
मोटापा आपके जीवन के लिए खतरनाक हो सकता है। मोटापा खुद में बीमारी नहीं है इसलिए बहुत सारे लोग मोटापा घटाने पर ध्यान नहीं देते हैं। लेकिन मोटापे के कारण आपको कई तरह की बीमारियां घेर सकती हैं, जिनमें जानलेवा बीमारियां जैसे हार्ट अटैक, हार्ट फेल्योर, किडनी फेल, डायबिटीज, ब्लड प्रेशर आदि शामिल हैं। आजकल सबसे ज्यादा मोटापा लोगों के पेट पर दिखाई देता है। पेट पर जमा होने वाली चर्बी आपके लिवर, किडनी और पाचनतंत्र पर दबाव डालने लगती है, जिससे कई अंग खराब हो सकते हैं। मोटापे के कारण पिछले कुछ सालों में किडनी फेल होने के मामले काफी बढ़ गए हैं। मोटापा आपकी किडनियों को धीरे-धीरे खराब कर देता है। अगर आप शुरुआती लक्षणों पर ध्यान न देकर इसे नजरअंदाज करते हैं, तो ये जानलेवा भी हो सकता है।
हर साल 8.5 लाख लोगों की मौत का कारण
किडनी फेल होने के मामले काफी बढ़ गए हैं। एक शोध के मुताबिक भारत में हर साल 8.5 लाख लोग किडनी फेल होने से मर जाते हैं। इनमें 50% से ज्यादा मामलों में मोटापा और गलत जीवनशैली को जिम्मेदार पाया गया है। गलत जीवनशैली और खानपान आपकी किडनी को बुरी तरह प्रभावित करते हैं, जिसके कारण किडनी ठीक से खून फिल्टर नहीं कर पाती है। खून जब ठीक से फिल्टर नहीं होता तो खून में मौजूद अपशिष्ट पदार्थ और जहरीले तत्व इकट्ठा होकर किडनी और अन्य अंगों को नुकसान पहुंचाते हैं। किडनी रोग का शुरुआती अवस्था में पता नहीं चल पाता और यह इतना खतरनाक होता है कि बढ़कर किडनी फेल्योर का रूप ले लेता है।
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शुरुआत में दिखने वाले लक्षणों को पहचानें
किडनी फेल्योर से बचने के लिए जरूरी है कि इसके शुरुआती लक्षणों को पहचानकर इसका इलाज किया जाए। हालांकि इसके शुरुआती लक्षण भी तभी दिखाई देते हैं, जब किडनी 60% से ज्यादा खराब हो चुकी होती है। इसलिए बिना लक्षणों के दिखे भी अपना मोटापा कंट्रोल करें और खानपान पर ध्यान दें। किडनी फेल्योर के शुरुआती लक्षण इस प्रकार हैं।
- शरीर में सूजन का होना।
- पेशाब की मात्रा में कमी होना ।
- पेशाब में प्रोटीन या खून का आना। जलन होना।
- पेशाब बार-बार आना।
- भूख की कमी होना और जी मिचलाना।
- शरीर में रक्त की कमी होना और ब्लड प्रेशर का बढ़ा होना।
मोटापा है खतरनाक
क्रॉनिक किडनी डिजीज विश्व की लगभग 10% जनसंख्या को जीवन में कभी न कभी प्रभावित करते हैं। इस रोग से किडनी को भारी नुकसान होता है, जिसकी वजह से कई बार रोगी को अपनी जान गंवानी पड़ती है या एक किडनी से जीवनभर काम चलाना पड़ता है। पैन इंडिया रिपोर्ट के अनुसार भारत में किडनी रोगों के 50 प्रतिशत से ज्यादा मामलों में इसकी वजह मोटापा पाया गया है। कई लोग शरीर से मोटे नहीं होते हैं लेकिन उनका पेट निकला हुआ होता है। क्रॉनिक किडनी डिजीज का सबसे बड़ा कारण यही पेट का मोटापा है। दरअसल किडनी की बीमारी के लक्षण उस वक्त उभरकर सामने आते हैं, जब किडनी 60 से 65 प्रतिशत डैमेज हो चुकी होती है। इसलिए इसे साइलेंट किलर भी कहा जाता है।
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हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज
डायबिटीज और ब्लड प्रेशर किडनी फेल होने के सबसे बड़े कारण हैं। डायबिटीज के 30 से 40 प्रतिशत मरीजों की किडनी खराब होती है। इनमें से 50 प्रतिशत मरीज ऐसे होते हैं, जिन्हें बहुत देर से इस बीमारी का पता चलता है और फिर उन्हें डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट करवाना पड़ता है। क्रॉनिक किडनी डिजीज किसी भी इलाज से पूरी तरह ठीक नहीं हो सकती। अंतिम अवस्था में उपरोक्त बीमारियों का उपचार केवल डायलिसिस या किडनी प्रत्यारोपण से ही संभव है।
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