तेज गर्मी में बढ़ जाता है दिल के मरीजों के लिए खतरा, नजरअंदाज न करें ये लक्षण

गर्मियों में हृदय रोगियों को धूप में अधिक समय तक रहने और अधिक श्रम करने से बचना चाहिए। इस मौसम में अधिक शारीरिक गतिविधियां स्वस्थ लोगों में भी थकावट या हीट स्ट्रोक (लू) के लक्षण पैदा कर सकती हैं।
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तेज गर्मी में बढ़ जाता है दिल के मरीजों के लिए खतरा, नजरअंदाज न करें ये लक्षण

शोले बरसाने वाली गर्म हवाएं और झुलसाने वाली तपतपाती धूप के कारण गर्मियों में लोग ज्यादा बीमार पड़ते हैं। तेज धूप का असर जब स्वस्थ आदमी को बीमार बना सकता है तब सोचिए कि ये दिल के मरीजों के लिए कितना खतरनाक हो सकता है। तेज गर्मी के मौसम में दिल के मरीजों के लिए खतरा बहुत ज्यादा बढ़ जाता है। इसलिए ऐसे लोगों को इस मौसम में विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है। आइए जानते हैं मौजूदा मौसम में दिल को कैसे रखा जाए दुरुस्त।

हाई ब्ल्ड प्रेशर और दिल के रोगों का खतरा

गर्मियों में हृदय रोगियों को धूप में अधिक समय तक रहने और अधिक श्रम करने से बचना चाहिए। इस मौसम में अधिक शारीरिक गतिविधियां स्वस्थ लोगों में भी थकावट या हीट स्ट्रोक (लू) के लक्षण पैदा कर सकती हैं। इन दिनों युवा वर्ग भी प्रतिस्पर्धा के मौजूदा दौर में अपने कॅरियर को बनाने के मानसिक दबाव में हाई ब्लड प्रेशर से ग्रस्त हो रहा है। हाई ब्लड प्रेशर अनियंत्रित होने पर हृदय संबंधी अनेक समस्याएं पैदा करता है।

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गर्मी से फैल जाती हैं रक्ति वाहिकाएं

मानव शरीर आमतौर पर लगभग 98.6 डिग्री फॉरेनहाइट के तापमान को बनाए रखता है। तापमान के थोड़ा भी अधिक बढ़ने पर पसीना पैदा करके और रक्त वाहिकाओं (ब्लड वेसेल्स) को डाइलेट कर शरीर स्वयं को ठंडा करने की कोशिश करता है, लेकिन जब पसीना शरीर को ठंडा नहीं कर पाता है और रक्त वाहिका के आकार के बड़े हो जाने के कारण दिल की धड़कन तेज हो जाती है और रक्त चाप (ब्लड प्रेशर) कम हो जाता है, तब हृदय रोगियों के लिए समस्याएं पैदा हो सकती हैं।  यह स्थिति हृदय की कार्यप्रणाली पर बहुत तनावपूर्ण असर पैदा कर सकती है।
कमजोर दिल वाले लोग अपने शरीर को ठंडा रखने के लिए पर्याप्त मात्रा में रक्त को पंप करने में असमर्थ होते हैं। इसलिए वे ब्लड प्रेशर को भी सामान्य रखने में असमर्थ होते हैं। इस कारण उनके शरीर का तापमान नुकसानदेह स्तर तक बढ़ सकता है।

हानिकारक है बढ़ता तापमान

बाहर का बढ़ता तापमान हमारे दिल पर बहुत प्रभाव डालता है। शरीर को ठंडा करने के लिए पसीने की जरूरत होती है। इस कारण हमारा शरीर स्वत: ठंडा हो जाता है, लेकिन अगर किसी कारणवश शरीर खुद को ठंडा नहीं कर पाता है, तब हमारे दिल को रक्त को पंप करने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। हृदय रोग विशेषज्ञों का कहना है कि मौसम के तापमान में बढ़ रही गर्मी के कारण पिछले चंद सालों से दिल से जुड़ी बीमारियां- खास तौर पर हार्ट अटैक के मामले बढ़ रहे हैं।

तेज गर्मी में दिल के मरीज बरतें सावधानी

आम तौर पर माना गया है कि सर्दियों में दिल के दौरे पड़ने के खतरे बढ़ जाते हैं, लेकिन विशेषज्ञों के अनुसार न केवल कंपकंपाने वाली ठंड बल्कि झुलसाने वाली गर्मी भी दिल के दौरे के खतरे को बढ़ा सकती है। इसलिए दिल के मरीजों को दोनों स्थितियों में सावधानी बरतनी चाहिए।  दिल का दौरा पड़ने की संभावना तब और बढ़ जाती है, जब कुछ दिनों तक लगातार धूप तेज होती है और तेज गर्मी होती है। इसका कारण संभवत: यह है कि शरीर की चयापचय प्रणाली (मेटाबॉलिज्म) को शरीर को 37 डिग्री सेल्सियस (98.6 डिग्री फॉरेनहाइट) के अपने सामान्य तापमान को बनाए रखने के लिए कठिन मेहनत करनी पड़ती है, जिससे दिल पर दबाव पड़ता है।

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लक्षणों की अनदेखी न करें

गर्मी के कारण होने वाले अन्य प्रकोपों के शुरुआती चेतावनी भरे लक्षणों की अनदेखी करना नुकसानदेह हो सकता है। इन चेतावनी भरे लक्षणों में...

  • सिर दर्द होना।
  • बहुत अधिक पसीना आना।
  • त्वचा का ठंडा और नमी युक्त होना।
  • ठंड लगना और चक्कर आना।
  • जी मिचलाना।
  • उल्टी और कमजोरी महसूस करना।
  • थकान महसूस करना।
  • नाड़ी का तेज चलना।
  • मांसपेशियों में ऐंठन और सांस का तेज चलना।

यदि आप इन चेतावनी भरे संकेतों को शुरुआती दौर में ही पहचान लेते हैं, ठंडे वातावरण में आराम करते हैं और पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थों का सेवन करते हैं तो पीड़ित शख्स की स्थिति में सुधार हो सकता है, अन्यथा पीड़ित व्यक्ति के लक्षण गंभीर हो सकते हैं और आपको चिकित्सकीय मदद की जरूरत पड़ सकती है।

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