
गर्भावस्था में डेंगू व चिकनगुनिया से कारण व बचाव के बारे में विस्तार से जानने के लिए ये लेख पढ़ें।
गर्भावस्था में किसी भी प्रकार की बीमारी तकलीफदेह होती है। ऐसी अवस्था में डेंगू या चिकनगुनिया से पीड़ित होने पर इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं। डेंगू और चिकनगुनिया का प्रभाव गर्भवती महिलाओं और सामान्य लोगो पर एक जैसा ही होता है। इससे गर्भस्थ शिशु पर भी किसी भी तरह का प्रभाव नहीं पड़ता है। डेंगू के प्रभाव शारीरिक रूप से महिलाओं को ज्यादा कमजोर कर देते हैं। ऐसे में उन्हें अपनी सेहत का ज्यादा ख्याल रखना पड़ता है। गर्भावस्था के दौरान डेंगू और चिकनगुनिया के लक्षणों और बचाव के बारे में जानें।
डेंगू या चिकनगुनिया के कारण
मलेरिया की तरह चिकनगुनिया और डेंगू पूरे साल कभी भी हो सकता है। गर्म और नमी के मौसम में मच्छरों की प्रजनन क्षमता बढ़ जाती है। इसलिए मानसून में इसकी संभावनाएं ज्यादा हो जाती हैं। ये मच्छर दिन के समय ज्यादा काटते है। सुबह और दोपहर के समय में खासतौर से इसकी संभावनाए ज्यादा बढ़ जाती हैं। डेंगू वायरस के चार प्रकार होते हैं। अगर आप इनमें से किसी एक से पीड़ित हो गए हैं तब भी बाकी तीनों के प्रति अतिसंवेदनशील बने रहते हैं।
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डेंगू या चिकनगुनिया के लक्षण
- तेज बुखार, कपकपी
- मंसूड़ों से खून रिसना
- स्वाद ना आना, डिहाईड्रेशन
- शरीर और सिर में तेज दर्द
- उल्टी और जी मिचलाना
- कई मामलों मे प्लेटलेट्स कम हो जाना
- शरीर के ऊपरी हिस्से में रैशेज
- प्लेटलेट्स कम होने की वजह से ब्लूप्रेशर कम होना
डेंगू या चिकनगुनिया से बच्चे को खतरा
इससे आपके गर्भ में बच्चे को कुछ खतरे हो सकते हैं। बच्चे का जन्म समय से पहले हो सकता है। जिसके कारण उसका पूरा विकास नहीं हो पाता है। बच्चे के वजन पर भी असर डालता है। गर्भावस्था के शुरूआती महीनों में डेंगू या चिकनगुनिया होने से गर्भपात का खतरा भी रहता है। अगर डेंगू की वजह से आपको हेमरैजिक (hemorrhagic) बुखार हो जाता हैतो यह बच्चे के लिए बहुत खतरनाक साबित हो सकता है। डेंगू बच्चे पर सीधा प्रभाव नहीं डालता। पर आपकी शारीरिक समस्यायों के कारण बच्चे पर इसका प्रभाव पड़ सकता है। हालांकि आपका बुखार बच्चे पर किसी भी तरह का प्रभाव नहीं डालता है। डिलीवरी के समय अगर आपको डेंगू या चिकनगुनिया हो जाए तो बच्चे में बुखार और प्लेटलेट्स की कमी देखी जा सकती है।
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गर्भावस्था में डेंगू या चिकनगुनिया में इलाज
- डेंगू या चिकनगुनिया के लिए गर्भावती महिला का इलाज भी सामान्य मरीजों की तरह ही होता है। इसकी पहचान के लिए रक्त परीक्षण किया जाता है। डिहाइड्रेशन, उल्टी आदि की समस्या से बचने के लिए ढेर सारा पानी और ताजा जूस पीने की सलाह दी जाती है ताकि एम्ब्रायोनिक फ्लूड का स्तर सामान्य बना रहें।
- बुखार को नियंत्रण में रखने और जोड़ो मांसपेशियो के दर्द के लिए पेन किलर दी जाती है। गर्भावस्था के दौरान बिना डॉक्टर की सलाह के किसी भी तरह की दवा का सेवन नुकसानदायक हो सकता है। ऐसे में एस्प्रिन या उससे संबधित दवाइयों का सेवन बिल्कुल भी ना करें।
गर्भावस्था में डेंगू व चिकनगुनिया से बचाव
- ये साफ पानी में पनपते हैं। ऐसी स्थिति में आपको अपने घर के कूलर, फूलदान और जहां कहीं भी पानी जमा होने की जगह हो, को साफ कराते रहना चाहिए। अपने आसपास की सफाई पर आपको ध्यान देना चाहिए।
- मच्छरों से बचने के लिए आपको हल्के रंग के पूरी आस्तीन वाले कपड़े पहनने चाहिए।
- मच्छरों से बचने के लिए आप मच्छर भगाने वाली क्रीम भी लगा सकती हैं। अपने कमरे मे भी मच्छरों को भगाने वाला स्प्रे करें या क्वाइल लगाएं। ठंडे कमरे में रहने की कोशिश करें, क्योंकि मच्छर ज्यादातर गर्म जगहों पर पनपते हैं।
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