अगर किसी भी रूप में आप तंबाकू का सेवन (सिगरेट, बीड़ी, हुक्का, तंबाकू का पान आदि) करते हैं, तो यह समझें कि अपनी जिंदगी और सेहत के साथ दुश्मनी मोल ले रहे हैं। तंबाकू की लत में फंसे व्यक्ति यह संकल्प लें कि उन्हें अपनी सेहत के इस दुश्मन को हमेशा के लिए छोड़ देना है। इस संदर्भ में विवेक शुक्ला ने बात की कुछ विशेषज्ञ डॉक्टरों से... धूम्रपान एक ऐसा 'जहर' है, जो धीरे-धीरे शरीर के कई आंतरिक अंगों को कमजोर करता है। धूम्रपान से होने वाली समस्याओं से बचाव का एक ही उपाय है कि इसे शीघ्र ही छोड़ दिया जाए। दुर्भाग्यवश धूम्रपान के कारण अगर किसी रोग से ग्रस्त हो ही जाएं, तो मेडिकल साइंस में हुई प्रगति के कारण अब इस रोग का इलाज संभव है।
विष के समान है तंबाकू
तंबाकू अनेक बीमारियों का एक प्रमुख कारण है। तंबाकू से निर्मित उत्पादों के सेवन से न सिर्फ व्यक्तिगत, शारीरिक, और बौद्धिक नुकसान हो रहा है बल्कि समाज पर भी इसके दूरगामी आर्थिक, दुष्प्रभाव दिखाई देने लगे है। हालात यह है कि ग्लोबल एडल्ट टोबेको सर्वे (सन् 2016-17) की रिपोर्ट के अनुसार देश में 15 वर्ष से अधिक आयु के लोगों में से लगभग 10 करोड़ लोग सिगरेट या बीड़ी का सेवन करते हैं।
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विश्व में तंबाकू के उपभोग के कारण 70 लाख व्यक्तियों की प्रतिवर्ष मृत्यु हो जाती है। उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार लाखों लोग तंबाकू की खेती और व्यापार से अपनी आजीविका कमाते हैं। ऐसे में स्वाभाविक रूप से यह प्रश्न उठता है कि इन विरोधाभासों का हल कैसे संभव है। दरअसल तंबाकू की समस्या का हल हर स्तर पर इच्छा शक्ति से जुड़ा हुआ है। फिर चाहे यह इच्छा शक्ति तंबाकू से निजात दिलाने की हो या फिर तंबाकू छुड़ाने का प्रयास करने वाले लोगों की, उसके घर वालों की हो अथवा नियम कायदे-कानून और सरकारों की हो।
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धूम्रपान से नुकसान
धूम्रपान के इस्तेमाल से चार हजार हानिकारक रासायनिक पदार्थ निकलते हैं, जिनमें निकोटीन और टार प्रमुख हैं। विभिन्न शोध-अध्ययनों के अनुसार लगभग 50 रासायनिक पदार्थ कैंसर उत्पन्न करने वाले पाए गए हैं। तंबाकू सेवन और धूम्रपान के परिणामस्वरूप रक्त का संचार प्रभावित हो जाता है, ब्लड प्रेशर की समस्या का जोखिम बढ़ जाता है, सांस फूलने लगती है और नित्य क्रियाओं में अवरोध आने लगता है। धूम्रपान से होने वाली प्रमुख बीमारियां-ब्रॉन्काइटिस, एसिडिटी, टी.बी., ब्लड प्रेशर, हार्ट अटैक, लकवा, माइग्रेन, सिरदर्द और बालों का जल्दी सफेद होना आदि है।
बढ़ता है कैैंसर का खतरा
तंबाकू से लगभग 25 तरह की शारीरिक बीमारियां और लगभग 40 तरह के कैंसर हो सकते हैं। इनमें मुंह का कैंसर, गले का कैंसर, फेफड़े का कैंसर, प्रोस्टेट का कैंसर, पेट का कैंसर और ब्रेन ट्यूमर आदि प्रमुख रूप से शामिल हैं। तंबाकू व धूम्रपान से हो रहे विभिन्न प्रकार के कैंसरों में विश्व में मुख का कैंसर सबसे ज्यादा होता है। तंबाकू के कारण 45 लाख लोग प्रतिवर्ष हृदय रोग से पीडि़त होते हैं और 40 लाख लोग प्रतिवर्ष फेफड़े से संबधित बीमारियों से ग्रस्त होते हैं।
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धूम्रपान बंद करने के फायदे
धूम्रपान बंद करने के कुछ ही घंटों के अंदर फायदे दिखाई देने लगते है। 8 घंटों के अंदर कार्बन मोनोऑक्साइड और निकोटिन की मात्रा खून में 50 प्रतिशत तक कम हो जाती है और खून में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ जाती है। 25 घंटे में कार्बन मोनोऑक्साइड शरीर से पूरी तरह से बाहर हो जाती है और 48 घंटों में निकोटिन शरीर से बाहर निकल जाती है। धूम्रपान बंद करने के एक वर्ष के भीतर दिल की बीमारियां की आशंका 50 प्रतिशत तक कम हो जाती है। फेफडे का कैंसर होने की आशंका 10 से 15 वर्षों में 50 प्रतिशत तक कम हो जाती हैं। शरीर में रक्त का संचार सुचारु रूप से होने लगता है और शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा अच्छी हो जाती है, ब्रॉन्काइटिस व सांस तंत्र के अन्य रोगों की आशंका भी काफी कम हो जाती है।
तंबाकू मुक्त भारत के लिए सुझाव
तंबाकू सेवन से हो रहे दुष्प्रभावों के मद्देनजर भारत सरकार ने कुछ व्यापक कदम उठाए हैं। इस संदर्भ में सीओटीपीए एक्ट, 2003 के अंतर्गत तंबाकू या उससे बने पदार्थो का प्रचार-प्रसार, खरीद फरोख्त (बिक्री) और वितरण पर सख्ती से रोक लगाने की बात कही गई थी। 31 मई 2004 को विश्व तंबाकू निषेध दिवस पर इस कानून को कार्यान्वित किया गया। भारत सरकार ने इसी क्रम में तंबाकू उत्पादों के पैक पर तंबाकू विरोधी सचित्र चेतावनी देने का निर्णय लिया जा चुका है।
डॉ.सूर्यकांत त्रिपाठी
प्रमुख:रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग,
केजीएमयू, लखनऊ
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