बच्चों की मासूमियत छीन सकती है पेरेंट्स की ये गलतियां, बरतें सावधानी

बच्‍चे की मायूमियत को बरकरार रखने के लिए पेरेंट्स को परवरिश के दौरान कुछ खास गलतियां करने से हमेशा बचना चाहिए।
  • SHARE
  • FOLLOW
बच्चों की मासूमियत छीन सकती है पेरेंट्स की ये गलतियां, बरतें सावधानी

किसी भी मां-बाप के लिए पेरेटिंग आसान टास्‍क नहीं होता। पेरेंट्स द्वारा की गई छोटी सी गलती बच्‍चों की जिंदगी बदल सकती है। बच्‍चों की जिंदगी संवारने के लिए पेरेंट्स क्‍या कुछ नहीं करते। लेकिन कई बार गुस्‍से में या फिर जानबूझ कर बच्‍चे को समझाने के लिए पेरेंट्स ऐसी गलती कर जाते हैं, जिसका प्रभाव बच्‍चे की जिंदगी पर ताउम्र बना रहता है। पेरेंट्स द्वारा बच्‍चे को बोले गए शब्‍द या व्‍यवहार बच्‍चे की मासूमियत छीन सकते हैं। कभी-कभी माता-पिता बच्चों के कार्य की सराहना नहीं करते या बच्चों को भावनात्मक रूप से कमजोर करते हैं। ये दोनों ही तरीके बच्चों के लिए नुकसानदायक हो सकते हैं। चलिए जानते हैं पेरेंट्स द्वारा ऐसी कौन सी गलतियां हैं जो बच्‍चे के बचपने पर नकारात्‍मक प्रभाव डाल सकती हैं।

हर वक्‍त बच्‍चे को ताना मारना

ताना मारना ज्‍यादातर पेरेंट्स की आदत होती है। बच्‍चा कुछ अच्‍छा करे या बुरा, कई पेरेंट्स बच्‍चे को शाबाशी ताना मारते हुए ही देना पसंद करते हैं। जैसे यदि बच्‍चा क्‍लास में फर्स्‍ट आया है तो उसकी तारीफ करते हुए पेरेंट्स कहते हैं कि टीवी देखने के बावजूद अच्‍छे नंबर आ गए तुम्‍हारे। पेरेंट्स ने ऐसे शब्‍द भले ही मजाक में कहे हों लेकिन बच्‍चे के मन में वे घर कर जाते हैं। इससे बच्‍चा अगली बार परफॉर्म करने से पहले हिचकिचाने लगता है और उसका सेल्‍फ कॉन्फिडेंस भी कम होने लगता है। 

इसे भी पढ़ें- पेरेंट्स को बच्चों के सामने नहीं करनी चाहिए ये गलतियां, पड़ता है बुरा असर

बच्‍चे को आपसी झगड़ों में शामिल करना

कई पेरेंट्स आपसी झगड़ों में बच्‍चों को शामिल कर लेते हैं, जो पेरेंट्स की सबसे बड़ी भूल होती है। पति-पत्‍नी के बीच लड़ाईयां होना सामान्‍य बात है लेकिन लड़ाईयों में बच्‍चे को हिस्‍सा बनाना गलत है। पेरेंट्स झगड़ा करते समय भूल जाते हैं कि वे क्‍या और किसके सामने बोल रहे हैं। पेरेंट्स द्वारा बोले गए शब्‍द बच्‍चे के मन में घर कर जाते हैं, जिसे वह हमेशा याद रखता है। इसलिए आपस में मतभेद होने पर बच्‍चे को शामिल करने की भूल न करें।

parenting mistakes

बच्‍चे को चिढ़ाना      

बच्‍चे को हर वक्‍त चिढ़ाना ठीक नहीं होता। कई पेरेंट्स प्‍यार में बच्‍चे को अलग-अलग नामों से बुलाते हैं। कई बार तो बच्‍चा सुन लेता है लेकिन कई बार बच्‍चा इन नामों से इरिटेट हो जाता है और रोने लगता है। बच्‍चे को एक लिमिट तक चिढ़ाना ठीक हो सकता है, लेकिन इरिटेशन लेवल बढ़ने से बच्‍चे पर नकारात्‍मक प्रभाव पड़ सकता है। 

इसे भी पढ़ें- बच्चे की मानसिक सेहत को खराब कर सकती हैं माता-पिता की ये गलतियां

फ्यूचर को लेकर न करें फैसला

बच्‍चे का फ्यूचर डिसाइड करने की जिम्‍मेदारी हमेशा से ही पेरेंट्स की मानी जाती रही है, खासकर भारत में बच्‍चे का फ्यूचर उसके बचपन में ही तय कर लिया जाता है। बच्‍चे की हर छोटी-बड़ी गलती पर पेरेंट्स का भविष्‍यवाणी करना कि ‘तुम फ्यूचर में क्‍या ही कर पाओगे’। बच्‍चे की भलाई के लिए कही गई ये बात उसके आत्‍मविश्‍वास को कम कर सकती है और उसका भविष्‍य खराब कर सकती हैं।

Read Next

आपका बच्‍चा भी रहता है घर से दूर? ऐसे करें उसकी परवर‍िश

Disclaimer