खाना सबको अच्छा लगता है मगर कुछ लोगों को यानि ओवरईटिंग जरूरत से ज्यादा खाने की लत होती है। आमतौर पर हम सभी जानते हैं कि ओवरईटिंग से मोटापा हो जाता है। आपके शरीर को रोज एक निश्चित मात्रा में ही कैलोरी की जरूरत होती है। जब आप जरूरत के अतिरिक्त कैलोरी लेते हैं, तो शरीर इसका उपयोग नहीं कर पाता है और यही कैलोरी फैट के रूप में आपके शरीर में जमा होती रहती है। इसी कारण से मोटापा तेजी से बढ़ने लगता है। लेकिन क्या आपको पता है कि ओवरईटिंग से सिर्फ मोटापा नहीं बल्कि अन्य कई रोग जैसे दिल की बीमारियां, किडनी की बीमारियां और लिवर की बीमारियां आदि भी हो सकती हैं।
किडनी की होती है समस्या
जरूरत से ज्यादा खाने से क्रॉनिक किडनी डिजीज का खतरा बढ़ जाता है। जब आपका वजन बढ़ता है, तो आपका बॉडी मास इंडेक्स यानि बीएमआई भी बढ़ता है। दरअसल किडनी का मुख्य काम आपके शरीर के तत्वों को फिल्टर करना और शरीर में मौजूद टॉक्सिन्स को बाहर निकालना है। जो लोग ओवरईटिंग करते हैं उनके शरीर में फैट के साथ-साथ प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट भी बढ़ जाता है। इन सभी तत्वों को फिल्टर करने में किडनी को ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है। इसके अलावा ज्यादा फैट बढ़ने से आपका मेटाबॉलिज्म भी घट जाता है। इसलिए किडनी फेल होने और पथरी होने का खतरा बढ़ जाता है।
लोग क्यों करते हैं ओवरईटिंग
नियमित रूप से ओवरईटिंग करने वाले लोग बिंज ईटिंग डिसॉर्डर का शिकार होते हैं। ईटिंग और ओवरईटिंग में अंतर है। भूख का मतलब है कि हमारा शरीर संकेत दे रहा है कि उसे ऊर्जा की ज़रूरत है और हमें कुछ खाना चाहिए। लेकिन जब आपका शरीर भोजन को देखता, सूंघता या भोजन के बारे में सोचता है, तो मस्तिष्क तुरंत खाने का संकेत देने लगता है। ऐसे में अगर आप पेट भरा होने के बावजूद खाते हैं तो वह ओवरईटिंग होती है।
तनाव भी है ओवरईटिंग का कारण
कई बार जब व्यक्ति अत्यधिक तनाव में होता है तो उसके खाने की इच्छा और तीव्र हो जाती है। यह स्ट्रेस ईटिंग उन लोगों में अधिक होती है, जो जल्द से जल्द तनाव से बाहर आना चाहते हैं। लेकिन यह हानिकारक है, क्योंकि अत्यधिक तनाव के समय बिना सोचे-समझे खाने से थोड़ी देर के लिए शरीर को ऊर्जा मिल जाती है, पर शरीर पर इसके हानिकारक प्रभाव होते हैं। इस बात का ख़याल रखें।
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ज्यादा खाएं फाइबर वाले आहार
भोजन में फाइबर की मात्रा बढ़ाएं। ये ना सिर्फ आपके स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद होता है बल्कि सुपाच्य भी होता है। इसलिए दालें, अनाज व चोकर युक्त आटे का ही उपयोग करें । हां सप्ताह में कभी-कभी स्वाद बदलने के लिए आप थोड़ा चटपटा खा सकते हैं। आपकी प्लेट में जितना ज्यादा खाना होगा आप उतना ही ज्यादा खआ जाएंगे। इससे बचने के लिए छोटी प्लेट व अन्य बर्तनों का उपयोग करें। बर्तनों का आकार कम होने पर मानसिक तौर पर भी कम खाने में सहायता मिलती है।
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खाना खाने से पहले याद रखें ये बात
अपने मुख्य खाने से लगभग आधा घंटा पहले एक गिलास पानी पियें या एक छोटी कटोरी सूप लें। अपने भोजन के साथ भी थोड़ा-थोड़ा पानी पियें। इससे आप ज़रूरत से ज़्यादा भोजन नहीं कर पाते और आपको पेट भरने की अनुभूति होती है। भोजन धीरे-धीरे करने का मक़सद केवल धीरे चबाने से नहीं है बल्कि अपने आहार विकल्पों को कम करना भी है। डिब्बाबन्द, पैकेटों और फ्रोज़न खाद्य पदाथों को अपनी रसोई से हटायें और उनकी जगह हेल्दी भोजन रखें। अगर आप संतुलन बनाए रखेंगे तो आपका वजन कभी नहीं बढ़ेगा। जैसे अगर आपने अधिक मात्रा में खाना खा लिया है तो अगला खाना कम मात्रा में खाएं।
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