
सर्दियों का मौसम करीब है जिसके आते ही स्ट्रोक की संभावनाएं 30 प्रतिशत तक बढ़ जाती हैं। नई दिल्ली स्थित पीएसआरआई अस्पताल के एक अध्ययन में इस बात का खुलासा हुआ है। पीएसआरआई अस्पताल के न्यूरोसाइंसेज विभाग के डॉ. अमित वास्तव ने कहा कि ठंड के महीनों में सभी प्रकार के स्ट्रोक के मामलों में वृद्धि हो सकती है।
पहले हुए कई अध्ययनों के अनुसार सर्दियों के महीनों में इंफेक्शन की दर में वृद्धि, व्यायाम की कमी और हाई ब्लड प्रैशर, स्ट्रोक की बढ़ी हुई घटनाओं का कारण थे। सर्दियों के दौरान वायु काफी हद तक प्रदूषित रहती है। प्रदूषित वायु के कारण लोगों की छाती और हृदय की स्थिति और भी बिगड़ जाती है।
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स्ट्रोक के लक्षण
- मांसपेशियों का विकृत हो जाना।
- हाथों और पैरों में कमजोरी महसूस होना।
- सिर में तेज दर्द होना।
- देखने में परेशानी।
- याद्दाश्त कमजोर हो जाना।
स्ट्रोक से संभव है बचाव
स्ट्रोक से खुद को कैसे बचाया जाए और विकलांगता को रोकने के लिए क्या उपचार करने चाहिए, इस पर डॉ. सुमित गोयल ने कहा कि ऐसी अवधि में किसी भी व्यक्ति को अगर सही इलाज मिले तो उसमें काफी सुधार हो सकता है। किसी भी व्यक्ति को अगर हाथ में कमजोरी या कभी बोलने में कठिनाई होती है तो बिल्कुल सतर्क रहना चाहिए। ऐसी स्थिति में रोगी को किसी पास के अस्पताल में ले जाना चाहिए, जहां 24 गुना 7 सीटी स्कैन, एमआरआई की सेवा उपलब्ध हो। लक्षण के शुरुआती घंटे के भीतर उसका इलाज कर बचाया जा सकता है।
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क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स
बदलती जीवनशैली में सिर्फ एक बीमारी कई बीमारियों की वजह बनती जा रही है। इन्हीं जानलेवा बीमारियों में से एक है ब्रेन स्ट्रोक। हाथ-पैरों में अचानक आयी कमजोरी ब्रेन स्ट्रोक के लक्षण हो सकते हैं। ये बातें रविवार को ब्रह्मानंद नारायणा अस्पताल के न्यूरो सर्जन डॉ. एन परवेज ने कहीं। डॉक्टर्स का कहना है कि ब्रेन स्ट्रोक से देश में प्रति वर्ष एक हजार में से 1.54 व्यक्ति की मौत हो जाती है। इसमें रक्त संचरण में रूकावट आने के कुछ ही मिनटो में मस्तिष्क की कोशिकाएं मृत होने लगती हैं क्योंकि ऑक्सीजन की सप्लाई रूक जाती है और मस्तिष्क को रक्त पहुंचाने वाली नलिकाएं फट जाती हैं। इस कारण लकवा, याददाश्त जाने की समस्या, बोलने में असमर्थता जैसी स्थिति होने की संभावना होती है। इसके प्रति लोगों को जागरूक होना होगा। इस अवसर पर शहर के कई चिकित्सक उपस्थित थे।
इनपुट्स- आईएएनएस
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