंचन में खाने बनाने में अदरक, लहसुन, इलायची, दालचीनी, एंटीबायोटिक मसालों का इस्तेमाल करना फायदेमंद है।

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