
कड़ी धूप और गर्मी की तपिश से निजात पाने के लिए हर किसी को मानसून यानी बारिश का इंतजार रहता है। लेकिन मानसून के साथ संक्रमण और बीमारियों की एक श्रृंखला भी अपने साथ लेकर आता है। मानसून में मच्छर जनित, संक्रमित पानी और कुछ हानिकारक वायरस से लोग बीमार पड़ने लगते हैं। इस मौसम में हम सभी को खासकर बच्चों और बुजुर्गों का ध्यान रखना जरूरी होता है, क्योंकि इनमें रोगप्रतिरोधक झमता कम होती है, जिससे वह जल्दी बीमार पड़ते हैं। नई दिल्ली के वसंत कुंज स्थित Fortis Flt. Lt. Rajan Dhall अस्पताल के आंतरिक चिकित्सा विभाग के डायरेक्टर, डॉक्टर डीएस चड्ढा बता रहे हैं मानसून में होने वाली बीमारियों के लक्षण और बचाव के तरीके...
आई फ्लू के जहर को हाथों-हाथ दूर करते हैं ये घरेलू उपाय

मच्छर जनित बीमारियां
मलेरिया: इस बीमारी से हर साल मानसून में हजारों लोगों की मौत हो जाती है। मलेरिया मादा एनाफिलीज मच्छर के काटने से फैलता है।
लक्षण: ठंड के साथ तेज बुखार, शरीर में दर्द और पसीना और कुछ मामलों में डायरिया, पीलिया के भी लक्षण पाए जाते हैं।
बचाव: सोते समय फुल स्लीव्स के कपड़े पहनें, घर के आसपास छिड़काव करें और स्वच्छता का विशेष ध्यान दें। कहीं भी पानी जमा न होने दें।
डेंगू: डेंगू बुखार एडीज मच्छर द्वारा फैलता है। यह बीमारी जानलेवा हो सकती है।
लक्षण: मच्छर काटने के 2 से 7 दिनों के भीतर तेज बुखार रहता है। बॉडी पेन और ज्वाइंट पेन के साथ बॉडी रेशेज भी होते हैं। इसके अलावा पेट खराब हो जाना, उसमें दर्द होना, कमजोरी, दस्त लगना, ब्लेडर की समस्या, निरंतर चक्कर आना, भूख ना लगना भी लक्षण रूप मे ज्ञात है।
बचाव: सोते समय फुल स्लीव्स के कपड़े पहनें, घर के आसपास छिड़काव करें और स्वच्छता का विशेष ध्यान दें। कहीं भी पानी जमा न होने दें।
संक्रमित पानी से होने वाली बीमारियां
हैजा: हैजा आमतौर पर भोजन और पानी के माध्यम से फैलता है, जो मनुष्यों के मुंह से दूषित होता है।
लक्षण: गंभीर दस्त और उल्टी, डिहाइड्रेशन के कारण तीव्र वजन घटाने और मांसपेशियों में ऐंठन, लो ब्लड प्रेशर, ड्राई म्यूकस मेंबरेन।
टायफाइड: टायफायड साल्मोनेला टाइफी (Salmonella typhi) नामक जीवाणु द्वारा फैलता है। यह रोग विश्व के सभी भागों में होता है। यह किसी संक्रमित व्यक्ति के मल से मलिन हुए जल या खाद्य-पदार्थ के खाने/पीने से होता है।
लक्षण: टाइफायड से पीड़ित व्यक्तियों को लगातार 103 से 104 डिग्री फैरेनहाइट का बुखार बना रहता है। उन्हें कमजोरी भी महसूस हो सकती है, पेट में दर्द, सिर दर्द अथवा भूख कम लग सकती है। कुछ मामलों में बीमार व्यक्ति को चपटे दोदरे, गुलाबी रंग के धब्बे पड़ सकते हैं।
हेपेटाइटिस ए: इसे पीलिया रोग भी कहा जाता है। यह दूषित भोजन, पानी या संक्रमित व्यक्ति के मल के साथ घनिष्ठ संपर्क के माध्यम से फैलता है।
लक्षण: बुखार, थकान, जी मिचलाना, भूख न लगना, त्वचा या आंखों का पीलापन।
टायफायड और हेपेटाइटिस से बचाव: अस्वस्थ स्थानों से भोजन या पानी से बचें, खाने से पहले साबुन और पानी से हाथ धोएं, मक्खियों से बचाने के लिए कवर कंटेनरों में भोजन / पानी को स्टोर करें, पीने के लिए कबीले (फ़िल्टर / आरओ) पानी का उपयोग करें।
वायरल इंफेक्शन
फ्लू:
लक्षण: थकान और शरीर में दर्द, बुखार, नाक बहना, दस्त, खांसी या गले में खराश, आँखों और त्वचा की चकत्ते में सनसनी जलन।
आंखों का संक्रमण:
लक्षण: आँखों में किरकिरा महसूस करना, पलकों में सूजन, जलन और खुजली, एक या दोनों आँखों से निर्वहन, कॉर्निया के आसपास रक्त के थक्के।
वायरल इंफेक्शन से ऐसे करें बचाव:
- बहुत सारे तरल पदार्थ लें।
- अपने आप को साफ रखें और बीमारियों के शुरुआती लक्षणों का पता लगाएं।
- संक्रमित व्यक्ति के साथ संपर्क से बचें।
- सुनिश्चित करें कि आप अपने हाथ को पूरी तरह से धो लें।
ऐसे अन्य स्टोरीज के लिए डाउनलोड करें: ओनलीमायहेल्थ ऐप
Read More Articles On Communicable Diseases In HIndi
How we keep this article up to date:
We work with experts and keep a close eye on the latest in health and wellness. Whenever there is a new research or helpful information, we update our articles with accurate and useful advice.
Current Version