
OMH Exclusive Pan Opthalmologica 2023: आंखें शरीर का सबसे महत्वपूर्ण और सेंसिटिव हिस्सा हैं। आंखों की सही केयर न होने पर आपको कई गंभीर परेशानियां हो सकती है। आज के समय में हर दूसरे व्यक्ति को आंखों से जुड़ी कोई न कोई समस्या है। पुराने समय में आंखों से जुड़ी बीमारियां आमतौर पर बुजुर्गों में देखने को मिलती थी, लेकिन अब कम उम्र में आंखों की बीमारियां आम हैं। आज के समय में बढ़ती तकनीक से आंखों का इलाज और सर्जरी आसान हुई है लेकिन चुनौतियां अभी भी बरकरार हैं। इन्हीं चुनौतियों से निपटने के लिए दुनियाभर के डॉक्टर एक फोरम पर तकनीकी इलाज को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहे हैं। गुरुग्राम स्थित अरुणोदय डेसरेट आई हॉस्पिटल की तरफ से भी वर्ल्ड ग्लूकोमा वीक के मद्देनजर ऐसे ही कार्यक्रम का आयोजन किया गया। दिल्ली स्थित इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में हॉस्पिटल की तरफ से Pan Opththalmologica 2023 का आयोजन किया गया। इस संगोष्ठी में दुनियाभर के कई नामचीन नेत्र रोग विशेषज्ञों ने आंखों से जुड़ी बीमारियों और इसके इलाज में बढ़ती तकनीक पर चर्चा की।
अरुणोदय आई हॉस्पिटल द्वारा आयोजित Pan Opththalmologica 2023 संगोष्टी में हॉस्पिटल के डायरेक्टर और वरिष्ठ नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. अरुण सेठी ने कहा कि आंखों से जुड़ी बीमारियों के इलाज में तकनीक का अहम योगदान है। आंखों की सर्जरी से लेकर इससे जुड़ी बीमारियों के निदान में तकनीक अहम भूमिका निभा रही है। ग्लूकोमा और मोतियाबिंद जैसी गंभीर बीमारियों में सही समय पर इलाज और सर्जरी से मरीज की रोशनी बचाई जा सकती है। इस कार्यक्रम में कनाडा के मशहूर नेत्र रोग विशेषज्ञ प्रो. स्टीव अर्शिनआफ ने कहा कि आंखों से जुड़ी गंभीर बीमारी जैसे मोतियाबिंद और ग्लूकोमा के कारण लाखों लोगों की रोशनी जा रही है। सही समय पर इलाज होने से मरीज को अंधा होने से बचाया जा सकता है।
नई तकनीकों से ग्लूकोमा और मोतियाबिंद का इलाज हो रहा आसान- Technology Advancements in Glaucoma Treatment in Hindi
ग्लूकोमा और मोतियाबिंद जैसी गंभीर बीमारियों के कारण आंख की रोशनी कमजोर हो जाती है। इन बीमारियों के इलाज में पहले की तुलना में तकनीक का विकास होने से बहुत आसानी हुई है। कनाडा के मशहूर नेत्र रोग विशेषज्ञ प्रो. स्टीव अर्शिनआफ ने बताया कि नई तकनीक जैसे लेसिक लेसर सर्जरी और आधुनिक लेंस मोतियाबिंद और काला मोतिया के इलाज में अहम भूमिका निभा रहे हैं। Onlymyhealth से एक्सलूसिव बातचीत में प्रो. स्टीव ने कहा कि मोतियाबिंद और काला मोतिया का इलाज सर्जरी के माध्यम से ही संभव है। इन बीमारियों में ऑपरेशन से लेंस को हटाकर इंट्रा ऑक्युलर लेंस लगाया जाता है। ऑपरेशन में नई तकनीक का इस्तेमाल होने से मरीज की खोई हुई रोशनी लौट रही है। इसके अलावा इलाज में ट्रॉपिकल फेकोमल्सीफिकेशन जैसी तकनीक का इस्तेमाल करने से इलाज में आसानी हो रही है।
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सही समय पर सर्जरी से मरीजों को मिल रहा लाभ
अरुणोदय डेसरेट आई हॉस्पिटल के वरिष्ठ नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. अरुण सेठी ने Onlymyhealth से एक्सक्लूसिव बातचीत में बताया कि कहा कि ग्लूकोमा या काला मोतिया जैसी गंभीर बीमारियों में सही समय पर इलाज न होना गंभीर है। Pan Opththalmologica संगोष्ठी में काला मोतिया और मोतोयाबिंद जैसी गंभीर बीमारियों के इलाज में तकनीक को बढ़ावा देने पर चर्चा की गयी। मोतियाबिंद जैसी गंभीर बीमारियों सर्जरी ही सबसे सटीक इलाज है। सर्जरी के दौरान आधुनिक लेंस और लेसिक लेसर सर्जरी का इस्तेमाल इलाज को आसान बनाने का काम कर रहा है।
आंखों से जुड़ी बीमारियों के जोखिम को कम करने की सलाह देते हुई डॉक्टर सेठी ने कहा कि समय-समय पर आंखों की जांच कराने से आप गंभीर समस्या का शिकार होने से बच सकते हैं। इसके अलावा आंखों की सही देखभाल करें, नियमित रूप से आंखों को साफ पानी से धोने से भी आप कई समस्याओं के जोखिम को कम कर सकते हैं।