एक्जिमा नवजात शिशुओं में वाला एक त्वचा रोग है। यह ज्यादातर बच्चों को प्रभावित करता है, लेकिन वयस्कों में भी होता है। एक्जिमा त्वचा में पर्याप्त नमी न होने के कारण होने वाली बीमारी है। इसके प्रकोप में बच्चे ज्यादातर आते हैं। त्वचा में लाल चक्कते और खुजली होना इसके आम लक्षण हैं। तो शरीर के किसी भी हिस्से पर हो सकता है। एक्जिमा में त्वचा पर किसी न किसी क्रैक और खुजली व सूजन वाले पैच व कभी-कभी छाले भी हो सकते हैं। एक्जिमा को एटोपिक डार्माटाइटिस भी कहा जाता है। एक्जिमा आनुवांशिक कारणों, जीवाणु संक्रमण और पोषक तत्वो की कमी के कारण होता है। डेयरी उत्पाद और नट जैसे खाद्य पदार्थ भी एक्जिमा का एक बड़ा कारण है। भारत में यह त्वचा रोग सबसे आम है। ऐसा कहा जाता है कि लगभग 20 प्रतिशत बच्चों में एक्जिमा की सूजन होती है। और 60 प्रतिशत नवजात शिशुओं में एक्जिमा देखने को मिलता है। यह किसी भी गर्मी के मौसम की तुलना सर्दियों में ज्यादा होती है।
नवजात बच्चों में एटोपिक डार्माटाइटिस
एटोपिक डार्माटाइटिस की सूजन आनुवांशिक और पर्यावरणीय कारणों से होती है। इसकी चपेट में आने वाले बच्चों को खूजली और दाने निकल आते हैं। ठंड, गर्मी और पसीना खुजली बढ़ा सकते हैं। इसके और भी कई कारण हो सकते हैं- जैसे बच्चे को नहलाने के बाद मॉइस्चराइजिंग क्रीम नहीं लगाना, जिससे बच्चे की त्वचा रूखी और खुजलीदार होती है। इसके अलावा ऊनी कपड़े, खराब साबुन और डिटर्जेंट भी हो सकता है। एक्जिमा का एक कारण पालतू जानवर भी हो सकते हैं, उनके संपर्क में आने से बच्चे को धूल काट सकती है, जिससे त्वचा का यह रोग होने की संभावना बढ़ती है। इसके अलावा आप कुछ खाद्य पदार्थ भी इसको बढ़ावा देते हैं। जैसे - दूध, दूध से बने उत्पाद, अंड़ा, मू़गफली, सोया, गेंहूं यह सब खाद्य पदार्थ एटोपिक डार्माटाइटिस केा बढ़ावा देते हैं। लेकिन यह लक्षण कुछ रोगियों में ही देखे जाते हैं। अनावश्यक बच्चों को इन जीचों को खाने से ना रोकें क्योंकि इससे उनके शरीर में पोषण की कमी हो सकती है।
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एटोपिक डार्माटाइटिस के लिए क्या करना चाहिए
- एटोपिक डार्माटाइटिस की सूजन को रोकने के लिए कई उपाय किये जा सकते हैं। सबसे प्रमुख बात कि बताए गये जोखिमों से बचा जा सकता है। इसके अलावा ऐसी किसी भी चीज के संपर्क से बचे जो आपके या आपके बच्चे की त्वचा पर एलर्जी का कराण बन सकती है।
- एक्सपर्टों का मानना है कि जन्म के बाद अगर बच्चे को नहलाने के बाद मॉइस्चराइजर का नियमित इस्तेमाल किया जाए तो यह एटोपिक डार्माटाइटिस की सूजन व खुजली को रोक सकता है। खासकर तब यदि आपके परिवार में एलर्जी राइनाइटिस या अस्थमा से प्रभावित कोई व्यक्ति है।
- बच्चे की त्वचा कोमल होती है इसलिए बच्चों की स्किन पर आप जो भी प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करें ध्यान रहे, वो हार्ड नहीं होने चाहिए।
- माता-पिता को अपने बच्चे की जरूरत से ज्यादा देखभाल करनी चाहिए। क्योंकि उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने के कारण उन्हें कोई भी बीमारी जल्दी से हो जाती है।
- बाजार में बहुत सारे बेबी स्किन केयर उत्पाद उपलब्ध हैं। ऐसे में परिवार के सदस्यों, रिश्तेदारों और बाजार में आने वाले नए-नए उत्पादों की दोस्तों द्वारा सलाह दी जाती है। लेकिन माता-पिता बच्चे की त्वचा के लिए कम सुगंधित उत्पादों का इस्तेमाल करें।
- कोशिश करें कि अच्छी कंपनियों द्वारा निर्मित उत्पाद जिनकी आपको जानकारी हो, उन उत्पादों को ही शिशु देखभाल के लिए इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
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उपचार कैसे करें
- इस बीमारी का उपचार कर इसे नियंत्रण में किया जा सकता है। उपचार में त्वचा की देखभाल विशेष रूप से शामिल है।
- गर्म पानी से रोजाना बच्चे को नहलाना चाहिए। मॉइस्चराइजिंग साबुन का इस्तेमाल करना चाहिए।
- बच्चे को बाथ कम से कम पांच से दस मिनट के लिए ही करवाना चाहिए और बच्चे को नहलाने के बाद आप बच्चे के पूरे शरीर में अच्छे से मॉइस्चराइजिंग क्रीम लगा लें।
- गंभीर स्थिति में चिकित्सक से परामर्श अवश्य लें क्योंकि यह अन्य दुष्प्रभाव भी पैदा कर सकता है।
- इसमें त्वचा इतनी खुजलीदार होती है कि बच्चे अपना समय खरोंचने में बिताते हैं, जिससे बच्चे खुजली के कारण सोते नहीं हैं। इसलिए माता-पिता भी अपने बच्चे की देखभाल करते हुए सो नहीं पाते हैं।
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- नींद की कमी और दाने व खुजली से बच्चों में तनाव हो सकता है। इससे बच्चे की दैनिक दिनचर्या व स्वभाव को भी प्रभावित कर सकता है। ऐसे में बच्चे को विशेष देखभाल की जरूरत पड़ती है।
- यदि बच्चे को उस दौरान उचित भोजन न मिले तो बच्चे का विकास प्रभावित हो सकता है। दिखाई देने वाले त्वचा के घावों के कारण बच्चे दूसरों के साथ घुल-मिल नहीं सकते, जिससे उनका सामाजिक जीवन प्रभावित होता है। ऐसे में बच्चे को संतूलित भोजन दें।
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