दिल का दौरा पड़ने पर हृदय की मांसपेशियां क्षतिग्रस्त हो जाती है। मांसपेशियों के क्षतिग्रस्त होने के बाद ट्रोपोनिन रक्त में उत्पन्न होता है। ट्रोपोनिन का स्तर अधिक होने पर माशपेशियों को ज्यादा क्षति होती है। ट्रोपोनिन स्तर और हृदयाघात एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। बात करते हैं ट्रोपोनिन स्तर और हृदयाघात के बीच संबंध के बारे में।
ट्रोपोनिन स्तर
ट्रोपोनिन स्तर और हृदयाघात के बीच संबंध पर चर्चा करने से पहले ट्रोपोनिन स्तर और हृदय आघात क्या हैं, यह जान लेना सही होगा। ट्रोपोनिन हृदय की मांसपेशी फाइबर का एक घटक होता है। यह दिल के दौरे (हृदयाघात) का आकलन करने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला अहम हृदय मार्कर होता है। ट्रोपोनिन का कार्य बहुत ही संवेदनशील होता है, इसका निम्न और उच्च स्तर (इसके उच्च स्तर की मौजूदगी हृदय माशपेशियों की क्षति की संभावना को व्यक्त करती हैं।) हृदय की स्थिति और हृदय आघात से क्षति को दर्शाता है।
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हृदय आघात
दिल का दौरा इसलिए पड़ता है क्योंकि दिल को खून पहुंचाने वाली एक या एक से अधिक धमनियों में वसा के थक्के जमने के कारण रुकावट आ जाती है। थक्कों के कारण खून का प्रवाह अवरुद्ध होता है और पर्याप्त मात्रा में खून नहीं मिलने के कारण दिल की मांसपेशियों में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है। ऐसे में यदि जल्द खून का प्रवाह ठीक नहीं किया जाता तो दिल की मांसपेशियों की मुत्यु हो जाती है। दिल के दौरे में अधिकांश मौत थक्के के फट जाने के कारण होती हैं।
ट्रोपोनिन स्तर और हृदयाघात में सम्बन्ध
जब हृदय को प्रचुर मात्रा में ऑक्सीजन नहीं मिलती तो मांसपेशी फाइबर क्षतिग्रस्त हो जाते हैं और इसके घटक (ट्रोपोनिन सहित) ब्लड स्ट्रीम में रिस जाते हैं। हृदय आघात होने के लगभग तीन से चार घंटों के अंदर ट्रोपोनिन का स्तर बढ़ने लगता है। ये ट्रोपोनिन के दो प्रकार cTnI तथा cTnT होते हैं। ट्रोपोनिन का स्तर बारह से सोलह घंटों में अपने चरम पर होता है और लगभग दो सप्ताह तक बढ़ा हुआ ही रहता है। जब किसी मरीज को सीने में दर्द की शिकायत के बाद चिकित्सक को दिखाया जाता है तो सबसे पहले ट्रोपोनिन स्तर का पता लगाने के लिए उसके रक्त की जांच की जाती है। इसके बाद हर चार से छह घंटे में इस जांच को किया जाता है। ट्रोपोनिन का बढ़ा हुआ स्तर हृदय माशपेशियों को हुए अधिक नुकसान की जानकारी देता है। वहीं ट्रोपोनिन का निम्न स्तर छोटे हृदय आघात के बारे में जानकारी देता है।
हालांकि कुछ चिकित्सकों का कहना है कि ऐसे ब्लड टेस्ट मौजूद हैं जिनके द्वारा पहले से कहीं पूर्व हृदय आघात का पता लगाया जा सकता है।
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