हृदय रोगों से इस तरह बचाती है मुलेठी, जानें सेवन का सही तरीका

आयुर्वेद में मुलेठी के बारे में बताया गया है कि ये औषधि हृदय रोगों से बचाव करती है। स्वाद में मीठी मुलेठी कैल्शियम, ग्लिसराइजिक एसिड, एंटी-ऑक्सीडेंट, एंटीबायोटिक, प्रोटीन और वसा के गुणों से भरपूर होती है।
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हृदय रोगों से इस तरह बचाती है मुलेठी, जानें सेवन का सही तरीका

दिल की बीमारियां आजकल तेजी से बढ़ रही हैं। पहले हार्ट अटैक, हार्ट फेल्योर, कार्डियक अरेस्ट जैसी बीमारियों को बड़ी उम्र की बीमारी समझा जाता था मगर आजकल इन बीमारियों की चपेट में युवा भी आ रहे हैं। अलग-अलग चिकित्सा पद्धियों में इन बीमारियों के अलग-अलग इलाज और बचाव के उपाय बताए गए हैं। आयुर्वेद में भी ऐसी कई औषधियां हैं, जो इन गंभीर बीमारियों से आपको बचाती हैं। ऐसी ही एक औषधि है मुलेठी।

मुलेठी एक पौधे की लकड़ी है जो स्वाद में मीठी होती है। आमतौर पर मुलेठी को पान में स्वाद बढ़ाने के लिए प्रयोग किया जाता है। इसके अलावा सर्दी, खांसी, गले की खराश जैसी कई सामान्य बीमारियों में भी ये मीठी औषधि बहुत कारगर है। आयुर्वेद में मुलेठी के बारे में बताया गया है कि ये औषधि हृदय रोगों से बचाव करती है। स्वाद में मीठी मुलेठी कैल्शियम, ग्लिसराइजिक एसिड, एंटी-ऑक्सीडेंट, एंटीबायोटिक, प्रोटीन और वसा के गुणों से भरपूर होती है। आइये आपको बताते हैं आपके कितने काम की है मीठी मुलेठी।

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दिल की बीमारियों को रखे दूर

मुलेठी के नियमित सेवन से दिल की बीमारियों से बचाव रहता है। हालांकि अगर किसी को गंभीर हृदय रोग हो गया है, तो ऐसी स्थिति में इसका प्रयोग नहीं करना चाहिए और कुशल चिकित्सक से ही सलाह लेनी चाहिए। हृदय रोगों से बचाव के लिए मुलेठी को कुटकी के साथ मिलाकर खाना चाहिए। कुटकी भी एक शक्तिशाली आयुर्वेदिक औषधि है, जो हिमालय में पाई जाती है। आयुर्वेद दवाओं के स्टोर पर आपको कुटकी का चूर्ण आसानी से मिल जाएगा। दिल की बीमारियों से बचाव के लिए मुलेठी को इस तरह प्रयोग करें।

  • मुलेठी को सुखाकर इसे कूट लें और चूर्ण बना लें।
  • अब कुटकी के चूर्ण को मुलेठी में बराबर मात्रा में मिला लें।
  • इन दोनों चूर्ण के मिश्रण को किसी एयर टाइट जार में बंद करके रख लें।
  • ध्यान दें कि बहुत ज्यादा मात्रा में चूर्ण न बनाएं। एक बार में सप्ताह भर की खुराक पर्याप्त है।
  • मीठी मिश्री को पीसकर इसका भी चूर्ण बना लें।
  • मिश्री के चूर्ण को अलग एयर टाइट जार में बंद करें।

कैसे करेंगे प्रयोग- अब रोज खाना खाने के बाद सबसे पहले मुलेठी और कुटकी का चूर्ण 2 ग्राम की मात्रा में लें और इसमें 5 ग्राम मिश्री मिला लें। इन दोनों को एक ग्लास पानी में घोलकर पी लें। ध्यान दें कि इस औषधि का प्रयोग दिन में दो बार ही करें। अगर आपको दिल की बीमारियों के अलावा भी कोई रोग या समस्या है, तो किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से इस दवा के प्रयोग के बारे में जरूर जान लें।

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तनाव को कम करती है मुलेठी

दिल की बीमारियों की एक बड़ी वजह तनाव है। मुलेठी के सेवन से तनाव कम होता है और इसके कारण होने वाली दिल की बीमारियों से बचाव रहता है। मुलेठी एड्रिनल ग्लैंड को मजबूत बनाता है। आयुर्वेद में मुलेठी को 'अधिवृक्क शक्तिप्रदाता' यानि एड्रिनल टॉनिक कहा गया है।

मुलेठी के प्रयोग में बरतें ये सावधानियां

  • ब्लड प्रेशर के मरीज मुलेठी का प्रयोग न करें क्योंकि ये ब्लड प्रेशर को बढ़ा सकता है।
  • कोरोनरी आर्टरी रोगों के मरीजों के लिए बढ़ा हुआ ब्लड प्रेशर घातक साबित हो सकता है।
  • मुलेठी का बहुत सीमित मात्रा में प्रयोग करें। इसके ज्यादा प्रयोग से कई शारीरिक परेशानियां हो सकती हैं जैसे- सिर दर्द, सुस्ती, पानी की अधिकता, मांसपेशियों में दर्द आदि।
  • एक दिन में 5 ग्राम से ज्यादा मुलेठी का सेवन नहीं करना चाहिए।
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