
गर्भावस्था में मोटापा या डायबिटीज होने का असर भ्रुण पर भी पड़ता है। इन बीमारियों के कारण छठवें महीने में भ्रुण का आकार अधिक बढ़ने की संभावना होती है।
मोटापे और मधुमेह से ग्रस्त गर्भावती महिला के भ्रुण पर भी इसके कई तरह के दुष्प्रभाव पड़ते हैं। हाल ही में हुए शोध से इस बात की जानकारी मिली है कि गर्भवती महिला को अगर डायबिटीज या मधुमेह होता है तो भ्रुण में पल रहे शिशु के छठवें महीने में आकार बढ़ने की संभावना अधिक होती है।
अध्ययन में यह भी कहा गया है कि ऐसे बच्चों में भविष्य में मोटापा और डायबिटीज होने के खतरे अन्य बच्चों की तुलना में अधिक होते हैं।
यह अध्ययन 4,000 से अधिक उन महिलाओं पर किया गया है जिन्होंने पहली बार अपने भ्रुण में पहल रहे शिशु की ग्रोथ देखने के लिए अल्ट्रासाउंड करवाया था। जिसके बाद यह निष्कर्ष निकाला गया कि वे गर्भवती महिलाएं जो धुमेह का शिकार हैं, उनके गर्भ में पल रहे शिशु का अत्यधिक विकास होने लगता है। ऐसे में प्रेंगनेंसी की दौरान अगर मिलाएं विभिन्न तरह के जांच करवाती हैं तो ये उनके और शिशु के स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है।
अध्ययनकर्ताओं ने कहा है कि यह स्थिति खानपान और कसरत के माध्यम से व समय पर दवा लेकर नियंत्रित की जा सकती है। यह शोध डायबिटिक केयर नाम की पत्रिका में प्रकाशित हुई है।
बकौल अध्ययन के प्रमुख लेखक ब्रिटेन के कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के यूल्ला सोवियो, “हमारे शोध से पता चला है कि अगर गर्भावस्था के दौरान महिलाओं में मधुमेह के लक्षण पाए जाते हैं, तो उनके गर्भ में पल रहे शिशु असामान्य रूप से बड़े हो जाते हैं। इसलिए गर्भवती महिलाओं को समय-समय पर मधुमेह की जांच करवानी चाहिए। ”
Source @ TOI
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