खून में गंभीर इंफेक्शन से फैलता है ये खतरनाक रोग, जानिए इसके लक्षण और उपचार

शरीर में होने वाले छोटे-मोटे संक्रमण को अगर आप भी ये सोचकर नजरअंदाज कर देते हैं कि ये अपने से ठीक हो जाएंगे, तो सावधान हो जाइये। इस तरह की लापरवाही आपके लिए कई बार जानलेवा हो सकती है।
  • SHARE
  • FOLLOW
खून में गंभीर इंफेक्शन से फैलता है ये खतरनाक रोग, जानिए इसके लक्षण और उपचार


शरीर में होने वाले छोटे-मोटे संक्रमण को अगर आप भी ये सोचकर नजरअंदाज कर देते हैं कि ये अपने से ठीक हो जाएंगे, तो सावधान हो जाइये। इस तरह की लापरवाही आपके लिए कई बार जानलेवा हो सकती है। शरीर के किसी भी अंग में संक्रमण होने पर इसके बैक्टीरिया का खून में शामिल होने का खतरा बढ़ जाता है। खून में अगर गंभीर संक्रमण हो जाए, तो इस रोग को सेप्टिसीमिया, बैक्टिरीमिया या सेप्सिस कहते हैं। साधारण भाषा में इसे ब्लड पॉयजनिंग भी कहते हैं।

ब्‍लड पॉयजनिंग के बारे में सुनने पर आपके जहन में ब्‍लड में जहर आने की कल्‍पना घूमने लगती होगी। लेकिन वास्‍तवकिता में इसका जहर के साथ कुछ लेना देना नहीं होता है। यह एक खतरनाक अवस्‍था है और तत्‍काल उपचार इससे बचने की कुंजी, इसलिए इसे पूरी तरह से समझना बहुत महत्‍वपूर्ण है। ब्‍लड पायजनिंग बैक्‍टीरिया के कारण होने वाला संक्रमण है जो एक घातक स्थिति है। बहुत सारे मरीज इस अवस्‍था के निदान में विफल रहते हैं और बहुत लंबे समय तक इसे नजरअंदाज करने के कारण यह समस्‍या जानलेवा भी हो सकती है। इसलिए इस समस्‍या के बारे में पता होना जरूरी है ताकी आप बीमारी के बारे में अपने डॉक्‍टर को सही समय पर सचेत कर सकें।

जानलेवा संक्रमण है ब्‍लड पाॅयजनिंग

ब्‍लड पाॅयजनिंग को सामान्यतः सेप्टिसीमिया या सेप्सिस के रूप में भी जाना जाता है, और यह जानलेवा संक्रमण खून में बैक्टीरिया की उपस्थिति के कारण होता है। बैक्टीरिया के खून में प्रवेश करने पर यह शरीर के किसी भी भाग में संक्रमण पैदा कर ब्‍लड पाॅयजनिंग का कारण बन सकता हैं। इस संक्रमण में व्यक्ति के रक्त में श्वेत रक्त कणिकाओं की संख्या बहुत अधिक हो जाती है।

ब्‍लड पाय‍जनिंग के कारण

सेप्सिस, वायरस, फंगस, बैक्‍टीरिया और परजीवी जैसे संक्रामक एजेंटों के माध्‍यम से होता है। सेप्सिस पैदा करने वाले सबसे आम व्‍यापक रूपों में आमतौर पर पेट, फेफड़े या मूत्र मार्ग में मौजूदा संक्रमण, शैड्यूल 4 (IV) ड्रॉग्‍स उपयोगकर्ता द्वारा दूषित की गई सुई या सिरिंज और कैंसर या मधुमेह जैसे संक्रामक रोगों से ब्‍लड पाॅयजनिंग का खतरा बढ़ सकता है। ब्‍लड पाय‍जनिंग से संक्रमित होने का खतरा इन कारकों के कारण ज्‍यादा बढ़ जाता हैं:

  • हाल ही में हुई सर्जरी या बीमारी के कारण अस्पताल देखभाल की जरूरत।
  • कीमोथेरेपी या कैंसर के कारण कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली।
  • मधुमेह के कारण प्रतिरक्षा में कमी।
  • बुजुर्ग लोगों में कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली के कारण।
  • आक्रामक डिवाइस के साथ चिकित्सा उपचार।
  • रहने की अस्वास्थ्यकर स्थिति।

ब्‍लड पाय‍जनिंग के लक्षण

  • रोगी का रक्तचाप तेजी से घटना-बढ़ना।
  • हृदय की गति बढ़ जाना।  
  • रक्तस्राव होना।  
  • अन्य कई महत्वपूर्ण अंगों का अपना काम बन्द करना।
  • बुखार आना।
  • मानसिक गड़बड़ी होना।
  • डायरिया, मिचली, उल्टी और चक्कर आना।
  • त्‍वचा का पीला और चिपचिपा होना।
  • सेप्टिसीमिया के एडवांस लक्षण में चकत्ते या सारे शरीर में गहरे लाल धब्बे शामिल हैं।
  • गंभीर सेप्सिस से पीड़ित कुछ रोगियों को पेशाब की कमी का अनुभव भी हो सकता है।

ब्‍लड पाय‍जनिंग का निदान

ब्‍लड पाय‍जनिंग का आत्‍म निदान मुश्किल होता है। अगर आपको सेप्सिस है तो इसको निर्धारित करने का सबसे अच्‍छा तरीका तुरंत चिकित्‍सक से परामर्श लेना होता है। आपको इस तरह के लक्षण दिखने पर चिकित्‍सक की सलाह से तुरंत ब्‍लड टेस्‍ट, यूरीन टेस्‍ट, बलगम टेस्‍ट, स्‍टूल टेस्‍ट, एक्‍स-रे, सीटी स्‍कैन, एमआरआई स्कैन या इकोकार्डियोग्राम करवाना चाहिए। इसके इलाज के लिए संक्रमण की शुरूआत में एंटीबायोटिक दवाएं दी जाती हैं और कोशिश की जाती है कि संक्रमित अंग को आसानी से संक्रमणमुक्त किया जा सकें। इस संक्रमण का सबसे अच्छा इलाज है कि शुरूआती अवस्था में ही इसका पता लगाकर संक्रमण को रोक देना चाहिए।  
ब्‍लड पाॅय‍जनिंग से बचाव के लिए टीके, अच्छे स्वास्थ्य और हानिकारक बैक्टीरिया के प्रवेश से बचने के लिए अक्सर हाथ धोने की सलाह दी जाती है। इसके अलावा, बैक्टीरिया का संक्रमण दांतों से भी हो सकता है। इसलिए दांतों की अच्छी तरह सफाई करनी चाहिए और पूरी तरह पका हुआ भोजन ही खाना चाहिए, क्योंकि सब्जियों को अच्छी तरह पकाने से इसके बैक्टीरिया खत्म हो जाते हैं और आंतों तक नहीं पहुंच पाते।


ऐसे अन्य स्टोरीज के लिए डाउनलोड करें: ओनलीमायहेल्थ ऐप
Read More Articles On Other Diseases In Hindi

Read Next

सीखने और पढ़ने की समस्‍या है डिस्‍लेक्सिया रोग, जानें इसके लक्षण और बचाव

Disclaimer