OMH HyperLocal टीम ओनलीमायहेल्थ का एक अभियान है, जिसमें हम स्वास्थ्य से जुड़े जमीनी मुद्दों की जानकारी आपके सामने लेकर आ रहे हैं। इस मुहिम के तहत हमने दिल्ली में यमुना नदी के किनारे उगाई जा रही सब्जियों को लेकर चौंकाने वाली जानकारियां आपके सामने ला रहे हैं। दिल्ली में यमुना नदी के आसपास के इलाकों में बड़े पैमाने पर सब्जियों की खेती होती है और यह सब्जियां तमाम हानिकारक तत्वों का भंडार हैं। इसको लेकर हमने अपनी पिछली स्टोरी में आपको विस्तृत जानकारी दी थी। लैब रिपोर्ट में यह मिला कि यमुना बैंक के आसपास उगाई जा रही सब्जियों में निकेल, कैडमियम और लेड जैसे हानिकारक हैवी मेटल्स की मात्रा थी। इस लेख में हम आईसीएआर-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. शकील अहमद खान से जानेंगे कि सब्जियों में हैवी मेटल्स और हानिकारक तत्व मिलने के क्या मायने हैं और इसके प्रमुख कारण क्या हो सकते हैं।
हरी सब्जियों में हैवी मेटल्स के कारण
डॉ शकील अहमद खान ने बताया कि, "मिट्टी में तमाम तरह के हैवी मेटल्स पाए जाते हैं। जब हैवी मेटल्स की अधिक मात्रा वाली जमीन पर सब्जियों की सिंचाई होती है, तो कुछ मात्रा में यह मेटल्स सब्जियों में भी पहुंचते हैं। लेकिन सब्जियों में मौजूद हैवी मेटल्स की मात्रा इतनी ज्यादा नहीं होती है कि यह आपके स्वास्थ्य को गंभीर नुकसान पहुंचा सके।"
डॉ खान ने बताया कि सभी सब्जियां जमीन या मिट्टी से समान मात्रा में हैवी मेटल्स को अवशोषित नहीं करती हैं। मिट्टी में मौजूद हैवी मेटल्स की मात्रा सब्जियों के पौधे के तने में पाई जाती हैं, लेकिन जरूरी नहीं है कि यह मेटल्स सब्जियों में भी मौजूद हों। उन्होनें आगे कहा कि, "इसलिए यह बहुत महत्वपूर्ण है कि जब हम लैब में ऐसी सब्जियों का परीक्षण करते हैं, तो हमें इस बात पर ध्यान देना होगा कि हम वास्तव में सब्जी के किस भाग का परीक्षण कर रहे हैं। और इन प्रयोगशालाओं को एनएबीएल से मान्यता प्राप्त भी होना चाहिए। तभी सही रिपोर्ट आ सकती है और इसे प्रामाणिक माना जाता है।"
दिल्ली में यमुना नदी के किनारे उगाई जा रही सब्जियों में हैवी मेटल्स की मात्रा को लेकर उन्होनें बताया कि यह पानी के प्रदूषित होने के कारण होता है। यमुना नदी का पानी जहरीला हो चुका है और इस पानी से सब्जियों की सिंचाई होने पर मिट्टी और सब्जियों में प्रदूषण पहुंचने का खतरा रहता है।
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हैवी मेटल्स ही नहीं कीटनाशक भी हैं खतरा
सब्जियों की खेती में तमाम तरह के कीटनाशकों का इस्तेमाल किया जाता है। डॉ शकील अहमद खान ने बताया कि, "खेती के दौरान इस्तेमाल होने वाले कीटनाशक भी शरीर के लिए बहुत हानिकारक होते हैं।" उन्होनें कहा कि ज्यादातर किसानों को कीटनाशकों के सही और उचित इस्तेमाल के बारे में सही जानकारी नहीं होती है। उन्होंने कहा कि, "एफएसएसएआई ने फलों और सब्जियों को उगाने के लिए कितना और कौन से कीटनाशकों का उपयोग किया जा सकता है, इसकी एक सीमा तय की है। लेकिन मुद्दा यह है कि अधिकांश कृषि क्षेत्र असंगठित हैं और किसान अशिक्षित हैं इसलिए यह कहना कठिन है कि कीटनाशकों का कितना उपयोग किया जा रहा है।"
डॉ. खान एफएसएसएआई के एमआरएल (अधिकतम अवशिष्ट सीमा) दिशानिर्देशों का पालन करने की सलाह देते हैं। इसके अलावा उन्होंने कुछ सब्जियों के सेवन के दौरान विशेष सावधानी बरतने की सलाह भी दी। आईसीएआर ने इस पर एक रिपोर्ट भी बनाई है और पाया है कि सबसे अधिक कीटनाशकों का उपयोग मिर्च में किया जाता है, दूसरे नंबर पर बैंगन है, फिर पत्तागोभी, फूलगोभी और ब्रोकोली जैसी क्रूसिफेरस सब्जियां हैं। इसलिए इन सब्जियों को खाने से पहले विशेष रूप से अच्छी तरह से धोने की सलाह दी जाती है।
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उन्होनें बताया कि सब्जियों की खेती और इनकी सुरक्षा को लेकर किसी तरह का कोई नियम नहीं है। एफएसएसएआई ने ज्यादातर डिब्बाबंद भोजन पर नियम लागू किए हैं। सब्जियों में हानिकारक तत्व सिर्फ खेती ही नहीं बल्कि इन्हें स्टोर करने के दौरान भी आते हैं। इसको लेकर डॉ शकील अहमद खान ने कहा कि, "मुझे लगता है कि सरकार को कृषि उपज की सुरक्षा की निगरानी के लिए एक पूरी तरह से नया विभाग स्थापित करना चाहिए। इसके अलावा किसानों को जागरूक करना महत्वपूर्ण है कि सब्जियां उगाने के दौरान उन्हें कितनी मात्रा में कीटनाशक और केमिकल्स का इस्तेमाल करना चाहिए।"