
फाइबरग्लास कास्ट प्लास्टर की तुलना में वाटर प्रूफ होते हैं और साथ ही ये आपको रोजमर्रा के काम को आसानी से करने में मदद करता है। सबसे अच्छी बात ये है कि ये रंग-बिरंगा और ट्रांसपेरेंट होता है।
आमतौर पर हड्डी टूटने के तीन बड़े संकेत होते हैं-दर्द, चोट की जगह का फूलना और शरीर का कोई अंग टेढ़ा-मेढ़ा होना। पर जब भी हमें चोट लगती है, तो हमें यही लगता है कि हमारी कोई हड्डी टूट न गई हो या कोई फ्रैक्चर न आया हो। पर ऐसा हमेशा नहीं होता। वहीं चोट के बाद अगर कोई हड्डी चमड़ी से उभरी हुई मालूम होती है, तो ये अच्छा है क्योंकि फिर ये कोई अंदरूनी चोट नहीं है। वहीं हादसे के वक्त आपको एक दम से झटका लगे और हड्डी चटखने की आवाज आए या तेज दर्द हो, तो इसका मतलब ये है आप की हड्डी टूट गई है। हड्डी टूटने के बाद डॉक्टर अक्सर आपके फ्रैक्चर को हील करने के लिए टूटी हुई हड्डियों को जोड़कर उस पर प्लास्टर कर देते हैं। पर ये प्लास्टर बहुत से लोगों को एक झंझट लगता है। इसे लगाकार व्यक्ति पानी वाले काम नहीं कर पाता है और साथ ही कुछ दिनों में ये गंदा भी लगने लगता है। पर आज बाजार में इसके कई विकल्प हैं, आइए हम आपको बताते हैं इसके बारे में।
प्लास्टर ऑफ पेरिस से बनने वाले कास्ट-
टूटी हुई हड्डियों और घायल जोड़ों और टेंडेंस की सर्जरी के बाद हड्डियों को जोड़ने के डॉक्टर अक्सर कास्ट (Cast) और स्पिलंट्स (splints) का उपयोग करते हैं। 1970 के दशक तक, प्लास्टर ऑफ पेरिस के साथ सबसे आम प्रकार की कास्ट बनाई गई थी। इसमें गाढ़ा पेस्ट बनाने के लिए पानी के साथ सफेद पाउडर मिलाया जाता है। एक प्लास्टर कास्ट लगाने से पहले, एक डॉक्टर चोट वाले एरिया के ऊपर पतले, जालीनुमा सामग्री से बना एक स्टॉकइनेट लगाता है। इसके बाद वे इस पेस्ट लगाने से पहले चोट के चारों ओर नरम कपास की कई परतें लपटेते हैं। फिर उस पर इस पेस्ट से एक मोटी परत बना कर लगा देते है। जिसे हम आम भाषा में प्लास्टर कहते हैं।
प्लास्टर करवाना आम आदमी के लिए काफी किफायती होता है। इसके साथ ही चोट वाली जगह पर प्लास्टर कास्ट करना आसान भी होता है। पर इसमें देखभाल करने की बहुत आवश्यकता होती है। जैसे कि-
- प्लास्टर गीला न हो क्योंकि यह प्लास्टर को दरार या खराब करने का कारण बन सकता है।
- प्लास्टर कास्ट में नहाने में मुश्किल होती है। इसके लिए प्लास्टर को प्लास्टिक की कई परतों में लपेटने की आवश्यकता होगी।
- उन्हें पूरी तरह से सख्त होने में भी कई दिन लगते हैं, इसलिए आपको कास्ट मिलने के बाद कुछ दिनों के लिए आप की रोज की गतिविधियां सीमित हो जाती हैं।
- प्लास्टर काफी भारी होता है, ऐेसे में छोटे बच्चों को इसमें काफी परेशानी होती है।
इसलिए जरूरी है कि अब समय के साथ आप अपने प्लास्टर के ऑप्शन को बदलें। इसके लिए आप बाजार में उपलब्ध सिंथेटिक प्लास्टर को चुन सकते हैं। आइए हम आपको बताते हैं सिंथेटिक प्लास्टर के बारे में।
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सिंथेटिक प्लास्टर -
आज, सिंथेटिक प्लास्टर का उपयोग प्लास्टर की तुलना में ज्यादा हो रहा है। ये आमतौर पर फाइबरग्लास (Fiberglass- a type of moldable plastic) से बने होते हैं, जो कि एक प्रकार का मोल्डेबल प्लास्टिक है। फाइबरग्लास कास्ट प्लास्टर के रूप में एक समान तरीके से लागू होते हैं। इसमें टूटी हुई जगह पर एक स्टॉकिनेट को रखा जाता है, फिर नरम कपास गद्दी में लपेटा जाता है। फाइबरग्लास को तब पानी में भिगोया जाता है और इस क्षेत्र के चारों ओर कई परतों में लपेट दिया जाता है। फाइबरग्लास कुछ ही घंटों में सूख जाता है और आप इसके बाद आराम से घुम सकते हैं।
सिंथेटिक कास्ट प्लास्टर के फायदे-
- फाइबरग्लास प्लास्टर वाटर प्रूफ होता है।
- ये प्लास्टर ऑफ पेरिस की तुलना में अधिक झरझरा और ट्रांसपेरेंट है, जिसके कारण बिना प्लास्टर हटाए आप अपनी हड्डी का एक्स-रे करवा सकते हैं।
- फाइबरग्लास प्लास्टर हड्डियों को सांस लेने का मौका देती है।
- इसे पहनने में अधिक सुविधा होती है। यह त्वचा में जलन को कम कर देता है।
- फाइबरग्लास कास्ट प्लास्टर की तुलना में कम वजन वाले होते हैं।
- फाइबरग्लास कास्ट रंग-बिरंगा होता है, जिसके कारण आपको गंदगी कम महसूस हो सकती है।
- फाइबरग्लास प्लास्टर वाटर प्रूफ कास्ट होने के कारण आपकी जीवनशैली को बेहतर बनाने में मदद करता है
- फाइबरग्लास के कास्ट को पहनने में बस 10 मिनट का समय लग सकता है।
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फाइबरग्लास के कास्ट हटाने में भी परंपरागत प्लास्टर से आसान है। जब हड्डी ठीक हो जाती है, तो एक विशेष ब्लेड के साथ प्लास्टर कास्ट हटाया जाता है। जबकि इस प्लास्टर को पीओपी प्लास्टर से ज्यादा आसनी से हटाया जा सकता है। इसलिए आप कोशिश करें कि एक बार सिंथेटिक प्लास्टर का इस्तेमाल करके देखें।
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