शिशुओं और छोटे बच्चों में ऊपरी सांस नली में वाइरल संक्रमण और रोटावाइरस दस्त के मामले कुछ ज्यादा ही सामने आते हैं, जिनकी रोकथाम की जा सकती है और इनका इलाज भी संभव है...
सामान्यत: ऊपरी सांस नली का वाइरल संक्रमण बुखार, नाक बहने और खांसी के लक्षणों के रूप में सामने आता है। पांच से सात दिनों में वाइरल संक्रमण अपने आप ही ठीक हो जाता है। ऊपरी सांस नली के वाइरल संक्रमण को पैरासीटामॉल और बंद नाक को खोलने वाले नाक के सेलाइन ड्रॉप के इस्तेमाल से शीघ्र ही नियंत्रित किया जा सकता है।
सामान्यत: शिशुओं के लिए खांसी और सर्दी से संबंधित दवाओं की सिफारिश नहीं की जाती। बड़े बच्चों में खांसी की समस्या से राहत देने के लिए खांसी दबाने वाली दवाओं के तत्व जैसे डेक्सट्रोमेथोर्फन का इस्तेमाल किया जा सकता है। आम तौर पर ऊपरी सांस नली के वाइरल संक्रमण के लिए एंटीबॉयोटिक्स दवाओं की जरूरत नहीं होती है और इनके प्रयोग से बचना चाहिए।
तीन से चार दिनों से अधिक समय तक बच्चों में लगातार बुखार रहने, कान में दर्द और सांस लेने में कठिनाई होने जैसे गंभीर लक्षणों पर माता-पिता को नजर रखना चाहिए। ये गंभीर लक्षण जटिलता बढऩे की पूर्व सूचना देते हैं और इन पर तुरंत चिकित्सकीय ध्यान देने की जरूरत होती है।
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ऐसे करें बचाव
- सांस संबंधी संक्रमण को रोकने के लिए बच्चों के हाथों को अच्छी तरह से स्वच्छ रखें। अभिभावक बच्चे का हाथ साफ रखने के लिए हैंड सैनीटाइजर का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
- घर के अंदर धूम्रपान जैसे वायु प्रदूषण से बच्चे को बचाएं।
- बाल रोग विशेषज्ञ से परामर्श लेकर बच्चे को पौष्टिक भोजन दें और उसे अच्छी नींद आए, ऐसा माहौल बनाएं। घर के अंदर धूप आने की और हवा के आवागमन की अच्छी व्यवस्था करें।
- माता-पिता को बच्चों की उम्र के अनुसार टीकाकरण जरूर करवाना चाहिए।
रोटावाइरस दस्त
शिशुओं और छोटे बच्चों को प्रभावित करने वाली अन्य आम बीमारी रोटावाइरस दस्त हैं। ऐसे दस्त में सामान्यत: बुखार और उल्टी आना आदि लक्षण सामने आते हैं। कुछ बच्चों में बीमारी तीव्र होकर डीहाइड्रेशन पैदा कर सकती है।
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इलाज
- रोटावाइरस दस्त का उपचार बुखार होने पर पैरासीटामॉल देना और उल्टी रोकने की दवाएं
- देना है। इसके अलावा मुंह से पिलाया जाने वाला रीहाइड्रेशन घोल और समुचित आहार
- देना भी जरूरी है। स्वच्छता पर ध्यान देने और स्वच्छ पानी का प्रयोग करने से
- रोटावाइरस दस्त की रोकथाम की जा सकती है।