नवजात शिशु को इस जगत का सबसे मासूम और सीधा प्राणी कहा जाता है। अपने भोले स्वभाव और बोल पाने में अक्षम होने के चलते ये अपनी कई बातें इशारों में बताने की कोशिश करते हैं। क्योंकि बच्चे के जन्म के बाद करीब 2 से 3 साल तक मां को ही अपने शिशु की हर चीज का ध्यान रखना पड़ता है। ऐसे में छोटे बच्चों को कई बार ऐसी प्रॉब्लम हो जाती है जिन्हें वो इशारे में बताने की कोशिश करते हैं। बच्चा जब रोता है तो मां अक्सर यह समझती है कि उसका बच्चा किसी तकलीफ में है। लेकिन हर बार ऐसा नहीं होता। इसी तरह बच्चा हर कोई को जताता है।
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किसी घर में किलकारी की आवाज सबसे मधुर आवाज होती है और मां के लिए उसके बच्चे की आवाज किसी अमृत से कम नहीं। मां और शिशु के रिश्ते से अनमोल रिश्ता दुनिया में कोई और दूसरा नहीं और मां से ज्यादा अपने बच्चे की जरूरत कौन समझ सकती है। कौन रख सकता है अपने नन्हें का इतना खयाल। लेकिन फिर भी बच्चे की देखभाल और उसकी चीजों को समझना हर मां का कर्तव्य होता है। आज हम आपको बताएंगे कि किस तरह आप अपने बच्चों की छोटी-छोटी समस्याओं को उनके इशारों से समझ सकते हैं।
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- नवजात शिशु जितना मासूम होता है शायद उतना और कोई नहीं होता होगा। नवजात शिशुओं में स्वभाविक क्षमता होती है कि वो आपका ध्यान अपनी ओर करने के लिए बार-बार रोते है।
- बच्चे भूख लगने, नैपी गीली होने, थकान होने और किसी के नापंसद होने या फिर किसी तरह की तकलीफ होने पर भी रोते हैं। आपको ये समझने की जरूरत होगी कि आखिर आपके बच्चे को किस चीज की तकलीफ है।
- अगर बच्चा अचानक नींद से उठकर रोने लग जाएं तो हो सकता है उसे गर्मी लग रही हो। अगर आपका बच्चा कभी ऐसा करता है तो हो सकता है बच्चे की नैपी गीली हो गई हो। आपको इस चीज को उसके इशारे से ही समझना होगा।
- नैपी गीली करने के कारण कई बार बच्चों के रैशेज हो जाते है ऐसे में वो बार-बार नैपी गीली करते रहते है। इसके लिए आप बच्चों के कॉटन वूल और बैरियर क्रीम लगा दें। इससे बच्चा आराम से सो जाएगा।
- मालिश के दौरान अगर बच्चे के ज्यादा हाथ पैर चलते है तो समझ लें कि? उसे मालिश के दौरान कोई तकलीफ हो रही है। ऐसा होने पर मालिश को तुरंत रोक दें। क्योंकि जब बच्चे को मालिश में आराम मिलता है तो वो खुश होता है।
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