एड्स अब तक की सबसे बड़ी लाइलाज बीमारी है जिसमें मरीज अपनी दवा लेते हुए केवल अपनी मौत का इंतजार करता है। इस कारण एड्स की दवा बनाने पर विशेषज्ञ काफी दिनों से शोध कर रहे हैं। इन शोधों के दौरान शोधकर्ताओं ने एक नई एंडीबॉडी की खोज की है जो एड्स का इलाज करने में सहायक होती है। ये एंटीबॉडी कैंसर के इलाज में सहायक है।
एक नए शोध में इस बात की पुष्टि हुई है कि कैंसर के इलाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली रोग-प्रतिरक्षाचिकित्सा (इम्यूनोथेरेपी) को एचआईवी के खिलाफ प्रभावी रूप से इस्तेमाल किया जा सकता है। निष्कर्ष के अनुसार, हाल ही में खोजी गई शक्तिशाली एंटीबॉडी का इस्तेमाल एक विशेष प्रकार की कोशिका ‘चिमेरिक एंटीजेन रिसेप्टर्स’ या ‘सीएआर’ को पैदा करने के लिए की जा सकती है, जो एचआईवी-1 से संक्रमित कोशिकाओं को मारने में सक्षम है।
सीएआर एक कृत्रिम रूप की प्रतिरक्षा टी कोशिकाएं हैं जो उत्पन्न की जाती हैं। इन्हें इस तरह तैयार किया जाता है कि ये अपनी सतह पर रिसेप्टर पैदा कर विषाणुओं को संक्रमित करती या ट्यूमर प्रोटींस रखने वाली कोशिकाओं पर हमला कर उन्हें खत्म कर देती हैं। शोध में सबसे अधिक चिमेरिक रिसेप्टर पर फोकस किया गया है, जिससे जीन इम्यूनोथेरेपी का इस्तेमाल कैंसर से लड़ने में किया जा सके। यह शोध ‘वाइरोलॉजी’ में प्रकाशित की गई है।
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