डिमॉफर्स एक्स्प्रेशन का संकेत है बच्चों से ज्यादा दुलार करना, जानें लक्षण और कारण

प्यारे से क्यूट दिखते किसी बच्चे को देखते ही मन में उसके गालों को खींचकर लाड़ जताना एक सामान्य बात है। 
  • SHARE
  • FOLLOW
डिमॉफर्स एक्स्प्रेशन का संकेत है बच्चों से ज्यादा दुलार करना, जानें लक्षण और कारण

प्यारे से क्यूट दिखते किसी बच्चे को देखते ही मन में उसके गालों को खींचकर लाड़ जताना एक सामान्य बात है। कई लोग ऐसा करते हैं लेकिन अगर यह प्रतिक्रिया अधिक उग्र हो जाए तो? यह बहुत ज्यादा पॉजिटिव फील करने का नतीजा भी हो सकता है। ऐसे में सतर्क होने के साथ ही इसके बारे में जानना आवश्यक हो जाता है। 

चिमटी भरना या काट लेना

यह बात शायद कई लोगों को बहुत सामान्य लगती हो, जब वे किसी बच्चे या छोटे से पपी या बिल्ली के बच्चे को देखकर उनके गालों पर चिमटी भरते या काट लेते हैं। यूं अपने आप में यह कोई बीमारी नहीं है लेकिन यह एक दिमागी उलझन हो सकती है। इसका हद से ज्यादा बढ़ जाना तकलीफदाई तो हो ही सकता है। इस पर कंट्रोल न कर पाना क्यूट ऑब्जेक्ट को चोट भी पहुंचा सकता है। इसलिए कई केसेस में यह पीड़ादाई हो सकती है।

पीड़ा का स्वरूप

क्यूटनेस एग्रेशन या डिमॉफर्स एक्स्प्रेशन का होना हालांकि कुछ लोगों में एक सहज प्रक्रिया है लेकिन इसके पीछे बकायदा विज्ञान काम करता है। इसके कारण लोग प्यारे से नन्हे बच्चे या जानवर को देखकर कई बार खुद पर कंट्रोल नहीं कर पाते और उसके गाल पर तेजी से चिमटी भर लेते हैं या दांतों से गाल पर काट लेते हैं। इस संबंध में येल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने बकायदा प्रमाण दिए हैं। शोधकर्ताओं के अनुसार असल में इस तरह की प्रतिक्रिया देने वाले लोगों का दिमाग उस समय एक्स्ट्रीम पॉजिटिव फीलिंग्स यानी अत्यंत सकारात्मक भावनाओं से संतुलन बैठाने की कोशिश कर रहा होता है।

इसे भी पढ़ें : संगत ही नहीं मां-बाप के रवैये से भी बिगड़ते हैं बच्चे, डांटने के बजाय ऐसे समझाएं

लक्षणों का सामने आना

दरअसल अतिरिक्त रूप से पॉजिटिव होने के दौरान दी गई दिमाग की इस प्रतिक्रिया का होना कुछ इस तरह से घट जाता है कि इससे गुजरने वाले को इसका अहसास हो इसके पहले ही वह चिमटी भर चुका होता है। इस प्रतिक्रिया द्वारा दिमाग वापस आपको सामान्य स्थिति में लाने की कोशिश कर रहा होता है। इस दौरान काटने या चिमटी भरने के अलावा लोग मुट्ठी कसने, दांतों को किटकिटाने या क्यूट ऑब्जेक्शन पर लगभग झपट पड़ने जैसी रिएक्शन भी दे सकते हैं।

मददगार परिणाम

इस रिसर्च के जरिए एक खास बात और है जो सामने आई, वह यह थी कि लोगों में अत्यधिक तीव्र भावनाओं को कंट्रोल करने के संबंध में थैरेपीज के उपयोग पर और फोकस किया जा सकता है। खासतौर पर बाइपोलर डिसऑर्डर जैसी स्थितियों से गुजर रहे लोगों के मामले में। इसके अलावा सामान्यतौर पर क्यूट ऑब्जेक्ट्स के प्रति तीव्र प्रतिक्रिया देने वालों को भी यह हानि पहुंचाने से रोक सकेगा।

इसे भी पढ़ें : ज्यादा शरारती बच्चे हो सकते हैं एडीएचडी के शिकार, जानें लक्षण और बचाव

स्ट्रेस हॉर्मोन्स से नाता

शरीर और दिमाग के लिहाज से बहुत खुश होना या बहुत निराश महसूस करना दोनों ही कठिन स्थितियां हो सकती हैं क्योंकि यह स्ट्रेस हॉर्मोन्स के उत्पादन में भूमिका निभाती हैं। शोधकर्ताओं के मुताबिक ऐसा भी हो सकता है कि उत्साह के अतिरेक में यदि कोई व्यकित किसी क्यूट ऑब्जेक्ट को लेकर प्रतिक्रिया न दे तो अचानक उसके आंसू बहने लगें, यानी ख़ुशी के आंसू। यह अतिरिक्त पॉजिटिविटी को लेकर होने वाली दिमागी प्रतिक्रिया है और मजेदार बात यह है कि कुछ मामलों में ठीक इसका उल्टा भी हो सकता है। जैसे अतिरिक्त दुखी या नेगेटिव होने पर किसी व्यक्ति का जोर-जोर से हंस पड़ना। इन दोनों ही स्थितियों में दिमाग भावनाओं को संतुलित बनाने की कोशिश कर रहा होता है।

ऐसे अन्य स्टोरीज के लिए डाउनलोड करें: ओनलीमायहेल्थ ऐप

Read More Articles On Parenting In Hindi

Read Next

4 Ways to Cope with a Toddler and a Baby

Disclaimer