घर में आपस में लड़ते हैं बच्चे, तो इन 5 तरीकों से समझाएं उन्हें

बच्चे जब नासमझ होते हैं तब अक्सर छोटी-छोटी बात पर घर के दूसरे बच्चों से लड़ते-झगड़ते हैं। कई बार ये नौबत मार-पीट तक आ जाती है। कुछ मामले में बच्चे गुस्से में गाली-गलौज करना भी सीख जाते हैं। ऐसे में मां-बाप के तौर पर उन्हें समझाना आपकी जिम्मेदारी है।
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घर में आपस में लड़ते हैं बच्चे, तो इन 5 तरीकों से समझाएं उन्हें

बच्चे जब नासमझ होते हैं तब अक्सर छोटी-छोटी बात पर घर के दूसरे बच्चों से लड़ते-झगड़ते हैं। कई बार ये नौबत मार-पीट तक आ जाती है। कुछ मामले में बच्चे गुस्से में गाली-गलौज करना भी सीख जाते हैं। ऐसे में मां-बाप के तौर पर उन्हें समझाना आपकी जिम्मेदारी है ताकि आपके बच्चे बुरी बातें न सीखें और उनमें आपस में ईर्ष्या या बदले की भावना न पनपे। भाई-भाई या भाई-बहन में छोटी-मोटी लड़ाई उनके आपस के प्यार को बढ़ाती है मगर कई बार अगर लड़ाई ज्यादा हो जाए तो बच्चे एक दूसरे से ईर्ष्या करने लगते हैं और मार-पीट भी कर लेते हैं। ऐसे में इन टिप्स की मदद से आप ऐसे बच्चों को समझा सकती हैं और उनकी आदतें कंट्रोल कर सकती हैं।

बच्चों को एक दूसरे की खूबी लिखने को कहें

जब बच्चे सामान्य हों और खुश हों, तो घर में मौजूद सभी बच्चों को एक दूसरे की खूबी लिखने को कहें। बच्चे जितना हो सकता है अपने भाई या बहन की तारीफ लिखें। इसके लिए आप उन्हें एक छोटी सी डायरी दे सकते हैं और एक दूसरे की खूबियां लिखने के बाद उन्हें कुछ गिफ्ट दे सकते हैं।
अब जब कभी ये बच्चे आपस में लड़ें-झगड़ें, तो उन्हें अपने भाई या बहन की खूबियां लिखी हुई डायरी दें और बताएं कि वो इतनी सारी अच्छी बातों के होते हुए भी छोटी बात के लिए भाई-बहन से झगड़ रहे हैं।

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एक दूसरे के मदद की याद दिलाएं

बच्चे जब आपस में झगड़ें, तो उन्हें एक दूसरे के मदद की याद दिलाएं। अक्सर घर के बच्चे छोटे-मोटे कामों में एक-दूसरे की मदद करते हैं लेकिन जब आपस में लड़ते हैं तब उन्हें एक-दूसरे की गलतियां ही दिखाई देती हैं। ऐसे में आप झगड़े के समय बच्चों को याद दिला सकते हैं कि किस तरह उनके भाई/बहन ने उनकी मदद की थी।

बच्चों की पूरी बात सुनें

अक्सर लड़ाई-झगड़े के बाद बच्चे एक-दूसरे की शिकायत लेकर आपके पास आते हैं। ऐसे समय में तुरंत किसी एक बच्चे को कुछ कहने या समझाने से पहले बच्चों की पूरी बात सुनें। जब आप दोनों पक्षों की पूरी बात सुनते हैं, तो आप दोनों को ठीक से समझा सकते हैं। इसके अलावा इसमें एक साइकोलॉजी भी है कि जब बच्चे एक-दूसरे की गलतियां आपसे बता देते हैं, तो उनका गुस्सा धीरे-धीरे शांत हो जाता है।

पक्षपात न करें

कई बार मां-बाप बच्चों के झगड़ों का फैसला करने में पक्षपात करते हैं जैसे- अक्सर छोटे बच्चे के हक में निर्णय देना या अक्सर बड़े बच्चे को गलती का जिम्मेदार मानना आदि। मां-बाप अक्सर ये बात कहते हुए पाए जाते हैं कि, "वो तो छोटा है इसलिए ऐसा कर रहा है मगर तुम बड़े हो, तुम्हें समझना चाहिए था" ऐसी बातों से बच्चों में एक-दूसरे के लिए ईर्ष्या की भावना पैदा हो सकती है इसलिए गलती करने पर किसी एक बच्चे की बजाय दोनों बच्चों को समझाएं।

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दूसरे काम में उलझाएं

जब बच्चे ज्यादा लड़ें और उनके बीच का झगड़ा खत्म न हो रहा हो, तो उन्हें किसी काम में उलझा दें। जैसे उन्हें कुछ खाने की चीज बनाकर दें या खेलने के लिए भेज दें या कोई काम कह दें। इससे बच्चे जब दूसरे कामों में बिजी हो जाएंगे, तो झगड़े की बात भूल जाएंगे।

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