ऐसा माना जाता है कि आयुर्वेद का ज्ञान हिंदू मान्यता के अनुसार सबसे प्राचीन ग्रंथ ऋगवेद में वर्णित है। उसके बाद से हजारों सालों की तपस्या, साधना, अनुभव है ज्ञान के आधार पर ऋषियों-मुनियों ने इसकी और अधिक खोज की है। धर्म में आयुर्वेद का जो भी महत्व हो, लेकिन आज के समय में आयुर्वेक एक चिकित्सा पद्धति के रूप में जानी जाती है। आयुर्वेद में बताए गए तमाम नियम आज वैज्ञानिक प्रयोगों द्वारा सिद्ध कर लिए गए हैं, जिससे पश्चिमी देशों में भी आयुर्वेद धीरे-धीरे अपनी जगह बना रहा है।
भारत आयुर्वेदिक चिकित्सा के उद्भव का केंद्र रहा है। इसलिए भारत में अन्य देशों की अपेक्षा आयुर्वेद के महत्व को जानने-समझने वाले ज्यादा हैं। हम सभी के घरों में प्रचलित तमाम घरेलू नुस्खे और सरल घरेलू इलाज के तरीके दरअसल आयुर्वेद के सिद्धातों से ही निकले हैं।
एलोपैथी में जहां रोगी के लक्षणों के आधार पर इलाज किया जाता है। आयुर्वेद यह मानता है कि अगर शरीर में कोई विकार है तो उसका असर रोगी के मन पर पड़ेगा और अगर मन में कोई विकार है, तो उसका असर रोगी के शरीर पर पड़ेगा। इसका अर्थ है कि आयुर्वेद शरीर और मन दोनों को साधकर चिकित्सा की बात करता है। जनमानस में आयुर्वेद का महत्व इसलिए भी बहुत ज्यादा है क्योंकि इसमें बताई गई सभी औषधियां प्रकृति से प्राप्त होती हैं। इसलिए शरीर पर आयुर्वेदिक दवाओं के दुष्प्रभाव विशेष परिस्थितियों में ही दिखाई देते हैं, अन्यथा आयुर्वेदिक दवाएं लगभग साइड इफेक्ट रहित मानी जाती हैं।
वर्तमान कोरोना वायरस महामारी के आने के बाद आयुर्वेद की तरफ एक बार फिर से सभी की निगाहें हैं। इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए तो आयुष मंत्रालय सहित दुनियाभर के तमाम हेल्थ एक्सपर्ट्स आयुर्वेद को सबसे बेहतर मानते हैं। इसलिए आज आप भी परखें अपना आयुर्वेदिक ज्ञान और जानें कि अपने देश की इस सबसे प्राचीन विज्ञान के बारे में कितना जानते हैं आप? ये क्विज खेलें और परखें अपना ज्ञान।
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