
कैंसर के उपचार के लिए समय-समय पर नये तरीके ईजाद हो रहे हैं। हाल ही में वैज्ञानिकों को ब्रेन कैंसर के उपचार में भी सफलता मिली है। वैज्ञानिकों ने बेन कैंसर के घातक रूप 'ग्लियोब्लास्टोमा मल्टीफॉर्म' (जीबीएम) के उपचार का नया तरीका ढूंढ़ निकाला है। एक शोध में वैज्ञानिकों ने पाया है कि कुछ विशिष्ट प्रकार के प्रोटीन को सक्रिय कर बेहद खतरनाक जीबीएम में कैंसर कोशिकाओं को फैलने से रोका जा सकता है।
जीबीएम वयस्कों को होने वाला सबसे सामान्य ब्रेन का कैंसर है, जिसमें रोग के निदान के बाद मरीज मुश्किल से 15 महीने ही बच पाता है। क्योंकि सर्जरी, विकिरण तथा कीमोथेरेपी के बावजूद कैंसर कोशिकाएं प्रभावी ढंग से बच निकलती हैं और आसपास के स्वस्थ टीश्यूज को प्रभावित करना शुरू कर देती हैं, जिस कारण उनका उपचार मुश्किल हो जाता है।
इस शोध के लेखक व अमेरिका के ओहियो में युनिवर्सिटी ऑफ तोलेडो हेल्थ साइंस कैंपस में सहायक प्रोफेसर कैथरीन इसेनमैन ने बताया, जीबीएम के नए इलाज की सख्त जरूरत थी, हम उम्मीद करते हैं कि हमारा नया निष्कर्ष कैंसर के इस घातक रूप का प्रभावी ढंग से इलाज करने की ओर अग्रसर होगा।' यह शोध पहले की खोज बायोपेप्टाइड ‘डीएडी’ (डाइफेनस ऑटोरेग्लयुलेटरी डोमेन) तथा छोटे अणु ‘इंट्रामिमिक्स’ के अध्ययन पर आधारित था।
दोनों डीएडी व इंट्रामिमिक्स प्रोटीन के एक परिवार डीआईएपीएच या एमडीआईए को सक्रिय करते हैं, जो जीबीएम के प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका के लिए जाने जाते हैं। नए शोध में यह पाया गया कि डीएडी की सहायता से डीआईएपीएच को ‘ऑन’ स्थिति में लॉक करने से इंट्रामिमिक्स जीबीएम कोशिकाओं को ब्रेन के सामान्य टीश्यूज पर आक्रमण से रोकता है। शोधकर्ता उम्मीद कर रहे हैं कि वे जल्द ही इस नई खोज के प्रभाव का मूल्यांकन करेंगे, जिसके बाद इस तकनीक से मरीजों का ट्रीटमेंट किया जायेगा। यह शोध ऑनलाइन पत्रिका ‘मोलेकुलर बायोलॉजी ऑफ द सेल’ में प्रकाशित हुआ।
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