एक नवजात शिशु अपना पहला मल पैदा होने के 24 घंटे भीतर निकाल देता है। लकिन कुछ बच्चे जो की कब्ज से ग्रस्त होते है उन्हें यह काम करने में तकलीफ होती है। उनमे या तो मल सूखा हो सकता है या रुक रुक कर आ सकता है या उनका मल कठोर हो सकता है। जिसको की आसानी से है निकाला जा सकता है। कभी कभी जब भी आप किसी अभिभावक को रोते हुए बच्चे के साथ देखे जिसे की बहुत ही असुविधा हो रही हो तो आप यह मान सकते हैं की बच्चे को कोलिक हुआ है। पर जबकि कोलिक एक आम अस्थायी दशा है , शिशुओ में गंभीर कब्ज की शिकातय एक गंभीर समस्या हो सकती है।
नए पैदा हुए बच्चे जिनको की कब्ज की शिकायत है उन्हें मल निकालने में बहुत ताकत लगानी पड़ती है जिसमे की वे अपने पैर अपने पेट की तरफ ले आते हैं और यह काम करते वक्त उनका चेहरा लाल हो जाता है। सबसे बदतर दशा में एक सख्त मल को निकालते वक्त बच्चे के मलाशय की दीवार फट सकती है। जिसकी वजह से कभी कभी खून निकल सकता है। यह लक्षण अभिभावकों के लिए चिंता की बात है और बच्चे के लिए भी बहुत दुःख की बात है ।नए पैदा हुए शिशुओ में कब्ज से निपटने के लिए यहाँ कुछ सुझाव दिए हैं :
- जीवन के पहले कुछ दिनों में एक नया पैदा हुआ बच्चा गाडे हरे या काले रंग का मल निकालेगा जिसे हम मिकोनियम कहते हैं। तीन दिन तक सामान्य टट्टी लगना उसे चालू हो जाना चाहिए। अगर इस समय तक बच्चे को सामान्य टट्टी नहीं लग रही है और वो अभी भी मिकोनियम निकाल रहा है तो यह इस बात का संकेत है की बच्चे को पर्याप्त खाना नहीं मिल रहा है।
- स्तन का दूध ना पीला कर आप कृतिम दूध पिलाने से भी नवजात शिशुओ में कब्ज हो सकता है।
- अगर बच्चे को बोतल से दूध पिलाया जाए तो ऐसा हो सकता है की वह ब्रांड उसके पाचन तंत्र के लिए सही न हो तो इसलिए अलग अलग उद्योग के दूध पिलाए जा सकते हैं ताकि उसके लिए सबसे बेहतर दूध मिल सके।
- बच्चे में कब्ज को दूर करने का एक आम तरीका है की आप उसके खान पान का कार्यक्रम बदल दे और बच्चे को फोर्मुला छोटी छोटी मात्रा में दे , जिसमे की उसको बार बार खिलाये जो की बच्चे के पूरे दिन भर के समय का उपयोग कर लेते है।
- अगर आप बच्चे को फोर्म्युला से खिला रहे हैं तो उसके खाने में पानी की अतिरिक्त बोतल जोड़ दे जो की उसे कब्ज में आराम देगी क्योंकि वो उसके खाने में पानी की मात्रा को बाधा देगी।
- बच्चे को टब या सिंक में नहलाने से जिसमे की पानी बच्चे के पेट के स्तर से ऊपर भरने से भी बच्चे को मदद मिल सकती है। गर्म पानी के अंदर बच्चे के पेट की मालिश करने से भी बच्चे की अंत उत्तेजित हो जाती है और मल निकालने में आसानी हो जाती है जिसकी वजह से उसे कब्ज से राहत मिल जाती है।
- कभी कभी फोर्म्युले में आयरन भी कब्ज का कारण हो सकता है। ऎसी दशा में बच्चे को बाल रोग विशेषग्य को दिखाए और उस फोर्म्युले को एक या दो महीने के लिए कम आयरन वाले फोर्म्युले में तब्दील कर ले (कृपया यह बात ध्यान दे की हाल ही में हुए अध्ययन बताते हैं की फोर्म्युले में आयरन ज्यादा होने से कब्ज नहै होता है और बच्चे के विकास के लिए आयरन पर्याप्त मात्रा में होना चाहिए इसलिए किसी भी कम आयरन वाला फोर्म्युला अपने बच्चे को खिलाने से पहले एक बाल रोग विशेषग्य से ज़रूर सलाह ले ले )।
- यह बात नवजात शिशुओ के लिए नहीं है पर यह बात उन बच्चों पर लागू होती है जो की थोड़े बड़े है और जो की सख्त खाना , कच्चे नाशपाती खा सकते है जिनमे की रेशो की मात्रा बहुत ज्यादा होती है और ये कब्ज से निपटने में मदद करते हैं और आप चावल की जगह बाजरे का भी प्रयोग कर सकते हैं क्योंकि बाजरा से कब्ज कम होता है।
- अगर ये आसान से घर में किये जाने वाले नुस्खे बच्चे में कब्ज की शिकायत को दूर नहै कर पा रहे हैं तो बच्चे के बाल रोग विशेषग्य से ज़रूर मिले। बच्चे ग्लिसरीन सपोजिटरी , तरल ग्लिसरीन और फ्लेक्स सीड आयल से भी सही हो सकता है ।
- नवजात शिशुओ में कब्ज से लड़ना अभिभावकों के लिए दुखदायी हो सकता है लकिन इससे लड़ने के कई आसान और प्रभावशाली तरीके भी हैं।
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